परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य...

परम पूज्य योग-ऋषि  श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत  प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य...

विदेशी नववर्ष, विदेशी गुलामी से मुक्ति का अभियान प्रारंभ करें

(1) देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है पर क्या सच में हम आजाद, पूर्ण स्वाधीन, आत्मनिर्भर हैं? शिक्षा, चिकित्सा, खानपान, रहन-सहन, भाषा, खेत-खलिहान, औद्योगिक क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, मीडिया से लेकर, हमारी सेनाओं द्वारा राष्ट्र की सुरक्षा हेतु अपनाएं जाने वाले हथियारों एवं विचारों तक हम विदेशों के गुलाम नहीं है? आज देश को, हम सब को गंभीर विमर्श करना चाहिए कि हम योग-आयुर्वेद एवं स्वेदशी के व्रत लेकर इस राष्ट्र को सभी दिशाओं से पूर्ण आत्मनिर्भर बनाने में अपने तन, मन, धन एवं जीवन की आहुतियां समर्पित करके भारत को विश्व की महाशक्ति बनाने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में नव कीर्तिमान बनाएं।
(2) योगायुर्वेद एवं स्वेदशी क्रान्ति के बाद पतंजलि अब शिक्षा क्रान्ति एवं स्वास्थ्य क्रान्ति की दिशा में आने वाले 100-200-500 वर्षो के बाद तक के भारत की आधारशिला तैयार कर रहा है। भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् एवं पतंजलि विश्वविद्यालय साथ ही पतंजलि ग्लोबल यूनिवर्सिटी के माध्यम से देश में श्रेष्ठ नागरिकों के निर्माण के साथ-साथ श्रेष्ठ नेतृत्व का भी निर्माण होगा। इससे राष्ट्र एवं विश्व को योगमय बनाने अर्थात् आध्यात्मिक भारत एवं आध्यात्मिक विश्व बनाने का संकल्प साकार होगा और पुनः वेदिक युग की प्रतिष्ठा होगी।
   पतंजलि वैलनेस के माध्यम से योग, यज्ञ, आयुर्वेद एवं नेचरोपैथी की इंटिग्रेटिडपैथी के द्वारा विश्व के विध्वंस का कारण बन चुकी एलोपैथी का अन्त होगा ओर संसार के समस्त लोगों सम्पूर्ण एवं सात्विक स्वास्थ्य का मार्ग मिलेगा। यह कार्य कठिन है लेकिन निरन्तर पुरुषार्थ से पूर्ण होगा।
(3) इस महान कार्य की सिद्धि हेतु हमें छोटे-छोटे व्रत लेने पडे़ंगे। जैसे अपनी भाषा में भारतीय भाषाओं में हस्ताक्षर करना, नितान्त तकनीकी विषयों को छोड़कर शेष सभी सामान स्वेदशी ही उपयोग में लाना। अपने बालको को भारतीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में ही पढ़ाना तथा यदि सामाथ्र्य साहस हो, त्याग कर सके, थोड़ी मोह माया का तो अपने बच्चों का पतंजलि गुरुकुलम् में ही पढ़ाना। संभव हो तो गौपालन करना, नैसर्गिक कुदरती खेती करना नही ंतो कुदरती अन्नादि ही खाना तथा गाय के ही घी, दूधादि का ही प्रयोग करना।
    पतंजलि जैसे अभियानों का पूर्ण समर्थन करना तथा पतंजलि की तरह रहकर हर क्षेत्र में बडे़ कीर्तिमान बनाने के लिए आगे आना। पूरी ताकत से भारत, भारतीयता विरोधी ताकतों का पूरी ताकत, शक्ति, सामथ्र्य से व्यक्तिगत सामूहिक तौर पर विरोध करना। कार्य सिद्धि से पूर्ण विश्राम नहीं, पूर्ण पुरुषार्थ पराक्रम से जब हम सब इस महान कार्य की सिद्धि हेतु लगेंगे तो हमारा संकल्प अवश्य पूर्ण होगा।

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