शाश्वत प्रज्ञा

परम पूज्य योग.ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य………

शाश्वत प्रज्ञा

जीवन का सत्य
1.  पराविद्या- मनुष्य जब ईश्वरीय सामथ्र्य अर्थात् प्रकृति या परमेश्वर प्रदत्त शक्तियों का पूरा उपयोग कर लेता है तो भगवान् उसे अतीन्द्रिय शक्ति, परविद्या या पारमार्थिक शक्तियों से जिसे शास्त्र में ऋषि सिद्धि कहते हैं इनसे भी युक्त कर देता है। यदि हमने मानवीय सामर्थ्य का ही पूरा उपयोग नहीं किया तो फिर हमें अतीन्द्रिय शक्तियों की आवश्यकता ही नहीं है। जितना व्यवहारिक जगत सत्य है उससे अनंत गुणा पारमार्थिक तत्त्व भी सत्य नहीं परम सत्य है या सनातन शाश्वत सत्य है। इन भौतिक व पारमार्थिक सत्यों में संतुलन या इनकी सम्यक् समझ या बोध या अनुभूति दुर्लभ है। गुरु कृपा या भगवत अनुग्रह से ही ये सब संभव है। निष्कर्ष यही है कि आप अपना 100% पुरुषार्थ कीजिये तो गुरु, भगवान् व प्रकृति के विधान के अनुरूप आपका 100% शुभ या मंगल ही होगा।
2.  पुरुषार्थ चतुष्टय- धर्म माने धारणीय या कर्तव्य तत्व, अर्थ अर्थात् धर्म से अर्जित सामर्थ्य, काम माने धर्म व अर्थ से अर्जित सामर्थ्य से सत्य या विवेकपूर्ण कामनाओं या संकल्पों की पूर्ति, मोक्ष अर्थात् धर्मार्थ व काम की पूर्णता से पूर्णतृप्ति, पूर्णसंतोष, अशुभ का पूर्ण परित्याग व शुभ में पूर्ण प्रतिष्ठा।
    जीवन के चारों सत्यों की प्राप्ति का एक मात्र साधन है पुरुषार्थ की पराकाष्ठा व प्रमाद का पूर्णत्याग। अत: जो भी जीवन में आप भी इन सनातन शाश्वत तत्त्वों या सत्यों का सिद्ध करना चाहते हैं तो आज से पूर्ण पुरुषार्थ करने का व्रत लीजिये।

Advertisment

Latest News

शाश्वत प्रज्ञा शाश्वत प्रज्ञा
योग प्रज्ञा योग - योग जीवन का प्रयोजन, उपयोगिता, उपलब्धि, साधन-साधना-साध्य, सिद्धान्त, कत्र्तव्य, मंतव्य, गंतव्य, लक्ष्य, संकल्प, सिद्धि, कर्म धर्म,...
एजुकेशन फॉर लीडरशिप का शंखनाद
सुबह की चाय का आयुर्वेदिक, स्वास्थ्यवर्धक विकल्प  दिव्य हर्बल पेय
गीतानुशासन
नेत्र रोग
पारंपरिक विज्ञान संस्कृति पर आधारित हैं
नेत्र विकार EYE DISORDER
यूरोप की राजनैतिक दशायें तथा नेशन स्टेट का उदय
Eternal Truth emanating from the eternal wisdom of the most revered Yogarishi Swami Ji Maharaj
परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य ...