शाश्वत प्रज्ञा
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1. कुंभ में तीन बड़ी पहल इस बार हुई, कुंभ से संगम के संदेश के रूप में सबसे बड़ी पहल थी सभी शीर्ष सन्तों ने एक स्वर से कहा कि हम सब एक ईश्वर की सन्तान, हम सब एक ही पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं, वीर-वीरांगनाओं की सन्तान, एक ही भारत माता, धरती माता (माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्या:) की संतान हैं, इसलिए सभी एक समान एवं सभी महान् हैं। जात-पात एवं मत-पंथों के नाम पर किसी भी प्रकार का भेदभाव अब भारत में हम नहीं होने देंगे। दूसरी बात मन्दिर निर्माण के साथ चरित्र निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण में सन्त एवं सभी देश के नागरिक एक बड़ी भूमिका निभाएँगे तथा तीसरी बात साधुओं में नशामुक्ति अभियान। जिन साधुओं ने घर-परिवार एवं संसार के सब भोग-विलास छोड़ दिए, उनको उत्साहित करके चिलम एवं अन्य नशा आदि से दूर रहने का अत्यन्त प्रेम पूर्वक आह्वान करके नशा मुक्ति का संकल्प दिलवाया, इससे साधुओं का गौरव बढ़ाया।
2. भारतीय शिक्षा बोर्ड से देश में शिक्षा के भारतीयता या स्वदेशीकरण का एक क्रान्तिकारी अभियान का सूत्रपात होगा।
3. राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रधर्म आज सर्वोपरि होना चाहिए, क्योंकि देशद्रोही ताकतें एवं देश के दुश्मन देश के भीतर एवं बाहर भारत के विरुद्ध गहरी साजिशें रच रहे हैं। ऐसे में सम्पूर्ण देशवासियों को संगच्छध्वं.... एकजुट होकर देश को बचाना होगा और विदेशी ताकतों का आर्थिक व राजनैतिक बहिष्कार करना होगा।
स्वामी रामदेव
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