पतंजलि आयुर्वेद एवं पतंजलि चिकित्सालय की सफलता भरी कहानियां

पतंजलि आयुर्वेद एवं  पतंजलि चिकित्सालय  की सफलता भरी कहानियां

  जहां 2003 से पूज्य स्वामी जी महाराज के पतजंलि योग शिविरों ने दुनिया में धूम मचाई। लाखों-करोड़ों लोगों को ऋषि प्रणीत योग-आयुर्वेद का ज्ञान कराया, वहीं पतंजलि आयुर्वेद चिकित्सालय के माध्यम से असंख्य असाध्य रोगियों को मौत के मुंह से वापस लाने में सफल हुए। पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज एवं श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण ने मिलकर योग-आयुर्वेद को पुस्तकों के पन्नों से उठाकर जनमानस के जीवन में स्थापित किया है। उसी का प्रत्यक्ष प्रभाव है कि नित्य प्रति देश-विदेश से सैकड़ों लोग योगपीठ पधार कर पतंजलि योगपीठ परिसर में सैकड़ों आयुर्वेद विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा नि:शुल्क परीक्षण एवं मार्गदर्शन ले रहे हैं। इसी के साथ देशभर में फैले पतंजलि योगपीठ के लगभग चार हजार से अधिक क्षेत्रीय आरोग्य केन्द्र एवं चिकित्सालयों के चिकित्सकों द्वारा भी रोगियों के उपचार व प्रबंधन का कीर्तिमान स्थापित हो रहा है।

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क हते हैं जो पतंजलि योगपीठ आता है, खाली हाथ नहीं जाता। यदि आने वाले थोड़ी सी भी जागरूकता बरतें, तो वह अक्षुण्य स्वास्थ्य के ऐसे सूत्र लेकर जाता है कि स्वयं तो आजीवन स्वस्थ रहता ही है, संपूर्ण परिवार स्वस्थ निरोग हो उठता है। प्रतिमाह स्वास्थ्य के नाम पर उसके बरबाद होने वाले सैकड़ों से हजारों रुपयों की बचत होती है। वही धन उसके बच्चों के पोषण, शिक्षण एवं आवश्यक घरेलू संसाधनों की उपलब्धि में नियोजित होता है, जिससे परिवार के बीच प्रसन्नता आती है, रुकी हुई प्रगति के द्वार खुलते हैं। यही कारण है कि देशभर के रिक्शा चलाने वाले, रेहड़ी वाले व चाय बेचने वाले, मजदूरी करने  से लेकर अमीर से अमीर व्यक्ति तक पतंजलि योगपीठ पधारने का अवसर ढूंढ़ता रहता है।
यद्यपि स्वदेशी औषधियाँ एवं परमात्मा द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, वनौषधियों पर आधारित आयुर्वेद द्वारा आरोग्य देने की भारत देश में लम्बी परम्परा सुषुप्त हो रही थी, पतंजलि योगपीठ ने उसे पुनर्जागृत किया। विगत दो दशक से अधिक समय से आयुर्वेदिक विधि से पतंजलि योगपीठ के चिकित्सकों ने हजारों-लाखों रोगियों को जीवनदान दिया है। इन्हीं प्रयोगों के अनुरूप यहां पाठकों के समक्ष कुछ ऐसे रोगियों का विश्लेषण प्रस्तुत है जो मृत्यु के मुँह में पहुँच गये थे पर उपचार द्वारा आज जीवित हैं, और पूज्यवर के मार्गदर्शन में पतंजलि योगपीठ आंदोलन में सक्रिय हैं।

