हमारे विविध सेवा प्रकल्प
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परम पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज व आयुर्वेद मनीषी परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के दिव्य पावन संकल्पों व अखण्ड पुरुषार्थ के फलस्वरूप 5 जनवरी 1995 को रोपा गया पतंजलि योगपीठ रूपी पौधा आज विशाल शाखा-प्रशाखाओं से युक्त वटवृक्ष का रूप ले चुका है।
विभिन्न प्रकल्पों के रूप में पतंजलि की लोककल्याणकारी सेवाएं आज पूरे देश के लिए आशा की किरण बनकर उभर रही हैं। इन्हीं प्रकल्पों में दिन दूना-रात चौगुना बढ़ता पतंजलि का योग प्रचारक प्रकल्प अद्भुत कार्य कर रहा है।
स्वामी विदेहदेव एवं स्वामी पुण्यदेव
गतांक में हमने शिक्षा के प्रकल्प आचार्यकुलम् शिक्षण संस्थान को प्रस्तुत किया था, इस अंक में पतंजलि योग प्रचारक प्रकल्प को प्रस्तुत किया जा रहा है। पूर्ण अनुशासन व अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ को चरितार्थ करता योग प्रचारक प्रकल्प देश के सभी ६०० से अधिक जिलों में सुचारू रूप से कार्य कर रहा है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज कहते हैं कि मैंने आज जिस मुकाम को पाया है, उसके मूल में योग की शक्ति है। योग की इस महान् सेवा को सर्वाधिक प्राथमिकता प्रदान करते हुए परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने योग प्रचारक प्रकल्प की शुरुआत की है। प्रकल्प के विभिन्न क्रियाकलाप इस प्रकार हैं-
पाँच दिवसीय योग शिविर
प्रतिमाह योग प्रचारक प्रकल्प पूरी प्रामाणिकता के साथ १६०० से अधिक गाँव/शहरों में ५ दिवसीय योग शिविरों के माध्यम से परम पूज्य स्वामी जी महाराज एवं परम श्रद्धेय आचार्य श्री की स्वस्थ एवं समृद्ध भारत की संकल्पना को साकार कर रहा है। प्रत्येक योग शिविर में योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, यज्ञ, स्वच्छ भारत अभियान एवं वृक्षारोपण के विषय में जागरूक करने का महत्वपूर्ण कार्य यह प्रकल्प कर रहा है। योग, आयुर्वेद, स्वदेशी एवं वैदिक दिनचर्या ग्रामवासियों की जीवनशैली में क्रियान्वित हो जाए, इसके लिए प्रकल्प योग प्रचारकों के माध्यम से प्रयासरसत है। ज्ञात इतिहास में वर्ष २०१७ में पतंजलि द्वारा आयोजित २५,१२० नि:शुल्क ५ दिवसीय योग शिविरों का संचालन स्वत: सिद्ध विश्व रिकॉर्ड है जो परम पूज्य स्वामी जी महाराज एवं परम श्रद्धेय आचार्य श्री के परम पुरुषार्थ एवं आशीर्वाद से प्रकल्प द्वारा सम्भव हो पाया है। १०० प्रतिशत चैरिटी के महा-उद्घोष को साकार कर रहा है, योग प्रचारक प्रकल्प का यह दिव्य सेवाकार्य।
एक दिवसीय विद्यालय-योग शिविर
प्रकल्प योग प्रचारकों के माध्यम से विद्यालय-योग शिविरों का भी आयोजन कर रहा है जहाँ विद्यार्थियों को योगमय जीवनशैली जीने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ अच्छे संस्कारों को अपनाने का भी आह्वान किया जा रहा है। विद्यार्थी आने वाले समय में देश के नव-निर्माण में सहायक हों इसके लिए उन्हें मूल संस्कृति से जोडऩे का कार्य भी प्रकल्प कर रहा है। विद्यालयों में एक-दिवसीय योग शिविर लगाने के क्रम में वर्ष-२०१७ में ५४,९६६ से अधिक शिविर लगाये गये हैं।
