पतंजलि में 'कृषक समृद्धि योजना’ का शुभारंभ

पतंजलि में 'कृषक समृद्धि योजना’ का शुभारंभ

राकेश कुमार

मुख्य केन्द्रीय प्रभारी, पतंजलि योग समिति

 

तंजलि योगपीठ में कृषक समृद्धि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के डायरेक्टर जनरल डॉ. त्रिलोचन महापात्र जी, पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज, पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. पी.एल. गौतम जी, भारतीय कृषि कौशल विकास परिषद् के उपाधीक्षक डॉ. कर्नल गुप्ता जी, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के श्री महेन्द्र पायल जी, भारतीय कृषि कौशल विकास परिषद् के सी.ई.ओ. श्री सत्येन्द्र आर्य जी, पी.बी.आर.आई. के डॉ. रविन्द्र बाबू, श्री पवन कुमार, डॉ. ए.के. मेहता, डॉ. आर.के. आनन्द तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित देश के लगभग 600 जिलों से 5000 से अधिक किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी महाराज ने भाभा एटामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा पी.बी.आर.आई. के सहयोग से विकसित 'सीता मृदा किटको लांच करते हुए कहा कि जब तक किसान को यह पता नहीं होगा कि उसके खेत में किस तत्व की कमी है, तब तक वह अनावश्यक या आवश्यकता से अधिक खाद इत्यादि का प्रयोग करता रहेगा। मृदा परीक्षण किट का उद्देश्य है कि किसान को पता चले कि उसके खेत में किस तत्व की आवश्यता है। खाद इत्यादि आवश्यकतानुसार प्रयोग करने से किसान की लागत कम होगी, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी। इसके लिए सीता मृदा परीक्षण किट सर्वोत्तम है। इसकी कीमत बाजार में उपलब्ध अन्य मृदा परीक्षण किट्स की तुलना में काफी कम है। यह प्रयोग करने में बहुत आसान है तथा सामान्य किसान भी स्वयं इससे जाँच कर सकता है।
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया के अलग-अलग देशों में 10-20 प्रतिशत लोग कुदरती, विषमुक्त और जैविक कृषि उत्पादों को दोगुने या कहीं-कहीं तो चार गुना दाम में भी खरीद रहे हैं। रासायनिक तरीके से उगाए गए कृषि उत्पादों से होने वाली खतरनाक बीमारियों के प्रति लोग अब जागरूक हो रहे हैं। आने वाले 10-20 वर्षों में भारत में भी लोग तेजी से कुदरती, विषमुक्त व जैविक खेती की तरफ लौटेंगे, उसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी। हमें जैविक कृषि आधारित बाजार विकसित करने के साथ-साथ किसानों को भी प्रशिक्षित करना होगा। उन्होंने बताया कि पतंजलि ने सैकड़ों शाक-सब्जियों, फलों तथा अन्य कृषि उत्पादों पर वैज्ञानिक अनुसंधान कर उनका डाक्यूमेंटेशन किया है।
परम पूज्य स्वामी जी महाराज स्वयं किसान पुत्र हैं और अपने हाथों से कृषि व गौ-पालन किया है। वे किसानों की प्रत्येक समस्या से परिचित हैं। केवल बुद्धिजीवी या राजनेता किसान का भला नहीं कर सकता, किसान का भला केवल किसान का बेटा ही कर सकता है।
