9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने 20 हजार योग साधकों के साथ दिया 'योग सबके लिए’ का संदेश

योग का संकल्प

9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज  ने 20 हजार योग साधकों के साथ दिया 'योग सबके लिए’ का संदेश

आचार्य बालकृष्ण

9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज के पावन सान्निध्य में पतंजलि वेलनेस केन्द्र, पतंजलि योगपीठ-।। स्थित विशाल मैदान में योग सत्र का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 20 हजार योग साधकों ने योग का लाभ लिया। स्वामी जी महाराज द्वारा योग के शंखनाद के साथ पूरा विश्व योगमय हो गया। वहीं देश के लगभग सभी 600 जिलों व 5000 तहसीलों में एक साथ योगाभ्यास किया गया। कार्यक्रम में मत-धर्म-जाति-सम्प्रदाय के भेद को समाप्त करते हुए हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन, बौद्ध आदि विभिन्न समुदायों के लोगों ने सहभागिता की। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी जी महाराज, पूज्य आचार्य जी महाराज तथा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने उपस्थित योग साधकों को अपनी दिव्य वाणी से अभिसिंचित किया।

पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज

संस्थापक अध्यक्ष-पतंजलि योगपीठ
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पूरी दुनिया योगमय हो रही है। यह योग, अध्यात्म हमारे पूर्वजों की सांस्कृतिक विरासत और बहुत बड़ी विजय यात्रा है। योग से सारा विश्व स्वस्थ हो रहा है। इस बार योग की थीम हमने रखी है 'युग के लिए योग’ 'योग फॉर यूनिवर्स’ 'स्वावलंबन के लिए योग’ 'योगा फॉर सस्टेनेबिलिटी एंड योगा फॉर न्यू जनरेशन’ 'योगा फॉर यूनीवेशन एंड योगा फॉर ऑलका ये जो संकल्प है इसमें आज हरिद्वार जो  युगों-युगों से भारत की आध्यात्मिक राजधानी रहा है, वहाँ पतंजलि योगपीठ से, पतंजलि वैलनेस से हम आज के इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संपूर्ण देशवासियों का और संपूर्ण विश्ववासियों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करते हैं।
योग फॉर यूनिवर्स, युग के लिए योग, आत्मनिर्भरता के लिए योग, वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग का अनुष्ठान पतंजलि योगपीठ से हो रहा है और आज हम 9वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए यहाँ एक साथ एकत्रित हैं। भारत में कम से कम 10 करोड़ से ज्यादा लोग योग के लिए घरों से बाहर निकले, यह योग का अप्रतिम जलवा है। इसी योग धर्म, वेद धर्म, ऋषि धर्म, सनातन धर्म के माध्यम से राष्ट्र धर्म का नया आगाज, युग धर्म का एक नया स्वर गुंजायमान हुआ है। 
पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड, स्टेनफोर्ड आदि विश्वविद्यालय, आई.आई.टी. तथा आई.आई.एम. से भी ज्यादा हेल्थ व वेल्थ क्रिएशन कर सकेंगे, यह अवसर पतंजलि उपलब्ध कराएगा। पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी विज्ञान, गणित, तकनीकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऐरो-स्पेस, सूचना तकनीकी के साथ-साथ भारतीय संस्कृति व पुरातन ज्ञान के बल पर अनुसंधान व ज्ञान का परचम पूरे विश्व में लहराएँगे। उन्होंने कहा कि हम भारत से पूरी दुनिया में योगियों को एक्सपोर्ट करेंगे जो अन्दर से योगी होंगे और पूरी दुनिया में न केवल रोगों का चिकित्सा समाधान उपलब्ध कराएँगे अपितु प्रत्येक क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेंगे।
आज हमारे देश के यशस्वी योगी, कर्मयोगी, वीर, पराक्रमी प्रधानमंत्री, यूएन में जाकर योग कर रहे हैं, ये भी दुनिया के इतिहास की पहली घटना होगी और इसका देश और दुनिया साक्षी बनेगा। देश के प्रधानमंत्री आज शाम को यूएन के मुख्यालय में योग कर रहे होंगे। आज पूरी दुनिया को योग की आवश्यकता है। एक ओर यूएनओ में देश के प्रधानमंत्री योग करेंगे तो वहीं उत्तराखण्ड में देश के 20 हजार से अधिक लोगों के साथ प्रदेश के सबसे युवा, तेजस्वी, ओजस्वी मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने भी ढाई घण्टे हमारे साथ योग का अभ्यास किया। मुझे पहला मुख्यमंत्री मिला जो योग में मेरा साथ निभा रहा है। अब ऐसे ही योगी मुख्यमंत्री होने चाहिए। जो खुद ही नहीं चल पाते वो देश-प्रदेश को कैसे चलाएंगे। उत्तराखण्ड को हमें योगयुक्त, रोगमुक्त व नशामुक्त बनाना है। योग के साथ उद्योग और उद्यमशीलता को आगे बढ़ाते हुए उत्तराखण्ड को दुनिया की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करना है। इसी संकल्प के साथ आज हम यह योग दिवस मना रहे हैं। आज योग दिवस पर यहाँ हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, देश-विदेश, जाति-प्रांत, धर्म-मजहब की सारी सीमाओं को पाटकर आज योगमय विश्व हो रहा है, सब एक-साथ योग कर रहे हैं, योगमय युग हो रहा है और इससे पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। आर्थिक और राजनैतिक साम्राज्य बनते-बिगड़ते रहते हैं, यदि कोई सच्चा साम्राज्य है तो वह सांस्कृतिक साम्राज्य है, वह सांस्कृतिक सनातन साम्राज्य हमने हमारे पूर्वजों से पाया है।
इसलिए स्वास्थ्य हमारा पहला धर्म है-
धर्मार्थ काम मोक्षाणां आरोग्यं मूलमुतमम्।
रोगास्तस्यापहर्तार: श्रेयशो जीवितस्य च।।
अर्थात् पहला सुख निरोगी काया।