आरोग्य सभा
प्रात:काल योग सेवा करने, दिन में विद्यालय शिविर की सेवा के उपरान्त सायंकाल गाँव में आरोग्य सभाओं का आयोजन प्रकल्प कर रहा है। कैसे ग्रामवासी/शहरवासी योग के साथ-साथ आयुर्वेद के विषय में जागरूक बनें, इसके लिए आरोग्य सभा के माध्यम से प्रकल्प उनमें जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहा है। ग्रामीण जड़ी-बूटियों को प्रत्यक्ष दिखाकर रोगानुसार उनका प्रयोग भी ग्रामवासियों को बताया जा रहा है। गाँव-गाँव में वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार तथा जन-मानस श्रद्धान्वित हों, इसके लिए आरोग्य सभा के माध्यम से वैदिक ग्रन्थों का स्वाध्याय आम-जनमानस को कराया जा रहा है।
स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत वर्ष 2017 में योग प्रचारक प्रकल्प 22,000 से अधिक स्वच्छ भारत के कार्यक्रम गाँव-गाँव, शहर-शहर में आयोजित कर चुका है। हमारे योग प्रचारक प्रत्येक गाँव में 5 दिन प्रवास करते हैं। इस दौरान संगठन के कार्यकत्र्ताओं, स्थानीय सरपंच, ग्राम प्रधान एवं अन्य प्रबुद्ध सामाजिक कार्यकत्र्ताओं के साथ मिलकर 5 दिन के लिए स्वच्छता का बृहद् अभियान चलाया जाता है।
स्वदेशी स्टोर स्थापना
स्वदेशी से स्वावलम्बी भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए प्रकल्प ग्राम स्तर पर स्वदेशी स्टोर खोलने के अभियान को गति दे रहा है। सभी योग प्रचारक अभ्युदय विभाग से सम्पर्क कर स्वदेशी स्टोर की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हैं। भविष्य में इस सेवा कार्य के लिए प्रकल्प और अधिक ऊर्जा लगायेगा। यह प्रकल्प जहाँ एक ओर स्वदेशी अभियान को आगे बढ़ाने में लगा है, वहीं दूसरी ओर बेरोजगार युवाओं को रोजगारोन्मुख भी कर रहा है।
ग्राम समिति निर्माण
प्रकल्प ग्राम स्तर पर संगठन विस्तार पर भी कार्य कर रहा है। जिस गाँव में ५ दिवसीय योग शिविर संचालित होता है, उस गाँव में ग्राम समिति का निर्माण कर उसे संगठन से जोड़ा जाता है। स्वामी जी महाराज की दूरदृष्टि है कि राज्य, मण्डल, जिला एवं तहसील से लेकर गाँव तक अपना संगठन सशक्त हो। ग्राम समिति के लिए ग्राम प्रभारी, महिला ग्राम प्रभारी, युवा ग्राम प्रभारी, नियमित योग शिक्षक एवं किसान प्रभारी आदि नियुक्त किये जाते हैं।
हवन-यज्ञ द्वारा पर्यावरण रक्षा
हवन-यज्ञ वैदिक संस्कृति की आत्मा है। प्रकल्प योग प्रचारकों के माध्यम से योग के साथ-साथ यज्ञ के द्वारा पर्यावरण रक्षा के अभियान को आगे बढ़ा रहा है। प्रत्येक योग शिविर की समाप्ति पर हवन-यज्ञ का आयोजन कर आम-जनमानस को भी यज्ञ की भावना से जोड़ा जा रहा है।
स्थाई कक्षाओं का निरीक्षण
५ दिवसीय योग शिविरों को नियमित योगकक्षा में परिणत करना योग प्रचारक का मुख्य लक्ष्य है। प्रत्येक शिविर के मध्य एवं शिविर पश्चात् नियुक्त नियमित योग शिक्षक से निरन्तर संवाद व निरीक्षण करके नियमित योग कक्षाओं का संचालन सुनिश्चित किया जाता है।
उन्नत तकनीक का समुचित उपयोग
प्रकल्प द्वारा तकनीक का समुचित उपयोग करते हुए एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन तैयार कराया गया है जिसके माध्यम से प्रत्येक योग प्रचारक को अपने प्रतिदिन के क्रियाकलाप की जानकारी मुख्यालय को देनी होती है जिससे कि आलस्य व अकर्मण्यता का कोई स्थान न रहे। इस एप्लीकेशन के माध्यम से संस्थान द्वारा समय-समय पर योग प्रचारकों का निरीक्षण व उन्हें निर्देशित भी किया जाता है।
