‘एजुकेशन फॉर लीडरशिप’ की थीम के साथ पतंजलि गुरुकुम् का वार्षिकोत्सव संपन्न
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परम पूज्य स्वामी जी महाराज तथा परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने लगभग ३ दशक पूर्व स्वदेशी का संकल्प लिया था तब उन्होंने स्वदेशी शिक्षा, स्वदेशी चिकित्सा, स्वदेशी उत्पाद तथा स्वदेशी भाषा के आंदोलन को प्रारंभ किया था। वह छोटी सी चिंगारी आज विराट् जनांदोलन का रूप ले चुकी है। इस लम्बे कालखण्ड में पतंजलि के बैनर तले कई आंदोलन चलाए गए जिनमें स्वदेशी चिकित्सा, स्वदेशी भाषा, दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले स्वदेशी उत्पाद के क्षेत्र में बड़ी क्रांति के पश्चात पूज्य स्वामी जी महाराज ने धूर्त मैकाले के शिक्षा के षड्यंत्र को समाप्त करने हेतु स्वदेशी शिक्षा का शंखनाद किया, जिसके लिए साधन के रूप में उन्होंने पतंजलि के शैक्षणिक संस्थान यथा- पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय तथा पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान आदि स्थापित किए। इसके साथ ही भारतीय शिक्षा बोर्ड के गठन के साथ एक बहुत बड़ा भगीरथ प्रयास सफल हुआ। शुरूआत में कई परेशानियाँ आईं, कई झंझावातों से गुजरना पड़ा किंतु पूज्य स्वामी जी महाराज के विकल्प रहित संकल्प तथा अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ से वह ऐतिहासिक क्षण आया जब भारतीय शिक्षा बोर्ड को मंजूरी मिली और वह अस्तित्व में आया।
विषयगत शिक्षा के साथ-साथ वैदिक शिक्षा का अनुपम संगम
हाल ही में पतंजलि विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में पतंजलि गुरुकुलम् का ७वाँ वार्षिकोत्सव मनाया गया जिसमें भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्रपे्रम की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ी। पतंजलि गुरुकुलम् में विषयगत शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परम्पराओं व राष्ट्रपे्रम का पाठ भी पढ़ाया जाता है। साथ ही वैदिक शिक्षा के अंतर्गत अष्टाध्यायी, महाभाष्य, वेद, पुराण, गीता, उपनिषद्, व्याकरण आदि में भी विद्यार्थियों को निष्णात किया जाता है।
वार्षिकोत्सव की थीम ‘एजुकेशन फॉर लीडरशिप’
इस अवसर पर स्वामी जी महाराज ने कहा कि इस वर्ष पतंजलि गुरुकुलम के वार्षिकोत्सव पर उसका वैचारिक अधिष्ठान हमने ‘एजुकेशन फॉर लीडरशिप’ रखा है। इस कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान करने और भारतीय महापुरुषों के चरित्र को चरितार्थ करने के लिए पतंजलि गुरुकुलम् के हमारे छोटे-छोटे बाल गोपाल काफी समय से तैयारी कर रहे थे। हम अपने विद्यार्थियों में वह सामथ्र्य गढऩा चाहते हैं जिससे वे विभिन्न क्षेत्रों में पूरे विश्व का नेतृत्व कर सकें। हम उनके भीतर उत्तम व्यक्तित्व, नेतृत्व व चरित्र विकसित कर उन्हें अपने कुलवंश व भारतवर्ष को गौरव बढ़ाने वाले बनाना चाहते हैं। वार्षिकोत्सव कार्यक्रमों में थीम के अनुसार विभिन्न महापुरुषों- श्री राम, श्री कृष्ण, राजा कृष्णदेव राय व गुरु विद्यारण्य स्वामी जी, बिरसामुण्डा, रानी वेलू नचियार आदि के चरित्रों को नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से दिखाया गया।
