अनुभूति आपकी

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फंगल इन्फेक्शन में हुआ लाभ

मुझे पिछले 5 वर्ष से पूरे शरीर में फुंसियाँ, लाल निशान तथा खुजली थी। काफी जगह इलाज कराया किन्तु सब व्यर्थ रहा। एलोपैथी चिकित्सा में कुछ समय के लिए त्वरित आराम तो मिल जाता था किन्तु कुछ समय बाद परेशानी और तीव्र गति से बढ़ जाती थी। मेरे एक मित्र ने मुझे सलाह दी कि एलोपैथी में इसका पूर्ण निदान सम्भव नहीं है, इसके लिए आयुर्वेद ही सर्वोत्तम निरापद चिकित्सा पद्धति है। मैंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति आधारित सर्वश्रेष्ठ चिकित्सालय 'पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल’ में उपचार कराने का निश्चय किया। डॉ. आशीष शर्मा जी के कुशल मार्गदर्शन में मेरा उपचार शुरू हुआ।
चिकित्सक के परामर्शानुसार मैंने कायाकल्प वटी, गिलोय सत्, रसमाणिक्यताल सिन्दूर, प्रवाल पिष्टी, गंधक रसायन, कैशोर गुग्गुलु, आरोग्यवर्धिनी वटी, निम्ब घनवटी, खदिरारिष्ट, कायाकल्प तैल, सर्वकल्प क्वाथ का प्रयोग किया।
साथ ही निरन्तर आठों प्राणायाम- भस्त्रिका, कपालभाति, बाह्य प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी उद्गीथ, उज्जायी व प्रणव प्राणायाम के पूर्ण पैकेज का अभ्यास किया।
मैं अब लगभग स्वस्थ (९५ प्रतिशत) हूँ तथा आशा है कुछ ही दिनों में पूर्ण स्वस्थ सुखी जीवन का आनन्द ले सकूँगा। 
 
भवदीय, रविन्दर सिंह, मंगोलपुरी, दिल्ली
 

मलांत्र के कैंसर में आशातीत लाभ

मैं मलांत्र कैंसर (CA Rectum) से पीडि़त हूँ। कैंसर का पता चलने पर मैंने गोरखपुर में उपचार प्रारम्भ किया। एलोपैथ चिकित्सकों न मुझे ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय बताया। सौभाग्य से यूं ही एक दिन एक कैंसर पीडि़त से मुलाकात हो गई जो पतंजलि हास्पिटल में उपचार करा रहा था। उसने मुझे बताया कि पतंजलि में उपचार से उसे काफी आराम है। मैंने पहले भी पतंजलि की सफल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के विषय में काफी कुछ सुना था। मैंने दिसम्बर २०१७ में पतंजलि में उपचार प्रारम्भ किया जहाँ डॉ. एस.सी. मिश्रा जी ने सर्वकल्प क्वाथ, कायाकल्प क्वाथ, संजीवनी वटी, शिला सिन्दूर, ताम्र भस्म, गिलोय सत्, अभ्रक भस्म, हीरक भस्म, मुक्ता पिष्टी, प्रवाल पंचामृत आदि आयुर्वेदिक औषधियों से मेरा उपचार प्रारम्भ किया। घरेलु नुस्खों में मुझे गेहूँ के ज्वारे का रस, गिलोय रस, घृतकुमारी स्वरस, गोधन अर्क, नीम की पत्तियाँ तथा तुलसी पंचांग का मिश्रण लेने की सलाह दी। मात्र पाँच महीने में ही सी.ई.ए. तथा सी.टी. स्केन रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया था कि मेरा उपचार सही दिशा में है। सी.ई.ए. जो पहले २५.३ था, अब घटकर 6.5 रह गया है।
मुझे आशा है कि जल्द ही मैं कैंसर के इस जाल से पूर्ण मुक्त हो जाऊँगी। मैं पूज्य स्वामी जी महाराज, पूज्य आचार्य जी तथा डॉक्टर साहब का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ।
 
भवदीया, नीलू मिश्रा, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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