ऋषिकार्य, ईश्वरीय कार्य व राष्ट्रसेवा के पुण्य कार्य के लिए जुड़ें पतंजलि से
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आचार्य बालकृष्ण
योग संदेश के प्रत्येक अंक में पाठकों तक अत्यन्त रोचक व महत्त्वपूर्ण लेख पहुँचे तथा उसके प्रति पूरे देश में एक श्रेष्ठ सात्त्विक आकर्षण बने इसलिए हम प्रत्येक अंक में एक गुणात्मक सुधार करेंगे। पिछले अंक में हमने शिक्षा जो कि सबसे बड़ा विषय या मुद्दा है तथा देश व दुनिया के वर्तमान व भविष्य को बदलने वाला कार्य है, उस पर हमने गंभीरता से प्रकाश डाला। इस अंक में हम आरोग्य दर्शन एवं जीवन दर्शन के संदर्भ में विशेष प्रकाश डाल रहे हैं। |
शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, अनुसंधान एवं सेवादि सभी क्षेत्रों में भौतिकतावाद के प्रभाव में एक विशुद्ध व्यापारिक दृष्टि का आधिपत्य हो रहा है। आध्यात्मिक दृष्टि रखने वाले हमारे पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं ने इन सभी कार्यों को अपना उत्तरदायित्व, कत्र्तव्य या धर्म माना है। आज उसी ऋषि संस्कृति या परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हुए पतंजलि योगपीठ की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, कृषि, अनुसंधान एवं विविध क्षेत्रों में सेवा के अनेक कार्य हम स्वदेशी व स्वावलम्बी दृष्टिकोण के साथ ट्रस्टीशिप के भाव से अर्थ से परमार्थ के यज्ञ को आगे बढ़ा रहे हैं। हम यह चाहते हैं कि व्यक्तिगत जीवन में त्याग एवं सार्वजनिक जीवन में समृद्धि के सिद्धान्त पर चलकर देश की श्रेष्ठ प्रतिभाएँ पतंजलि के साथ जुड़ें और इस ऋषिकार्य, ईश्वरीय कार्य, राष्ट्रसेवा के पुण्य कार्य में अपना-अपना योगदान दें।
पतंजलि के योग, आयुर्वेद, स्वदेशी एवं वैदिक ऋषि आर्य सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार, रक्षा एवं प्रतिष्ठा के पुण्य अभियान में सब जुड़ें एवं सोशल मीडिया, आस्था, संस्कार, वैदिक, सत्संग, आस्था भजन, अरिहन्त एवं शुद्ध आदि चैनलों से कम से कम १० अन्य लोगों को जोड़ें तो बहुत शीघ्र ही एक बहुत बड़ी 'सात्विक देशभक्त दिव्यशक्ति’ राष्ट्र में खड़ी होगी।
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