अनुभूति आपकी

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प्रोस्टेट कैंसर को किया परास्त
शुरूआत में मुझे पेशाब करने में परेशानी होती थी। मैंने जाँच कराई तो पता चला कि मुझे पौरुष ग्रंथि में कैंसर (प्रोस्टेट कैंसर)है। तब मैंने पतंजलि आयुर्वेद हास्पिटल में डॉ. एस.सी. मिश्रा जी को दिखाया। उन्होंने मुझे 10 दिन तक अंतरंग विभाग में भर्ती कर उपचार प्रारम्भ किया। इसके पश्चात घर पर ही लगभग ३ माह लगातार निर्देशित औषधियों से उपचार लिया।
मैंने अब जाँच कराई तो पता चला कि 70 प्रतिशत आराम है। यूरिनरी ब्लेडर का साइज जो 6.4 
से 4.4 सेमी. था अब घटकर मात्र 2.9 से 2.5 रह गया है। अब मुझे पेशाब करने में भी तकलीफ नहीं है।
मुझे पूरा विश्वास है कि पतंजलि आयुर्वेद हास्पिटल से मैं जल्द ही पूर्ण स्वस्थ हो जाऊँगा। निश्चित ही पूज्य स्वामी जी महाराज तथा आचार्य जी पतंजलि के माध्यम से समाजसेवा का महान् कार्य कर रहे हैं। मैं इनको प्रणाम करता हूँ। इनके साथ ही मैं डॉ. एस.सी. मिश्रा जी को भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने मुझे नया जीवन प्रदान किया। 
भवदीय
ओम प्रकाश शर्मा, जोधपुर, राजस्थान।
थायराइड रोग से मुक्ति

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मैं पिछले 5 वर्षों से थायराइड रोग से ग्रसित हूँ। मार्च 2016 में पहली बार पतंजलि योगपीठ उपचार के लिए आई थी जहाँ डॉ. आशीष कुमार ने जाँच के पश्चात् मेरा उपचार प्रारम्भ किया। मैंने दवा के साथ-साथ योग, प्राणायाम का भी भरपूर लाभ लिया। उपचार के लगभग २ वर्ष के बाद अब थायराइड सम्बन्धी लक्षण लगभग समाप्त हो गये हैं। पैथोलॉजिकल जाँच रिपोर्ट कराने पर पता चला कि मेरा टीएसएच लेवल जो कि 14.25 था अब मात्र 4.16 रह गया है। उपचार से मुझे 90 प्रतिशत आराम मिला। 
भवदीया
अर्चना, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
शरीर पर निशान तथा धब्बों से मिला छुटकारा

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मेरे पुत्र सत्यम कुमार के पूरे शरीर पर नीले रंग के निशान पड़ गए थे। कई जगह ईलाज कराया परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। मैंने पतंजलि योगपीठ में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के विषय में सुना तो तुरन्त अपने पुत्र को लेकर पतंजलि योगपीठ पहुँची जहाँ डॉ. प्रियंका वाधवा जी के दिशानिर्देशन में उपचार प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। शुरुआती जाँच में ही स्पष्ट हो गया कि मेरा पुत्र idiopathic thrombocytopenic purpura नाम की बीमारी से ग्रसित है। उपचार प्रक्रिया में सर्वकल्प क्वाथ, संजीवनी वटी, ताम्र भस्म, गिलोय सत, अभ्रक भस्म, हीरक भस्म, स्वर्ण वसन्तमालती रस, मुक्ता पिष्टी, प्रवाल पंचामृत, मुलेठी चूर्ण, आरोग्यवर्धनी वटी आदि आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया गया। इसके साथ गेहूँ के ज्वारे का रस, गिलोय स्वरस, घृकुमारी स्वरस, गोधन अर्क, नीम की पत्तियों का रस तथा तुलसी पंचांग रस इत्यादि लेने की सलाह भी दी गई जिसका उचित अनुपान में प्रयोग किया गया। साथ ही कुछ योग, प्राणायाम तथा आसन आदि की क्रियाएं भी कराई गई। उपचार प्रक्रिया के बाद अब मेरा पुत्र पूर्ण स्वस्थ है।
भवदीया
पींकी देवी, मुजफ्फरपुर, बिहार
 
हृदय रोग में हुआ लाभ

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मैं पिछले १६ वर्ष से Valvular Heart Disease (हृदय रोग का प्रकार) से पीडि़त हूँ। बीमारी का पता चलने के बाद मैंने बहुत से डॉक्टरों को दिखाया पर सब व्यर्थ रहा। इसके बाद मैंने 2008 में पतंजलि योगपीठ के डॉ. पीयूष गुप्ता से उपचार प्रारम्भ किया। उपचार प्रक्रिया से मुझे अप्रत्याशित लाभ हुआ। मैं पिछले 10 वर्षों से पतंजलि की निरापद औषधियों से उपचार ले रहा हूँ तथा अब मुझे 15 प्रतिशत आराम है। इस लाइलाज बीमारी से मुझे मुक्ति मिल गई है। श्रद्धेय स्वामी जी, आचार्यश्री एवं डॉ. पीयूष गुप्ता का हृदय से आभार।
भवदीय
हरि नन्द, शिमला, हिमाचल प्रदेश।

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