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हार्ट की तीनों नसें ब्लॉक थीं:
22 फरवरी को शिवाजी पार्क से मतलू महतो नाम के एक ऐसे रोगी ने पतंजलि ओपीडी में पधारकर उपचार कराया जिसके हार्ट की तीन नसें ब्लॉक थीं। डॉक्टरों ने उसकी ऑपरेशन या सर्जरी अनिवार्य बताया था। स्वयं रोगी के बेटे श्री शंभु कुमार के शब्दों में-
मैं शंभु कुमार, ग्राम+पोस्ट+थाना- मेहँरन, जिला- शेखपुरा का रहने वाला हूँ। मैंने पिता जी को बड़े-बड़े हॉस्पिटल जैसे- पटना जीवक हार्ट, दिल्ली में मैट्रो हार्ट हॉस्पिटल पर दिखाया पर सुधार नहीं हुआ। मैट्रो में एन्जोग्राफी कराने पर पता लगा कि उनके हार्ट में तीन नसें ब्लॉक हैं। मैं घबरा गया और काफी परेशान भी हुआ। डॉक्टर बोले आपके पिता जी को ऑपरेशन या स्टैंड सर्जरी करानी होगी। मैं ESI approval के लिए गया, क्योंकि वहीं से ईलाज हो रहा था। ESI के मेडिकल सुपरिटेन्डेंट बोले कि अपने पिता जी का ऑपरेशन कराओ। मैं दिल्ली पतं हार्ट हॉस्पिटल डॉ. जमालुद्दीन जी को सी.डी.और रिपोर्ट दिखाई, तो उन्होंने बताया कि आपके पिता जी को चार स्टैंड का खर्च लगभग 5 से 6 लाख प्राईवेट में और मेरे पास 2.5 से 3 लाख रुपये आयेगा।
मैंने ESI सुपरिटेन्डेंट को सारी बातें बतायी। मैं अपने पिता जी को देखकर बहुत परेशान था। वह सर्जरी के लिए तैयार नहीं थे। एक दिन मैंने नेट पर सर्च कर पतंजलि का नम्बर लिया, वहां के डॉ. साहब ने पिता जी को सभी रिपोर्ट के साथ लाकर दिखलाने के लिए कहा।
पतंजलि पहुँचकर मैंने डॉक्टर एस.सी. मिश्रा को दिखाया। पिता जी और उनकी सभी रिपोर्ट देखने के बाद उन्होंने कहा कि अभी कुछ मत कराओ। मैं दो महीने की दवा दे रहा हूँ, पहले इसे खिलाओ। उन्होंने अंग्रेजी तथा आयुर्वेदिक दोनों दवा चलाने की सलाह दी और कहा यदि सुधार हुआ तो धीरे-धीरे अंग्रेजी दवा बंद कर सकते हैं। मैंने वैसा ही किया।
मैंने देखा मेरे पिता जी को धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। लगभग 20 दिन दवाईयां देने के बाद अंग्रेजी दवाईयां बंद कर दी। पहले ये 40 से 45 कदम चलते थे, तो इनके सीने में दर्द और जलन होती थी। 2 माह बीतने पर भी कोई दिक्कत नहीं दिखी। 1 किमी. तक चलने लगे, कोई परेशानी नहीं। दर्द और जलन भी नहीं। जब मेरे पिता जी की ई.सी.जी., ब्लड प्रेशर की रिपोर्ट नॉर्मल आयी, तो मुझे बड़ी खुशी हुई। इसके लिए मैं पूज्य स्वामी जी व श्रद्धेय आचार्य श्री को धन्यवाद देता हूँ।
उपचार:
रोगी को सर्वप्रथम रिपोर्ट के आधार पर दो माह की दवा दी गयी तथा कुछ परहेज बताया गया। उचित अनुपान से लेने की सलाह दी गयी जिसमें- अर्जुन क्वाथ का काढ़ा सुबह शाम, मोती पिष्टी, संगेयासव पिष्टी 10 ग्राम, अकीक पिष्टी 5 ग्राम, अमृता सत् 5 ग्राम, योगेन्द्र रस 1 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम नाश्ते व खाने से पहले जल के साथ लेने का निर्देश हुआ तथा मधुनाशिनी वटी, हृदयामृत वटी, मुक्तावटी एवं दिव्य चूर्ण लेने की सलाह भी मिली। इतनी सी औषधि ने कमाल कर दिया। आज रोगी पूर्ण स्वस्थ है।