 

श्री पुष्कर सिंह धामी

माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड
सभी को आज विश्व भर में योग प्राणायाम और भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने वाले, योग की शिक्षा देने वाले, कई वर्षों से जिन्होंने योग को जन-जन का योग बना दिया, घर-घर का योग बना दिया, विश्व का योग बना दिया ऐसे पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज और अपने औषधीय ज्ञान से असंख्य व्यक्तियों को लाभान्वित करने वाले, आयुर्वेद को जिन्होंने एक अनुसंधान के रूप में विश्व विख्यात और नई-नई विधाओं को आयुर्वेद के क्षेत्र में स्थापित करने का काम करने वाले श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी को दंडवत प्रणाम।
आप आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के एक दृढ़ संकल्प से प्रारंभ हुई ये यात्रा, आज आप सभी के समर्पण और दृढ़ता के कारण संकल्प से सिद्धि की ओर पहुँच रही है। हमारी गौरवशाली सनातन संस्कृति का मूल आधार, 'वसुधैव कुटुंबकमहै और यही हमारे देश की एक सौ चालीस करोड़ जनता का मूल संस्कार भी है, जो संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में मानता है। इसी सिद्धांत को केंद्र में रखते हुए इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'वसुधैव कुटुम्बकमके लिए तय की गई है।
अनेकों वैश्विक चुनौतियों और षड्यंत्रों का सामना करने के बावजूद भारत ने कभी भी मानवीय मूल्यों से हटकर आचरण नहीं किया है। हमारी इसी लोक कल्याणकारी अवधारणा का आधार हमारी संस्कृति है, जिसके मुख्य स्तंभों में से एक योग भी है। इसी वजह से आज ये उस दुनिया के करोड़ों लोगों की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया है, जो विश्व को भारतीय संस्कृति के साथ-साथ और अधिक मजबूती से जोड़ने का काम कर रहा है। भारत की संत परंपरा हमेशा से ही देश प्रथम की परिकल्पना को साकार करने का माध्यम रही है। मेरा मानना है कि, पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन में पतंजलि योगपीठ की स्थापना इसी उद्देश्य के लिए हुई है। योगऋषि स्वामी रामदेव जी ने भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय चेतना जागरण का कार्य हर घर और हर व्यक्ति में किया है। इस प्रकार हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, महान योग साधक आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, आज भारत एवं भारतीय संस्कृति का मान-सम्मान और स्वाभिमान संपूर्ण विश्व में बढ़ रहा है तथा भारत विश्व गुरु के पथ पर पुन: आरूढ़ होने के लिए तैयार हो रहा है। आज सांय अमेरिका में हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे, और उनके प्रताप का ही फल है कि उनके आह्वान पर आज हम सब लोग विश्व योग दिवस मना रहे हैं।
महर्षि पंतजलि ने योग की व्याख्या करते लिखा, चित्त की वित्तियों का निरोध ही योग है। योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और कोरोना महामारी के समय में जहाँ पूरा विश्व लाचार हो गया था, कोई दवाइयाँ भी काम नहीं कर रही थी, अनेक-अनेक प्रकार के ज्ञान-विज्ञान की चीजें हैं, वह भी काम नहीं कर रही थी, ऐसे समय में हम सब लोगों ने योग की महत्ता को जाना और हम सब उसके महत्व से परिचित हो चुके हैं। प्राचीन भारतीय पद्धतियों की महत्ता और वैज्ञानिकता सिद्ध हो रही है। हमारी देवभूमि की पहचान तो एक विश्वस्तरीय योग केंद्र के रूप में है ही और हमारी सरकार का पूरा प्रयास है, हमारा विकल्प रहित, संकल्प है कि हम इसको योग का केंद्र, योग की राजधानी, अध्यात्म की राजधानी और भारत की सांस्कृतिक राजधानी बनाने की ओर आगे बढ़ेंगे। इस पहचान को और भी अधिक सशक्त किया जाएगा। हम निरंतर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं कि देवभूमि उत्तराखण्ड सनातन संस्कृति की वैश्विक राजधानी बने।
मुझे पूरा विश्वास है कि पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन में हमारे द्वारा किए गए सामूहिक प्रयास शीघ्र ही सफल होंगे। यदि हम योग को नियमित रूप से अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं तो दवाइयों का खर्च कम होगा और हमारा बजट जो दवाइयों के रूप में जाता है वह भी कम हो जाएगा।
किसी ने शायद ठीक ही कहा है कि 'सूरज से पहले जगना होगा, सूरज से पहले जगना होगा से आगे बढ़ना होगा, कंटक राह मिलेगी राही पर फूलों-सा खिलना होगा, चट्टानों-सी बाधाएं सम्मुख बन पर्वत लड़ना होगा, बदलनी है अगर स्थितियाँ तुझको तो खुद को बदलना होगा, खुद को बदलना होगा।
 

पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज

महामंत्री-पतंजलि योगपीठ
यह हम सब का परम सौभाग्य है कि हम आज उस महामानव के साथ अंतराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं जिसने योग को अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन, सम्पूर्ण शक्ति, ऊर्जा, तप और पुरुषार्थ समर्पित कर दिया। इस अवसर पर उत्तराखंड के हमारे युवा, ऊर्जावान, संस्कृति-परम्परा-मूल्यों के लिए जीवन समर्पित करने वाले, प्रान्तहित, जनताहित तथा संस्कृति संरक्षण के साथ आगे बढ़ रहे हमारे माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी कल से ही इस योग विधा से जुड़ने के लिए, हमारे साथ एक परिवार के अभिन्न अंग की तरह साथ में हैं।
प्रात: काल से ही हमारे पतंजलि योगपीठ संस्थान के सभी कर्मयोगी भाई बहन हमारी सभी शिक्षण संस्थानों के प्राध्यापक-गण, हमारे पूज्य संत, साध्वी बहनें, संन्यासी भाई, पतंजलि से जुड़े हुए तमाम भाई-बहन और मिडिया के सभी बंधु यहाँ पर उपस्थित हैं। आज 'योगा फॉर ऑलकी बात की जाती है, उसका मूर्त रूप पतंजलि में दिख रहा है। इस देश में धर्म, मजहब, जाति, सम्प्रदाय, ऊँच-नीच आदि जितनी भी दीवारें खड़ी की जाती हैं, उनको सबको तोड़ने का काम भी पतंजलि करता है। यदि पूरे विश्व को जोड़ने का एकमात्र साधन कुछ हो सकता है, तो वह योग ही है, उसका उदाहरण यह पतंजलि योगपीठ है।
यहाँ 'वसुधैव कुटुंबकमकी छवि दिखती है जो इस 9वें इंटरनेशनल योगा-डे की थीम भी है। योग ने हमारी संस्कृति, सनातन परम्परा से पूरे विश्व को जोड़ने का काम तो किया ही है साथ ही एक योगी के प्रयास को, एक यशस्वी प्रधानमंत्री के द्वारा वैश्विक स्तर पर उसको मान्यता दिलाकर देश को गौरव प्रदान किया है। पूज्य स्वामी जी ने बताया कि योग की स्वीकार्यता के क्या परिणाम हो सकते हैं। योग के माध्यम से आज न केवल रोगी रोगमुक्त हो रहे हैं, अपितु लाखों युवाओं के लिए रोजगार का द्वार भी योग ने खोला है।
आज पूरे विश्व में योगियों की, योगाचार्यों की आवश्यकता हैं, मांग है, उसको भी पूरे विश्व में पहुँचाने का कार्य पतंजलि विश्वविद्यालय के माध्यम से बड़े स्तर पर किया जा रहा है। आज के इस अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर हम पतंजलि योगपीठ परिवार की ओर से लाखों-लाखों, तमाम उन कार्यकर्ता भाई-बहनों को भी स्मरण करके उनका धन्यवाद करते हैं, कि जिन्होंने योग को घर-घर पहुँचाने में अपने जीवन के सर्वोतम क्षणों को आहूत किया, उन सब के बल पर आज घर-घर योग पहुँच पाया है।
योग की अलख को जगाए रखना, योग से जीवन को उत्तत्व और उज्ज्वल बनाकर के निरोग बनाए रखना, हमारा दायित्व और कर्तव्य है। योग करने से व्यक्ति निरोग होता है। योग का आश्रय लेकर लोग रोग, नशा, वासना और विविध तरह के विकारों से बच रहे हैं। योग के द्वारा हम इस देश को विश्वगुरु बनाने की ओर अग्रसर हैं। मैं पुन: आप सबसे निवेदन करता हूँ योग का आश्रय लेकर हम देश को विश्वगुरु बना सकते हैं। योग का आश्रय लेकर ही हम पूरी धरती को एक छत्र के नीचे ला सकते हैं। विविध टुकड़ो में बंटा हुआ यह विश्व, विविध मान्यताओं में घिरा हुआ यह देश योग से ही सकारात्मक दिशा प्राप्त कर सकता है। योग के माध्यम से हम सब पूरी दृढ़ता के साथ खड़े होकर राष्ट्र निर्माण के अभियान में जुड़ सकते हैं। योग आत्म निर्माण से राष्ट्र निर्माण का अभियान है। 
प्रोटोकॉल के अंतर्गत किया योगाभ्यास
कार्यक्रम में योग प्रोटोकॉल के तहत पूज्य स्वामी जी महाराज ने प्रार्थना, ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटि संचालन, घुटना संचालन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन (ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्ध-चक्रासन, त्रिकोणासन), बैठकर किए जाने वाले आसन (भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन), उदर के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (मकरासन, भुजंगासन, शलभासन), पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध-हलासन, पवनमुक्तासन, शवासन), कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली तथा भ्रामरी आदि योगासन-प्राणायाम का अभ्यास व ध्यान, संकल्प कराया। शांति पाठ के साथ योगसत्र की समाप्ति हुई।
बालयोगियों ने 2100 से ज्यादा बार किया सूर्य नमस्कार
कार्यक्रम में पतंजलि गुरुकुलम् के 66 बालयोगियों ने लगातार 150 मिनट तक 2100 से ज्यादा बार सूर्य नमस्कार किया। पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने मल्लखम्भ, मल्लयुद्ध, यौगिक मुद्राओं, जिम्नास्टिक आदि का प्रदर्शन किया।

