डेंगुनिल डेंगू का सफल उपचार

डेंगुनिल डेंगू का सफल उपचार

डॉ. अनुराग वार्ष्णेय
उपाध्यक्ष- पतंजलि अनुसंधान संस्थान

  डेंगू वायरस के जीन एक्सप्रेशन डीइएनवी-3 को मापा गया तो देखा कि औषधियों के विभिन्न डोज़ेस पर वायरस का लेवल धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसके बाद इन मछलियों में लिवर इन्फ्लेमेशन को नापा गया और यह देखा गया कि दवाई की विभिन्न मात्रा से यह इंफ्लेमेटरी मार्कर्स भी कम हो रहे हैं, तत्पश्चात लाल रक्त कोशिकाओं के बढ़े हुए लेवल को भी इस औषधि ने डोज़ डिपेंडेंट तरीके से कम किया।
वर्षा ऋतु के समाप्त होते-होते पूरे भारत वर्ष में डेंगू की एक लहर आ जाती है। यह वायरल बुखार बहुत से लोगों के लिए प्राणघातक साबित होता है क्योंकि कई लोग इसको सामान्य वायरल बुखार जानकर नजरअंदाज करते हैं। हिंदी में इसे डेंगू कहा जाता है, वहीं अंग्रेजी में इसे डेंगी कहते हैं।
डेंगू बुखार एक विशेष मच्छर के काटने से होता है जिसका नाम एडीज़ है। इसकी 2 प्रजातियां हैं जिनके काटने से यह होता है। यह वायरस, मच्छर के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करता है। जब यह मच्छर किसी रोगी को काटता है तो यह उसका होस्ट बन जाता है, तथा जब वही मच्छर जब किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस उस व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है और वह व्यक्ति भी डेंगू कि चपेट में आ जाता है। यह एक विशेष प्रकार का मच्छर होता है, जिसके शरीर पर सफेद रंग के चक्कते या धब्बे दिखाई देते हैं। डेंगू के मुख्यत: 4 वायरस हैं, जिन्हें क्रमश: 1, 2, 3, 4 की संख्या दी गई है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके बार-बार होने की सम्भावना बनी रहती है।
प्रतिवर्ष करोड़ों लोग होते हैं डेंगू से ग्रसित 
विश्व में हर वर्ष लगभग 40 करोड़ लोग डेंगू से ग्रसित होते हैं, और पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार 40 हजार लोग इस बीमारी से काल के गाल में समा गए थे। भारत तथा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह एक सामान्य बीमारी है क्योंकि वहां की पस्थितियाँ जैसे तापमान मच्छरों को पनपने के लिए अनुकूल होती हैं। 
शरीर के अंदर जाते ही यह वायरस तीव्र गति से बढऩा शुरू कर देता है और शरीर के विभिन्न अंगों जैसे लिवर, स्प्लीन, किडनी पर अपना वर्चस्व स्थापित कर देता है, साथ ही रक्त धमनियों पर तेजी से असर करना शुरू कर देता है। यह वायरस एक सुई की नोक पर थोड़ी सी मात्रा में भी शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक है। 
डेंगू के मुख्य लक्षण
इस बीमारी के लक्षणों में आँखों के नीचे दर्द, बुखार आना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, जी-मिचलाना, उल्टी, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, और पूरे शरीर में जगह-जगह लाल रंग के चक्कते पड़ जाते हैं। यह चक्कते यह बताते हैं कि हम डेंगू की एडवांस स्टेज पर पहुंच चुके हैं।
डेंगूनिल पर पतंजलि का अनुसंधान
सर्वप्रथम इस औषधि की रासायनिक एनालिसिस करने के बाद ये देखा गया कि इसमें कितने प्रकार के फाइटोकेमिकल्स, कितनी मात्रा में विद्यमान हैं। तत्पश्चात बायोलॉजिकल परीक्षणों के लिए जेबरा फिश को आधार बनाया गया। इस मछली की अंदरूनी बनावट मनुष्य के काफी हद तक समानांतर ही है एवं इस पर शीघ्रता से शोध किये जा सकते हैं, इसलिए इस मॉडल को अपनाया गया।
परन्तु एक सवाल यह भी था कि क्या डेंगू वायरस मछलियों को भी संक्रमित करेगा, क्योंकि मछलियां पानी के अंदर रहती हैं और इस प्रकार की बीमारी का अभी तक उन पर अध्ययन नहीं किया गया है। परन्तु जब डेंगू से पीडि़त रोगियों के सीरम लिए गए और उनको इन मछलियों में रोपित किया गया तो इस वायरस ने जेबरा मछली को भी उसी प्रकार संक्रमित किया जिस प्रकार यह मनुष्यों को करता है और उसमें भी अपने आप को गुना किया। इस शोध में पता लगा कि इन मछलियों में भी उसी प्रकार के लक्षण पाए गए जैसे अनीमिया, आलस्य और प्लेटलेट्स का लेवल कम होना।
इस शोध के अंतर्गत सबसे पहले इन मछलियों को 2 समूह में रखा गया जिनमें इन्हें 8 दिन और 15 दिन लगातार औषधि का सेवन कराया गया। तत्पश्चात डेंगू वायरस के जीन एक्सप्रेशन डीइएनवी-3 को मापा गया तो देखा कि औषधियों के विभिन्न डोज़ेस पर वायरस का लेवल धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसके बाद इन मछलियों में लिवर इन्फ्लेमेशन को नापा गया और यह देखा गया कि दवाई की विभिन्न मात्रा से यह इंफ्लेमेटरी मार्कर्स भी कम हो रहे हैं, तत्पश्चात लाल रक्त कोशिकाओं के बढ़े हुए लेवल को भी इस औषधि ने डोज़ डिपेंडेंट तरीके से कम किया। 
इसके अलावा इस औषधि के द्वारा सफेद रक्त कोशिकाओं, और प्लेटलेट काउंट की संख्या की भी जांच की गया और पाया कि जो व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट काउंट डेंगू की वजह से कम हो गए थे, वह भी औषधि की विभिन्न मात्राओं से ठीक हो रहे हैं। 
अन्य पैरामीटर्स जैसे हिमाटोक्रिट काउंट और आरबीसी काउंट जो दोनों डेंगू में कम हो जाते हैं, वो भी विभिन्न डोज़ेस के साथ-साथ ही ठीक हो रहे हैं, बढ़ रहे हैं। इसके अतिरिक्त एक अन्य बायोमार्कर और पैरामीटर हैमरेज क्लॉट जिसका तात्पर्य शरीर पर लाल चकत्ते होना होता है और जो डेंगू की एक एडवर्स कंडीशन है, मछलियों के फिन्स पर भी देखी गई, परन्तु जैसे-जैसे डेंगुनिल औषधि को इन मछलियों को दिया गया, वैसे-वैसे ही यह चकत्ते भी कम होना शुरू हो गए। साथ ही डेंगुनिल वटी ने प्रमुख जीन एक्सप्रेशन एएनजी-3 और सीसीएल-3 जो की डेंगू में बढ़ जाते हैं को भी डोज़ डिपेंडेंट तरीके से कम किया।
तत्पश्चात मानव शरीर पर इसके दुष्प्रभावों को जांचने के लिए मानवीय लिवर कोशिकाओं और त्वचा की कोशिकाओं पर शोध किया गया और पाया कि डेंगुनिल का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
आयुर्वेदिक सिद्धांत एवं प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से विभिन्न रोगों का उपचार संभव है और पतंजलि उसी दिशा में कार्य करने के लिए दृढ़-संकल्पित है। 

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