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घुटने में दर्द से मिला आराम:
दूसरे रोगी 72 वर्षीय सत्य प्रसाद भट्ट जिनके घुटने की समस्या थी। वे पतंजलि योगपीठ ओपीडी हेतु सर्वप्रथम 30 अप्रेल 2013 को आये। परीक्षण के बाद उन्हें रोग की प्रकृति अनुसार दो माह की दवा दी गयी। इसमें पीड़ांतक क्वाथ का काढ़ा सुबह-शाम, स्वर्ण माक्षिक भस्म 5 ग्राम, महावात विधवंसन रस 10 ग्राम, प्रवाल पिष्टी 5 ग्राम, वृहतवात चिंतामणि रस 2 ग्राम, गोदन्ती भस्म 5 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम खाली पेट ताजे जल से लेने का मार्गदर्शन दिया गया। तथा योगराज गुग्गल, चन्द्रप्रभा वटी, पुनर्नवादि मण्डूर, शिलाजीत सत् लेने की सलाह भी रोगी को दी। दर्द के स्थान तथा जोड़ों पर पीड़ांतक तेल की मालिश कराई गयी।
साथ ही रोगी को परहेज के क्रम में चावल, राजमा, तले-भुने पदार्थ, मैदे से बने पदार्थ तथा अधिक प्रोटीनयुक्त पदार्थ न खाने व पथ्य में हरी पत्तेदार सब्जियां तथा सादा सुपाच्य भोजन लेने को कहा गया। प्राकृतिक उपाय के रूप में सेन्धा नमक, धतूरे के पत्ते, मदार के पत्ते व एरण्ड के पत्ते से सिकाई करने के लिए कहा गया। इन उपचारों को एक माह तक करने के बाद वे पुन: चिकित्सक से मिले। रिपोर्ट नार्मल आई, 90 प्रतिशत आराम भी था। स्वयं रोगी के शब्दों में-
मेरे घुटनों में काफी दर्द था। मैंने दिल्ली में एलोपैथी इलाज करवाया लेकिन लाभ नहीं हुआ। मैं 30 अप्रेल 2013 को पतंजलि आयुर्वेदिक हॉस्पिटल की ओपीडी में आया, जहां डॉक्टर साहब ने मुझे एक माह की दवा दी। दवा के सेवन से मुझे 90 प्रतिशत आराम हुआ। मैं डॉक्टर साहब के दिशानिर्देशन में चिकित्सा आज भी ले रहा हूँ। योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण जी महाराज जैसे महापुरुष भारत माँ को स्वस्थ व भ्रष्टाचार मुक्त, रोगभमुक्त करने के प्रति वचनबद्ध हैं। इस स्वास्थ्य लाभ के बाद मैं भारत स्वाभिमान संगठन के लिये की सेवा के लिए तत्पर हूँ। पूरी तरह स्वस्थ हूँ।

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कैंसर रोगी शीला देवी:
