अनुभूति आपकी

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गले का कैंसर (Classical Hodgking Lymphoma) हुआ जड़ से समाप्त

मेरे गले के पास गाँठें थीं। पेट तथा जुकाम की समस्या भी निरंतर बनी रहती थी। जाँच कराने पर पता चला कि मुझे गले का कैंसर (Classical Hodgking Lymphoma) है।  कैंसर के कारण 8 बार मेरी कीमो थेरेपी की गई तथा 6 माह ATT T.B. के कारण चली। मैंने पतंजलि में आकर डॉ. पीयूष से परामर्श लिया। उन्होंने छोटी-छोटी समस्याओं को ध्यान से सुना। उनके आयुर्वेदिक उपचार तथा योग प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से मुझे आशातीत लाभ मिला तथा अब मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ।  
भवदीय, सौरभ शर्मा, अलवर, राजस्थान।
 

गर्भाशय फाइब्रॉएड से मिला छुटकारा

  मुझे पेट में निरंतर दर्द की शिकायत बनी रहती थी। स्थानीय एलोपैथिक डाक्टर के पराशर्म पर जाँच कराई तो गर्भाशय में फाइब्रॉएड और फैलोपियन ट्यूबल ब्लॉकेज होने का पता चला। जानी-मानी स्थानीय गाइनी स्पेशलिस्ट से उपचार प्रारम्भ कराया, लेकिन आराम नहीं हुआ। फिर मैं इलाज के लिए दिनांक 28.01.19 को पतंजलि आई जहाँ मोनिका चौहान से मेरा संपर्क हुआ। 8 महीने के इलाज के बाद अब मैं स्वस्थ सुखी जीवन व्यतीत कर रही हूँ। 
भवदीया, सरीता, गौरखपुर, उत्तर प्रदेश
 

आँखों को रोशनी मिली पतंजलि में

मेरी पत्नी कांता देवी की एक आँख की रोशनी लगभग खत्म हो गई थी। इसके उपचार के लिए मैंने    जाने कितने अस्पतालों की खाक छान डाली। चण्डीगढ़ के एक विख्यात अस्पताल में भी काफी समय तक उपचार कराया, पर स्थिति और भी विकट होती गई। अंतत: कहीं से पता चला की पतंजलि में आधुनिक तकनीक से आँखों का उपचार किया जाता है। मैं अपनी पत्नी को लेकर पतंजलि की शरण में आया। डॉ. प्रीति पाहवा ने मेरी पत्नी की आँखों की जाँच कर हमें आश्वस्त किया कि इस बीमारी का उपचार संभव है। उनके परामर्श से उपचार के पश्चात् अब मेरी पत्नी की आँख की खोई रोशनी वापस गई। अब वह अच्छे से देख पढ़ सकती है। पूज्य स्वामी जी आचार्य जी को कोटिश: प्रणाम, डॉ. पाहवा का धन्यवाद।  
भवदीय, बलदेव सिंह, शिमला, हिमाचल प्रदेश
 

योग-प्राणायाम आयुर्वेद में छिपा है अस्थमा का उपचार

  मेरे 9 वर्षीय बेटे को अचानक सूखी खाँसी होने लगी जो धीरे-धीरे बढ़ती गई। एक बाल रोग विशेषज्ञ की देखरेख में बच्चे का उपचार शुरू किया गया तथा उसे मोंटेयर एल.सी. और एलेग्रा नाम की एलोपैथिक औषधियाँ दी गईं। इससे बच्चे को कोई राहत नहीं मिली और रात के समय खाँसी की तीव्रता बढ़ गई, उसे साँस लेने में कठिनाई होने लगी। तब मैं बच्चे को पतंजलि लेकर आया जहाँ औषधीय उपचार के साथ-साथ आहार में भी परिवर्तन कराया गया। नियमित प्राणायाम के अभ्यास से धीरे-धीरे इनहेलर्स और एंटी-एलर्जी दवाएँ बंद कर दी गईं। अब 2 महीने से इनहेलर और एलोपैथिक दवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया गया है और पिछले 1.5 महीनों से काफी सुधार है। 
भवदीय, रजनीकांत शर्मा, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
 

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