आयुर्वेद को विश्वपटल पर स्थापित करने वाले आयुर्वेद शिरोमणि श्रद्धेय आचार्य जी ने जड़ी बूटियों की खेती से किसानों को स्वावलंबी बनाने के बाद अब कृषि को विषमुक्त करने के लिए बड़ा संकल्प लिया है। देश के सबसे बड़े किसान स्वावलंबन योजना के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने कहा कि श्रद्धेय स्वामी जी के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ ने हमेशा नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं, पतंजलि ने कभी किसी का अंधा अनुकरण नहीं किया अपितु हमेशा देश और दुनिया के लोगों के लिए अनुकरणीय कार्य करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है, आज का यह कार्यक्रम भी उसी तरह से एक उदाहरण बनेगा। पतंजलि कृषक समृद्धि कार्यक्रम न केवल सफलता की ऊँचाइयों को प्राप्त करेगा, अपितु देश और दुनिया के लिये भी एक उदाहरण बन कर दिखायेगा, यह हमें पूरा विश्वास है। आज प्रत्येक राज्य के किसान भाईयों के रूप में पूरा भारत पतंजलि में उपस्थित है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि  1950-60 के दशक में 30-35 करोड़ जनता को खिलाने के लिए भी पर्याप्त खाद्यान्न नहीं था लेकिन अब 2017-18 की तुलना करें तो 1950-51 की तुलना में हमारा खाद्यान्न उत्पादन 5.5 गुना बड़ा है। किसानों के परिश्रम के फलस्वरूप आज हम खाद्यान्न, दलहन, दुग्ध उत्पादन, पशु पालन, मत्स्य पालन में आत्मनिर्भर हुए हैं। किन्तु अभी भी बढ़ती जनसंख्या हमारे समक्ष एक बड़ी समस्या है। जहाँ एक ओर कृषि भूमि कम हो रही है, पानी की उपलब्धता व भूमि की उर्वरा क्षमता घटती जा रही है, ऐसे में इतनी जनसंख्या के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति बड़ी चुनौती है। वर्तमान परिपेक्ष्य में परम्परागत कृषि में नवीन तकनीक के समन्वय पर विचार करना अत्यावश्यक है।  जैविक कृषि को उन्नत बनाने के लिए पतंजलि के माध्यम से जो कार्य किया जा रहा है वह निश्चित ही सराहनीय है। स्वामी जी महाराज ने देश को योग से स्वास्थ्य प्रदान किया है। पतंजलि के द्वारा श्रद्धेय आचार्य जी के पुरुषार्थ से योग, आयुर्वेद व जैविक कृषि का प्रचार-प्रसार हुआ है तथा सामाजिक व राष्ट्रीय जीवन में क्रान्ति की नई शुरुआत हुई है। 
डॉ. पी.एल. गौतम, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल ने किसानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे किसान भाई 135 करोड़ देशवासियों के लिए अन्न उत्पादित कर रहे हैं। रासायनिक खादों व दवाओं से उत्पादन वृद्धि टिकाऊ नहीं है जबकि परम्परागत जैविक कृषि टिकाऊ व दुष्प्रभाव रहित है और पतंजलि के द्वारा किसानों का यह बड़ा कार्य निश्चित ही सफल होगा। पतंजलि ने राष्ट्रहित में बहुत बड़ा बीड़ा उठाया है। डॉ. कर्नल गुप्ता, उपाधीक्षक भारतीय कृषि कौशल विकास परिषद् के बताया कि पतंजलि के माध्यम से 80 हजार किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रशिक्षित करने की वृहद् योजना है। श्री सत्येन्द्र आर्य, सीईओ भारतीय कृषि कौशल विकास परिषद् ने कहा कि पतंजलि ने भारतीय संस्कृति के रक्षण का बड़ा कार्य किया है। सभी किसानों में कौशल है, लेकिन उसे प्रमाणित नहीं किया गया था। प्रमाणिकरण के पश्चात् किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। पतंजलि में इस शिविर के माध्यम से 120 घण्टे का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
इस योजना से जुडऩे के लिए देश के किसान भाई स्थानीय पतंजलि किसान सेवा समिति से जुड़ सकतें हैं। इस योजना के अंतर्गत स्थानीय स्टाल पर नि:शुल्क जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के विषय में अधिक जानकारी के लिए हमारे निम्र कृषि समन्वयकों से सम्पर्क करें-

देश के विभिन्न राज्यों में पतंजलि के राज्य समन्वयकों की सूचि

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