कैंसर की मरीज श्रीमती शीला देवी की उम्र 66 वर्ष है जो अब स्वस्थ निरोगी जीवन की अधिकारी हैं। वे दिनांक १९ जनवरी 2016 को उपचार हेतु पतंजलि ओपीडी सेक्शन पहुँची। चिकित्सकों ने उनकी पूर्व की रिपोर्ट देखी और उपचार प्रारम्भ किया। उपचार के क्रम में उन्हें सर्वकल्प क्वाथ तथा कायाकल्प क्वाथ का काढ़ा, संजीवनी वटी 10 ग्राम, शिला सिन्दूर 3 ग्राम, ताम्र भस्म 1 ग्राम, अमृता सत् 10 ग्राम, अभ्रक भस्म 5 ग्राम, हीरक भस्म 300 मि.ग्रा., स्वर्ण वसन्त मालती 4 ग्राम, मुक्ता पिष्टी 4 ग्राम, प्रवाल पंचामृत 5 ग्राम को मिलाकर खाली पेट सुबह, दोपहर, शाम शहद के साथ लेने का परामर्श दिया गया। इसके साथ दो-दो गोली कांचनार गुग्गुल, वृद्धिवाधिका वटी भोजन के पश्चात् ताजे जल से लेने की सलाह दी गई। यही दवा और परहेज क्रमश: दो-दो माह के लिए और बढ़ाया गया। प्राकृतिक उपचार के क्रम में गेहूं का ज्वारा 30 मिली., गिलोय रस 25 मिली., घृतकुमारी रस 25 मिली., गोमूत्र 25 मिली., तुलसी के पत्तों का रस (20 पत्तों का), नीम के पत्तों का रस (7 पत्ते) सुबह-शाम पीने का परामर्श दिया गया। कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उद्गीथ व उज्जायी प्राणायाम करने की सलाह दी गयी।
इस उपचार प्रक्रिया का प्रभाव ही है कि अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। सामान्य जीवन जी रही हैं। एक वर्ष के उपचार में ही उन्हें फायदा हो गया। उनके पुत्र श्री श्याम सुंदर शर्मा लिखते हैं-
मैं श्याम सुंदर शर्मा निवासी बुलंदशहर, उ.प्र. अपनी माता जी श्रीमति शीला देवी जो कैन्सर जैसे गम्भीर रोग से पीड़ित थीं। दिनांक 18.1.13 को हम इन्हें पतंजलि योगपीठ में लाये जिनका इलाज पतंजलि आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के चिकित्सा व्यवस्था के माध्यम से प्रारम्भ हुआ।
उनके इलाज को अभी 1 माह ही पूरा हुआ कि उन्हें लगभग 60 प्रतिशत फायदा मिला। मैं इनके इलाज से सन्तुष्ट और आशा भरा था।
जोड़ों के दर्द से मुक्ति:
एक अन्य जोड़ों के दर्द का रोगी अमृत लाल सिदार, बिलासपुर निवासी, दिनांक 20 फरवरी 2013 को पतंजलि योगपीठ में उपचार के लिए आये। इनका उपचार पतंजलि योगपीठ की प्रारम्भ किया। उनकी उम्र 41 वर्ष थी। इन्हें संपूर्ण प्राणायाम के साथ निम्र औषधियों के सेवन की सलाह दी गयी-
पीड़ांतक क्वाथ का काढ़ा, स्वर्णमाक्षिक भस्म, महावात विधवंसन रस, प्रवाल पिष्टी, गोदन्ती भस्म को मिलाकर सुबह-शाम शहद के साथ सेवन कराया गया तथा एक-एक गोली योगराज गुग्गुल, चन्द्रप्रभा वटी, पुनर्नवादि मण्डूर लेने का परामर्श दिया गया। सुबह-शाम 4 ग्राम वातारी चूर्ण गर्म जल से तथा दो-दो गोली कुटजघन वटी तथा चित्रकादि वटी लेने की सलाह भी दी गई। बादाम तेल से जोड़ों पर मालिश का परामर्श दिया गया। स्वयं रोगी के अनुसार-
मैं अमृतलाल सिदार, ग्राम व पोस्ट मस्तूकी, जिला-बिलासपुर, छ.ग. का निवासी हूँ। मैं दिनांक 03 मार्च 2013 को पतंजलि योगपीठ आया। मैंने यहां ओ.पी.डी. नम्बर 12 में दिखाया। मुझे गंभीर रूप से जोड़ों में दर्द व पेट की बीमारी थी। सबसे ज्यादा समस्या प्लेटलेट्स की थी जो पहले 30 था। उपचार के एक महीने बाद मुझे ५०त्न फायदा हुआ। इसके लिये मैं आचार्य श्री एवं स्वामी जी का आभार व्यक्त करता हूँ।