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नशा मुक्ति का संकल्प व ग्रन्थ विमोचन
साथ ही स्वामी विदेहदेव के पिता डॉ. विश्वम्भर बिशन दत्त जोशी 'शैलज’ द्वारा रामायण के कुमाऊनी अनुवाद आधारित ग्रन्थ का विमोचन स्वामी जी, आचार्य जी तथा प्रदेश मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।

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योग दिवस कार्यक्रम में संगठन की भूमिका
योग दिवस के आयोजन में संगठन की प्रमुख भूमिका रही। पूज्या साध्वी डॉ. देवप्रिया जी, भाई राकेश जी, पूज्य स्वामी परमार्थ देव जी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड के हरिद्वार, ऋषिकेश, रूड़की, देहरादून, विकास नगर आदि क्षेत्र के गांवों से हजारों की संख्या में भाई भास्कर ओली जी व बहन सीमा जी के सहयोग से हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि योग साधकों ने भागीदारी की।
योग में सहभागिता
इस अवसर पर मत-धर्म-जाति-सम्प्रदाय के भेद को समाप्त करते हुए हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन, बौद्ध आदि विभिन्न समुदायों के लोगों ने सहभागिता की। पतंजलि की ओर से पतंजलि योग समिति की मुख्य महिला केन्द्रीय प्रभारी एवं पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका एवं संकायाध्यक्षा- मानविकी एवं प्राच्य विद्या संकाय साध्वी देवप्रिया जी, आचार्यकुलम् की निदेशिका बहन ऋतम्भरा शास्त्री, पतंजलि फूड्स लि. के एम.डी. श्री रामभरत, क्रय समिति अध्यक्षा बहन अंशुल, संप्रेषण विभागाध्यक्षा बहन पारूल, मुख्य केंद्रीय प्रभारीगण भाई राकेश 'भारत’ एवं स्वामी परमार्थ देव, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डॉ. महावीर जी, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, विवि की कुलसचिव महोदया बहन प्रवीण पुनिया, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, सहायक कुलसचिव डॉ. निर्विकार, साध्वी देवमयी, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देववरण्या, स्वामी विदेहदेव, स्वामी मित्रदेव, स्वामी विनयदेव, स्वामी ईशदेव, स्वामी सोमदेव, स्वामी बजरंगदेव आदि ने योग सत्र में भाग लिया।
 

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