महापुरुषों का दर्शन राजा कृष्णदेव राय व गुरु विद्यारण्य स्वामी जी
राजा कृष्णदेव राय जिन्होंने पूर्व दक्षिण भारत में प्रारम्भ करके और पूर्व में पश्चिम में जहां तक वो पहुँच सकते थे, बहुत बड़ा साम्राज्य स्थापित किया। उनके पीछे उनके गुरु विद्यारण्य स्वामी जी की बड़ी भूमिका रही। हम देश के एक-एक बालक में वही विचार गढऩा चाहते हैं जो कृष्णदेव राय के मन में गुरु विद्यारण्य स्वामी जी ने गढ़ा। हम चाहते हैं कि देश के बालक कृष्णदेव राय की तरह नये साम्राज्य खड़े कर उनका नेतृत्व करें।
बिरसामुण्डा
ऐसे ही बिरसामुण्डा जी का बदिलानी इतिहास रहा है। मैं जब भी उनके शौर्यपूर्ण बलिदानी जीवन को याद करता हूँ तो मेरा रोम-रोम रोमांचित हो जाता है। हम जब उन प्रसंगों को सुनाते एवं देखते हैं तो उसमें इतने समाहित हो जाते हैं कि हम अपने आप को उनसे भिन्न नहीं देेख पाते। बिरसामुण्डा जी का बलिदानी इतिहास केवल एक आदिवासी और एक नेतृत्व की बात नहीं है। बिरसामुण्डा जी जिनको आदिवासी भगवान कहते हैं, वे पूरे देश का स्वाभिमान हैं। ये सब प्रसंग एक-एक शास्त्र के समान हैं, जैसे किसी ने व्याकरणशास्त्र, दर्शनशास्त्र, आयुर्वेद शास्त्र इत्यादि का अध्ययन किया हो ऐसे ही एक-एक महापुरुष का जीवन भी हमारे लिए एक-एक शास्त्र है और हमारे लिए बहुत बड़ी पात्रता रखता है।
रानी वेलू नचियार
स्वामी जी महाराज ने बताया कि रानी वेलु नचियार के नाम से शायद कई लोग परिचित नहीं होंगे। रानी वेलु नचियार तमिलनाडु के रामनाथपुरम के रामनाद साम्राज्य की राजकुमारी थीं। उन्हें भारत में ब्रिटिशर्स के खिलाफ लडऩे वाली पहली रानी के रूप में गौरव दिया जाता है। जिस समय महिलाओं को बराबरी का दर्जा भी नहीं था और कमजोर समझा जाता था, उस समय उन्होंने शौर्य व वीरता का परिचय देते हुए अंग्रेजों से लोहा लिया। उनकी वीरता व बलिदान को सदैव याद रखा जाएगा।
पतंजलि गुरुकुलम् में प्रवेश को लेकर अभिभावकों की लगी होड़
स्वामी जी ने कहा कि पतंजलि गुरुकुलम् में अपने बच्चों के प्रवेश को लेकर अभिभावकों में होड़ लगी है। ऐसे कई अभिभावक हैं जो चाहकर भी अपने पाल्यों को पतंजलि में प्रवेश दिलाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। देश के लाखों-करोड़ों भाई-बहन जो पतंजलि गुरुकुलम् में, पतंजलि आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय में और भारतीय शिक्षा बोर्ड में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे हैं हमसे जानना चाहते हैं कि वे अपने बच्चों को कैसे विकसित करें? उनके भीतर व्यक्तित्व, नेतृत्व व चरित्र को कैसे गढ़ें? उनके बच्चे उनका, उनके कुलवंश का और भारतवर्ष को गौरव बढ़ाने वाले कैसे बनें? स्वामी जी महाराज ने उन सभी राष्ट्रवासियों का अभिनन्दन किया जो अपने बच्चों को उसी प्रकार गढऩा चाहते हैं, जैसे हम पतंजलि गुरुकुलम् में अध्ययनरत विद्यार्थियों को गढ़ रहे हैं।
पतंजलि गुरुकुलम्
