नित प्राणायाम करें
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सुबह और शाम करें, नित प्राणायाम करें
प्राण ही तो जिन्दगी की असल कमाई है।
रोग, शोक, मोह में, चिन्ता में वियोग में
सारी जमा पूंजी यूँ ही व्यर्थ गंवाई है।
आँत-दाँत, वात रोग, टी.बी., हृदय, श्वास रोग
कंचन सी काया, देखो नरक बनाई है।
कहें गुरु रामदेव, योग में है सर्वदेव
योग साधना से सारी सिद्धियाँ पाई हैं।
जहाँ भोग वहाँ रोग, जहाँ योग वहाँ राम
योगऋषि गुरुदेव को, शत्-शत् बार प्रणाम।
शत्-शत् बार प्रणाम, योगी की नाव खिवैया
देश-विदेश में धूम, बही पश्चिम में पुरवैया।
लिया संकल्प महान्, रहे कोई न रोगी।
स्वस्थ सबल हो देश बसें घर-घर में योगी।
गुरुवर अपने योग ने गजब दिखाया खेल
प्राणायाम के सामने सब पैथी हैं फेल।
सब पैथी हैं फेल, बने साँसों के इकतारे
जो थे बेबस-लाचार, आज खुद बने सहारे।
पाया योग प्रकाश जिन्दगी सदा दिवाली
शत्-शत् बार प्रणाम योग बगिया के माली।
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