योगगुरु कहें, योगात्मा या कहें कर्म योगी

योगगुरु कहें, योगात्मा या कहें कर्म योगी

डॉ. रश्मि विजयवर्गीय
(एमबीबीएस, एमएस) स्त्री प्रसूति रोग विशेषज्ञ,
गौरी मैटरनिटी होम कोटा, राजस्थान

योगगुरु कहें,योगात्मा या कहें कर्म योगी, 
पुरुषार्थ से स्वस्थ्य कर रहे असंय रोगी,
स्वनिर्मित स्वप्रेरित कांतिमय व्यक्तित्व ,
संघर्षों से बनाया अपना अस्तित्व, 
महर्षि पतंजलि के सूत्रों का किया प्रचार,
चयनित हुआ देवभूमि पावन नगर हरिद्वार,
अपने आप को किया जब आहुत,
प्रतिपादित हुआ तब एक कथ्य,
रोग नहीं , योग है हमारा स्वभाव 
सबको मिला जब अपूर्व विश्वास, 
जनमानस में जगी तब एक आस, 
योग से मिलेगा आरोग्य, 
यदि तज सकोगे भोग, 
विदेश भी प्रशंसक हुआ योग का, 
योग में फिर योग किया आयुर्वेद का,
आरंभ किया एक छत नीचे मिश्रित उपचार,
किया मानव जाति पर अद्वितीय उपकार,
कई आरोपों से हुए आक्षेपित, 
निर्लिप्त रहे नहीं हुए तनिक विचलित, 
लक्ष्य किया था बड़ा  निर्धारित , 
भारतवर्ष को करना था योग संस्कारित , 
निर्विघ्न नहीं था मार्ग सैंकड़ों थे व्यवधान, 
निरंतर बढ़ते रहे, ढूंढते रहे समाधान, 
स्वदेशी की ऐसी अलख जगाई ,
विदेशी संस्थाओं की नींद उड़ाई,
कुछ देशी को भी जाग रास नहीं आयी, 
अपनों से भी लडऩी पडी  लड़ाई, 
आचार्य बालकृष्ण सह करे अनवरत नवाचार,
अथक परमार्थ से किए अनेक अवरोध पार, 
ऊर्जित योगमय भोर मिटाती अंधकार, 
दुखियों में करते आशा का संचार, 
सत्य प्रेरणा से बतलाते संभावना अपार,
दिखलाते प्राणयाम से कैसे हो रहा उद्धार,
घर-घर योग से जुड़ी करोड़ों की आस्था, 
करी आरोग्य हेतु अनेकों संस्थान की व्यवस्था,
सर्वहिताय सोच को किया अनुसरित,
संस्कार बीज गुरुकुल में किया रोपित,
राम कृष्ण के वंशज गौरीशंकर के उपासक,
ये हैं स्वामी रामदेव योग प्रवर्तक,
जुड़े उनसे अनेक योग विकासक,
असंख्य हुए स्वामी जी के प्रशंसक,
योग से निकली आरोग्य की रश्मि,
निरोगी हो सब कहें अहं ब्रह्मऽस्मि,
।। अहम् ब्रह्मऽस्मि।।
।। तत्त्वमसि ।।
 

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