पतंजलि गुरुकुलम् की स्थापना वर्ष २०१७ में की गई। पतंजलि गुरुकुलम् वैदिक एवम् आधुनिक शिक्षा का अद्भुत समन्वय है। यहाँ नर्सरी से कक्षा-१२ तक की शिक्षा प्रदान की जाती है जिसमें आधुनिक विषयों के साथ-साथ सनातन वैदिक परम्परा के परिचायक वेद, दर्शन, उपनिषद्, श्रीमद्भगवद्गीता, पञ्चोपदेश आदि की सुन्दर व्यवस्था है।
पतंजलि गुरुकुलम् में प्रवेश संबंधी जानकारी
पतंजलि गुरुकुलम् में सत्र 2025-26 के लिए नर्सरी से कक्षा-6 तक केवल बालिकाओं का ही प्रवेश होना है। प्रवेश सम्बंधी अन्य जानकारियाँ निम्रवत हैं-
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प्रवेश परीक्षा हेतु ऑनलाइन पंजीकरण दिनांक ०१ दिसम्बर २०२४ से ३१ जनवरी २०२५ तक किया जा सकेगा। पंजीकरण शुल्क १२०० रुपए है।
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कक्षा-५ एवं कक्षा-६ की ऑफलाइन परीक्षा दिनांक ०१.०३.२०२५, कक्षा-३ एवं कक्षा-४ की ऑफलाइन परीक्षा दिनांक ०२.०३.२०२५, कक्षा-१ एवं कक्षा-२ की ऑफलाइन परीक्षा दिनांक ०३.०३.२०२५ तथा नर्सरी, एल.के.जी. एवं
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यू.के.जी. ऑफलाइन परीक्षा दिनांक ०४.०३.२०२५ को पतंजलि योगभवन के वृहद ऑडिटोरियम, निकट पतंजलि वेलनेस फेस-२, हरिद्वार, उत्तराखण्ड में सम्पन्न होगी। ऑफलाइन परीक्षा का समय प्रात: ८:३० से सायं ४:०० बजे रहेगा।
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७ मार्च २०२५ को रात्रि ९ बजे पतंजलि गुरुकुलम् की वेबसाइट ww.patanjaligurukulam.org पर परिणाम घोषित किए जाएँगे।
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दिनांक ०८.०३.२०२५ से १५.०३.२०२५ तक चयनित अभ्यर्थी शुल्क जमा कराकर प्रवेश सुनिश्चित कर सकेंगे।
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दिनांक १६.०३.२०२५ से ३०.०३.२०२५ तक केवल चयनित प्रतीक्षारत अभ्यर्थिगण शुल्क जमा कराकर प्रवेश सुनिश्चित कर सकेंगे।
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नर्सरी, एल.के.जी., यू.के.जी., कक्षा-५ व कक्षा-६ के जिन चयनीत अभ्यर्थियों द्वारा शुल्क जमा करा दिया गया है, वे दिनांक ०१ अप्रैल २०२५ को प्रात: ९ बजे योगभवन में रिपोर्ट करेंगे।
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कक्षा-१, २, ३ व ४ के जिन चयनीत अभ्यर्थियों द्वारा शुल्क जमा करा दिया गया है, वे दिनांक ०४ अप्रैल २०२५ को प्रात: ९ बजे योगभवन में रिपोर्ट करेंगे।
प्रवेश परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम
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कक्षा नर्सरी में प्रवेश के लिए स्वयं का नाम, माता-पिता के नाम का बोध, खेलते समय, अन्यों के साथ साझा करने व देखभाल का भाव, निर्देशों का पालन करना, साथियों के साथ व्यवहार का भाव आदि का अवलोकन किया जाएगा।
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एल.के.जी.में प्रवेश के लिए A-Z मुषित अक्षर ज्ञान, पशु, फल, रंगों के हिन्दी व अंगे्रजी में नागम। स्वर व व्यंजन की जानकारी। संख्या १ से २० तक हिन्दी व अंग्रेजी। संख्या १ से १० तक Number Name.