सोशल मीडिया द्वारा अभियान
आज का युग विचारों का युग है। सोशल मीडिया अपने विचारों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। हमारे सभी योग प्रचारक योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, संस्कृत आदि के प्रचार-प्रसार हेतु फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्वीटर आदि पर भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
श्रेष्ठ योग प्रचारकों का सम्मान
प्रकल्प देशभर में श्रेष्ठ कार्य करने वाले शीर्ष दस योग प्रचारकों को चयनित कर उनका सम्मान करता है जिससे उनमें निरन्तर उत्साहपूर्वक राष्ट्रसेवा के इस पुनीत कार्य को करने का उत्साह बना रहे।
योग के माध्यम से रोजगारोत्पत्ति
इस बढ़ती बेरोजगारी के समय में पतंजलि द्वारा रोजगार के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया जा रहा है। प्रकल्प द्वारा प्रतिवर्ष सैकड़ों योग प्रचारकों का चयन किया जाता है जिनको कार्य की गुणवत्ता व प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकित कर समुचित मानदेय प्रदान किया जाता है।
नये योग प्रचारक बनने हेतु पाठ्यक्रम
प्रकल्प द्वारा श्रेष्ठ योग प्रचारकों के चयन हेतु विशेष पाठ्यक्रम का निर्धारण किया गया है जिसमें घरेलू उपचार, आयुर्वेद के अनुसार आहार-विहार, आकस्मिक चिकित्सा, मुख्य रोगों के लिए श्रेष्ठ औषधियों तथा पतंजलि सम्मत विशेष योगाभ्यास क्रम का समुचित ज्ञान शामिल है।
योग सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वजनिक महत्त्व की ऋषि-मुनियों की एक अनमोल विरासत है। कर्म करने में सबसे बड़ी कुशलता (चातुर्य) ही योग है। इस योग को जीवन में अपनाने से बन्धन स्वभाव वाले कर्म भी योगी को बन्धन में नहीं डाल पाते हैं। शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म एवं शुद्ध उपासना अर्थात् ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग- यह योग की त्रिवेणी है। यह मात्र एक ऐसा दर्शन है, जिसके सबल सैद्धान्तिक पक्ष का ही नहीं अपितु उन्हें बोध कराने वाले क्रियात्मक साधनों का भी ऋषियों ने प्रतिपादन किया है, जिन्हें आचरण में लाकर प्रत्येक मनुष्य अपना कल्याण अपने हाथों करने की योग्यता व क्षमता प्राप्त कर लेता है।
योग विज्ञान-संमत जीवशैली का नाम है, जिससे व्यक्ति का संपूर्ण व्यक्तित्व सकारात्मक रूप में प्रभावित होता है। इससे व्यक्ति न केवल आधि, व्याधि व उपाधि से मुक्त होता है, अपितु समाधि की प्राप्ति भी कर लेता है। प्रतिदिन योग करने से व्यक्ति के जीवन से रोग, शोक, क्षुद्रता, तनाव, अवसाद, आत्मग्लानि, मोह व दरिद्रता आदि व्यक्ति की कमजोरियाँ समाप्त हो जाती हैं, ऐसे लोगों से युक्त समाज समातपूर्ण, प्रगतिशील होता है तथा राष्ट्र समृद्ध व समर्थ बन जाता है। अत: पूरा विश्व प्रात: उठकर प्रतिदिन योग करे, ऐसा मेरा स्वप्र है।
-पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज
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