आहार नली में कैंसर:
आहार नली में कैंसर के एक रोगी जिसका उपचार बॉम्बे के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में चल रहा था। कोई संतोषजनक स्थिति न देखकर उनके भांजे श्री प्रेमनारायण सोनी, नौगांव, छतरपुर, म.प्र. उन्हें पतंजलि योगपीठ लाये। परीक्षण के बाद 28 जून 2014 को उन्हें बताये अनुपान के साथ ये औषधियां दी गई जिसके सेवन का क्रम इस प्रकार था।
सर्वकल्प क्वाथ व कायाकल्प क्वाथ का काढ़ा सुबह-शाम, खाली पेट, संजीवनी वटी 20 ग्राम, शिला सिन्दूर 3 ग्राम, ताम्र भस्म 1 ग्राम, अमृता सत् 20 ग्राम, अभ्रक भस्म 3 ग्राम, हीरक भस्म 300 मि.ग्रा., स्वर्ण वसन्तमालती 4 ग्राम, प्रवाल पंचामृत 3 ग्राम, मोती पिष्टी 4 ग्राम एक साथ मिलाकर सुबह-दोपहर-शाम शहद के साथ सेवन करने का परामर्श दिया गया। साथ में दो-दो गोली कैशोर गुग्गुल, वृद्धिवाधिका वटी, कांचनार गुग्गुल तथा आरोग्यवर्धनी वटी सुबह-शाम लेने की सलाह दी गई। प्राकृतिक उपचार के क्रम में गेहूं का ज्वारा 30 मिली., गिलोय रस 25 मिली., घृतकुमारी रस 25 मिली., गोमूत्र 25 मिली., तुलसी के 21 पत्तों का रस तथा नीम के 7 पत्तों का रस सुबह शाम पीने का परामर्श दिया गया।
प्रथम प्रयास में ही रोगी को 50% आराम मिला। इस प्रकार इन औषधियों के सेवन को सितम्बर 2014 तक बढ़ा दी गई। इसी के साथ रोगी को 8 प्राणायाम तथा योगाभ्यास करने का निर्देश दिया गया। साथ ही सामान्य आहार के साथ उन्हें सहिजन की सब्जी खाने, अंकुरित अनाज (चना, मूंग, मसूर, मेथी, मूंगफली) चबाकर खाने का परामर्श भी दिया गया। रोगी ने समुचित ढंग से उपचार कराया, आज उसे ५०त्न आराम है। रोगी के भांजे का पत्र स्वयं इसका गवाह है। वे लिखते हैं कि 29.03.214 को मेरे मामा जी का ईलाज बॉम्बे का कोकिलाबेन हॉस्पिटल में चल रहा था। लेकिन वहाँ कोई संतोष नहीं मिला। फिर वे हरिद्वार आ गये और पतंजलि आयुर्वेदिक हॉस्पिटल से दवा ली, उस दवा से उन्हें 50% आराम मिला। मेरे  मामा स्वस्थ जीवन जीने में सफल हो रहे हैं।
विशेष तथ्य यह है कि रोगी ने पतंजलि योगपीठ के द्वारा निर्देशित औषधियाँ प्रयुक्त की जो पूर्ण शुद्धता, कुशल चिकित्सकों द्वारा प्रामाणिकता से तैयार होती हैं। भारत के चिकित्सा विशेषज्ञों का भी मत है कि आयुर्वेद आज भी स्थाई ढंग से कारगर उपचार प्रणाली है बशर्ते चिकित्सक योग्य एवं सेवाभावी हों, तैयार औषधियां पूर्ण शुद्धता एवं पूर्ण प्रमाणिक हों तथा रोगी पूरी ईमानदारी से निर्देशित पथ्य-अपथ्य अपनाकर उपचार कराये। पतंजलि योगपीठ का चिकित्सा तंत्र इन तीनों में पूर्णत: खरा है।

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