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यू.के.जी. में प्रवेश के लिए ३ अक्षर स्वर (a,e,i,o,u) शब्द और उनकी फोनिक ध्वनि। पक्षियों की आवाज, घरेलु और जंगली जानवरों के नाम हिन्दी व अंग्रेजी। समान ध्वनि वाले दो या तीन अक्षर वाले शब्द। संख्या- १ से ५० तक तथा तालिका १ से ५ तक।
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कक्षा १ में प्रवेश के लिए This और That प्रयोग, A व An का प्रयोग, ४ अक्षर तुकांत शब्द, पेशा (सामुदायिक सहायक)। जलीय जानवरों के नाम हिंदी और अंगे्रजी में। नंबर १ से १०० तक, संख्या नाम १ से ५० व तालिका १ से १० तक। २ अंकों का जोड़ और घटाव। समान ध्वनि वाले दो एवं तीन अक्षर वाले शब्द।
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कक्षा २ में प्रवेश के लिए कक्षा-१ की NCERT पाठ्य पुस्तकें। हिन्दी व अंग्रेजी में पठन कौशल।
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कक्षा ३ में प्रवेश के लिए कक्षा-२ की NCERT पाठ्य पुस्तकें। हिन्दी व अंग्रेजी में पठन कौशल।
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कक्षा ४ में प्रवेश के लिए कक्षा-३ की NCERT पाठ्य पुस्तकें। हिन्दी व अंग्रेजी में पठन कौशल।
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कक्षा ५ में प्रवेश के लिए कक्षा-४ की NCERT पाठ्य पुस्तकें। हिन्दी व अंग्रेजी में पठन कौशल।
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कक्षा ६ में प्रवेश के लिए कक्षा-५ की NCERT पाठ्य पुस्तकें। हिन्दी व अंग्रेजी में पठन कौशल।
नोट :
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श्रीमद्भगवद्गीता का सम्पूर्ण १६वाँ अध्याय सभी कक्षाओं के लिए अनिवार्य है। इसके साथ ही योग कौशल का मूल्यांकन भी किया जाएगा।
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कृपया सभी नवीनतम सूचनाओं के लिए वेबसाइट www. patanjaligurukulam.org.in पर जाएँ या ई-मेल द्वारा suchna@patanjaligurukulam.org.in पर अथवा मोबाइल संख्या- +91 8954555999 पर सम्पर्क करें।
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कृपया अपने बच्चों को छात्रावास परिवेश के लिए प्रशिक्षित करें, इससे बच्चे को अनुकूलता रहेगी।
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न्यूनतम आयु के लिए मानदण्ड ३१ मार्च, २०२५ तक कक्षा नर्सरी के लिए ३ वर्ष, एल.के.जी. के लिए न्यूनतम ४ वर्ष (इसी तरह सभी कक्षाओं के लिए बढ़ते क्रम में)।
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नर्सरी, एल.के.जी. और यू.के.जी. के छात्र-छात्राओं की माँ या महिला परिजन को छात्रा के साथ रहना होगा।
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कृपया ध्यान दें कि शुल्क (पंजीकरण, प्रवेश आदि) वापिस योग्य नहीं (Non-refundable) हैं।
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कक्षा-६ की चयनित छात्राओं को पतंजलि गुरुकुलम् की किसी भी शाखा- हरिद्वार या देवप्रयाग में भेजा जा सकता है।
पतंजलि गुरुकुलम् की मुख्य विशेषताएँ :
प्रात: जागरण प्रतिदिन हवन
योग-प्राणायाम शास्त्र
सात्विक भोजन खेल
आधुनिक विषयों का अध्ययन
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