भविष्य का भारत और हमारी भूमिका विषय पर विचार मंथन
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हरिद्वार, 06 सितम्बर। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में देवभूमि के 18 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का समागम हुआ। इस दौरान भविष्य का भारत और हमारी भूमिका विषय पर विचार संगोष्ठी में मूल्यपरक शिक्षा, युवाओं में नैतिकता-आध्यात्मिकता का समावेश और समग्र विकास को लेकर गहन विचार मंथन हुआ।
विचार संगोष्ठी के मुख्य अतिथि आरएसएस के अखिल भारतीय जनसंपर्क प्रमुख रामलाल ने कहा कि भारत को दुनिया का नेतृत्व करने के लायक बनाना है। उन्होंने कहा कि हमारे विवि ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण करें, जो देश का सही नेतृत्व करने योग्य बन सकें।
पतंजलि विवि के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि शिक्षा, सामाजिक सहित सभी क्षेत्रों में मानसिक, आध्यात्मिक व नैतिक दृष्टि से सबल व्यक्तियों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें समन्वित रूप से वैचारिक, आर्थिक और नैतिक दृष्टि से पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिए युवाओं को तैयार करना है। स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों को विदेशी विद्यालयों से बेहतर बनना होगा।
देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारत की भूमि से ही विश्व को प्रकाशित करने वाला ज्ञान प्रकाश निकला है, जो पूरे विश्व को आलोकित कर रहा है।
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