श्रद्धेय योगऋषि परम पूज्य स्वामीजी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...
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भारत का सामर्थ्य - फरवरी माह में आर्थिक उथल पुथल, वैश्विक मंदी, कोर्पोरेट, पाल्टिश्यन्स के गठजोड़ एवं ताकतवर देशों के संघर्ष, युद्ध एवं गुटों में विश्व के विभाजन, वैश्विक रागद्वेष, प्रतिशोध के साथ न्याय व सत्य के नाम पर अन्याय व असत्य का खुला तांडव दिखा और इन सबके बीच भारत, भारतीयों व भारतीयता की भूमिका पर विश्व की दृष्टि रही।
राजनीति एवं मजहबी बातों में मतभेद होते हुए भी भारत के बाजार में संसाधन, सामर्थ्य, प्रतिभा एवं भारत की वैश्विक भूमिका, हस्तक्षेप, पथप्रदर्शन, मार्गदर्शन व अपनी बातें विश्व समुदाय से मनवाने की, भारत की ताकत का लोहा अब दुनियां दबे स्वर से ही स्वीकारती दिख रही है। सैन्य शक्ति एवं संसाधन, ज्ञान-शक्ति, अर्थशक्ति, आभासी अर्थशक्ति कैपिटल वल्र्ड मार्केट कैप की मायवी शक्ति, रीयल इकोनोमिक स्ट्रैंथ से लेकर कृषि, वाणिज्य, उत्पादन, विज्ञान, तकनीकी एवं सेवा (सर्विसेज), हैल्थ, एजुकेशन, रिसर्च, नेचर, कल्चर, इन्वायरमेंट, वैलनेस एवं स्प्रिचुलिटी आदि सभी दिशाओं से भारतविश्व को बहुत कुछ देने की स्थिति में होगा और है भी। बस एक ही बात पर भारत को सर्वाेपरि प्राथमिकता देनी होगी आने वाले कम से २-३ दशकों तक पुरुषार्थ की पराकाष्ठा करते हुए ८-१८ घंटे सभी देशवासी, सभी दिशाओं से देश को इतना समृद्ध, समर्थ व शक्तिशाली बना दें कि विश्व के तमाम षड्यंत्र निष्प्रभावी हो जायें एवं भारत वैश्विक मुद्दों पर निर्णायक स्थिति में आ जायें। काल्पनिक आभासी शक्तियों एवं वास्तविक शक्ति, सामथ्र्य, सत्य तथा न्याय में भेद की समझ में देशवासियों को मायावी, आकर्षणों, प्रदर्शनों, आडम्बरों एवं सनातन शाश्वत सत्यों, तथ्यों व वास्तविक व्यवहारिक मूल्य, आदर्श, सत्य, सिद्धान्तों में भेद सिखाना चाहता हूँ। जैसे- फिल्म, सीरियल, मनोरंजन, नाचगाना, मायावी राजनीति, विलासितापूर्ण दृश्य, प्रदर्शन मूलक , दम्भ दर्प व अपरिग्रह के विपरीत परिग्रह अविवेकपूर्ण स्वामीत्व का मोह एवं अति उपभोक्तावाद तन, मन, धन एवं आत्म को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से हानि करने वाले मनसा वाचा कर्मणा निष्पादित होने वाला राजसिक व तामसिक आचरणादि ये सब व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व के लिए एक त्रासदी, तबाही, पाप, अपराध, अन्याय, अधर्म एवं महाविनाशकारी हैं। इस सब बातों को नितान्त आवश्यक होने पर १त्न से अधिकतम २% महत्व दे सकते हैं जैसे चुनाव के समय मतदान एवं विशेष अवसरों पर एडवेंचर या इन्टरटेन्मेंटतादि। कभी भी नेता, अभिनेताओं एवं विलासिता में जीने वाले सोकोल्ड सैलीब्रीटिज का अपना हीरो, आदर्श, नायक, रोल मॉडल या आइकोन मत बनाना। राजनेताओं जो पूर्ण तपस्वी, सात्विक आत्मा हैं उन्हीं को आदर्श मानना, साहित्य संगीत, कला, नृत्य एवं सैलीब्रिटीज में भी चाहे वह किसी भी जात, कर्म, समुदाय, देश का महान व्यक्तित्व एक वाक्य में हम सार या निष्कर्ष कहें तो पूर्ण सात्विक चेतना, दिव्य जीवन, व्यक्तित्व वाले श्रेष्ठ जनों को समाज में सर्वोपरि गौरव सम्मान देना चाहिए। वास्तविक सत्य, सनातन, सामथ्र्य, न्याय एवं धर्म है दैवी समद, पूर्ण सात्विकता, विवेकपूर्ण श्रद्धा एवं परमार्थमूलक पूर्ण पुरुषार्थ सकारात्मक सृजन, उत्पादन, प्रकृति एवं संस्कृतिमूलक समृद्धि एवं अपने अन्तर्मन व आत्मा में सदा पूर्ण तृप्ति व आनन्दानुभूति यही अभ्युदय एवं नि:श्रेयस धर्म, कर्त्तव्य, मन्तव्य तथा गन्तव्य है। इसे ही निवृत्तिमूलक, प्रवृत्ति, संस्कृतिमूलक, समृद्धि, योगमूलक, कर्मयोग, विनयमूलक, वीरता, शौर्य या पराक्रम कहते हैं। यही हमारा सनातन धर्म है, सभी देशवासियों को क्षणिकवाही, मायावी लोगों एवं छद्म प्रपंचों, झूठे सपने दिखाने वाले आडम्बरों की चादर आदि मायावी लोगों से दूर रहना चाहिए।
यह कितना सरल, सहज व व्यवहारिक सत्य है कि आपका जीवन सत्य, पुरुषार्थ एवं परस्पर सामूहिक विश्वास पर टिका है, इसी से आपके घरों में स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, शान्ति व खुशहाली है। 99% लोगों के कठोर पुरुषार्थ से अर्जित अर्थ का टैक्सादि के माध्यम से संचय करके क्या-क्या करते है? ये सब आप जानते हैं। सारा देश लगभग अपनी कमाई का 50% प्रत्यक्ष या परोक्ष करो के रूप में देता है। इसी तरह बड़ी-बड़ी सैलीब्रीटीज, नशा, अश्लीलता व विलासितापूर्ण जीवन शैली परोसने वाले चंद लोग आपके 10% से 20% सम्पत्ति हर लेते हैं। बची-कुची आपकी दौलत मेडिकल माफिया एवं मजहबी माफिया लूट लेते हैं। एजुकेशन माफिया कुछ देकर बहुत कुछ ले लेते हैं इसलिए थोड़े क्षम्य हैं। इन सबके प्रपंच, गठबंधन एवं षड्यंत्रों से सावधान रहकर 99% लोगों को जागरुक होकर १त्न मायावी लोगों से सावधान रहते हुह्वए आत्मनिर्माण, राष्ट्र निर्माण एवं युग निर्माण में श्रेष्ठ योगदान देना है।
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