अनुभूति आपकी
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ओवेरियन सिस्ट से मिली निजात
मुझे पिछले 4 माह से अण्डाशय में रसोली (ओवेरियन सिस्ट) थी जिस कारण पेट में तेज दर्द रहता था। मैंने सुना था कि पतंजलि के आयुर्वेदिक उपचार से बिना सर्जरी के काफी महिलाओं को पूर्ण लाभ मिला है। मैंने पतंजलि पर भरोसा कायम रखते हुए उपचार प्रारंभ किया। डॉ. मोनिका चौहान ने उपचार प्रक्रिया में शिला सिन्दूर, गिलोय सत, प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी, कहरवा पिष्टी, ताम्र भस्म, वृद्धिवाधिका वटी, पुनर्नवादि मण्डूर, कांचनार गुग्गुल, स्त्री रसायन वटी, चन्द्रप्रभा वटी तथा दशमूल क्वाथ आदि औषधियों को शामिल किया। लगभग ४ माह उपचार के बाद अल्ट्रासाउण्ड कराने पर पता चला कि रसोली पूरी तरह समाप्त हो गई है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
भवदीया, सोनिका, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
दु:साध्य रोग ग्रेन्यूलोमा से मिली मुक्ति
मेरी बेटी निरंजना को ग्रेन्यूलोमा जैसे दुसाध्य रोग ने घेर लिया था। चारों ओर से निराश मैं फरवरी २०१६ में पतंजलि हॉस्पिटल आया, जहाँ मुझे आशा की किरण दिखाई दी। डॉ. एस.सी. मिश्रा जी ने मुझे आश्वासन दिया कि पतंजलि उपचार प्रकिया में इस रोग का पूर्ण निदान सम्भव है। उन्होंने कायाकल्प क्वाथ, सर्वकल्प क्वाथ, हीरक भस्म, ताम्र भस्म, अभ्रक भस्म, शिला सिंदूर, गिलोय सत, गोदंती भस्म, मुक्ता पिष्टी, प्रवाल पंचामृत, स्वर्ण वसंत मालती रस, दिव्य मेधा वटी, आरोग्यवर्धिनी वटी, काँचनार गुग्गुलु, वृद्धिवाधिका वटी तथा कैशोर गुग्गुलु द्वारा उपचार किया। साथ ही बादाम रोगन की ५-५ बूंद नाक में डालने को कहा गया। लगभग ८ माह उपचार के पश्चात् अब मेरी बेटी पूरी तरह से ठीक है। मैं पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज, पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज तथा डॉक्टर साहब को हृदय से धन्यवाद देता हूँ।
भवदीय, रूपराज उपाध्याय, कैलाली, नेपाल
कशेरुका संधि शोथ लगभग समाप्त
मैं लगभग ३.५ वर्ष से कशेरुका संधि शोथ (एंकिलोयसिंग स्पोंडिलाइटिस) से पीडि़त था। इस रोग के कारण मेरी पीठ तथा घुटनों में हर वक्त भयंकर दर्द रहता था। मैंने कई अस्पतालों से उपचार कराया किन्तु समस्या जस-की-तस बनी हुई थी। किसी ने मुझे बताया कि इस रोग का कारगर उपचार आयुर्वेद में ही सम्भव है। तब मैं पतंजलि योगपीठ गया। पतंजलि में डॉ. पीयूष गुप्ता ने दवाओं के साथ-साथ पंचकर्म पद्धति से भी उपचार प्रारंभ किया। आयुर्वेद उपचार में मुझे दशमूल क्वाथ, पीड़ांतक क्वाथ, अजमोदादी चूर्ण, कैशोर गुग्गुल, आरोग्यवर्धिनी वटी, पुनर्नवादि मण्डूर, एकांगवीर रस, महावातविध्वंसन रस, गोदन्ती भस्म, वृहतवात चिंतामणि रस, रस माणिक्य, स्वर्णमाक्षिक भस्म लेने की सलाह दी गई तथा मैंने डॉ. गुप्ता के दिशानिर्देशों का पूर्ण पालन किया। लगभग ३.५ वर्ष उपचार के बाद अब मैं पूर्ण स्वस्थ सुखी जीवन व्यतीत कर रहा हूँ।
भवदीय, दिवाकर चहर, पीतमपुरा, नई दिल्ली
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