पतंजलि के राष्ट्रव्यापी मोटापा मुक्ति योग अनुसंधान अभियान के चमत्कारी निष्कर्ष
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डॉ. शरली टेल्लस, सचिन कुमार शर्मा एवं निरंजन काला
भारतवर्ष के 55 जिलों में राष्ट्रव्यापी मोटापा मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज एवं श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के पावन मार्गदर्शन एवं आर्शीवाद से यह अभियान वर्ष 2016 रामनवमी को प्रारंम्भ हुआ, जिसमें सम्पूर्ण भारतवर्ष में लगभग 4000 लोग पंजीकृत हुये। इन शिविरों में पंजीकृत लोगों की जीवन गुणवत्ता, मोटापा सहित विभिन्न प्रकार की शारीरिक माप (anthropometric Variables) जैसे - waist Circumference, Hip Circumference, Sagittal abodominal Diameter, body Composition, muscle Strength, Cholesterol, Fasting blood Sugar आदि में उत्साहवर्धक सार्थक सुधारात्मक परिणाम पाये गये।
वास्तव में देखा गया है कि वर्तमान में गलत खान-पान व गलत जीवनशैली के कारण मोटापा महामारी का रुप ले रहा है, पर मोटापा अकेले नहीं आता, अपितु यह अनेक रोगों जैसे- उच्च रक्तचाप (high blood presure), मधुमेह (diabetes), हृदय रोग (coronary heart disease) आदि का जनक भी है।
पतंजलि मोटापा मुक्ति अनुसंधान के तहत तीन माह के योगाभ्यास के पश्चात हमनें पाया कि नियमित योगाभ्यास से लोगों के वजन में औसत ५ किलोग्राम तथा अधिकतम २३ किलोग्राम तक कमी देखने को मिली। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि नियमित योगाभ्यास करने से वजन कम करने में अपेक्षित परिणाम अवश्य मिलते हैं। निम्रलिखित आंकलन तकनीकों के आधार पर हमने इस पर निष्कर्षात्मक दृष्टि डालने का प्रयास किया, जो इस प्रकार है:
मोटापा मापक सूत्र: (Body Index mass):
body mass Index (BMI) जो मोटापे का मुख्य निर्धारक माना जाता है। इसका सूत्र है-
WEIGHT ( IN KG)
BMI= HEIGHT2 ( IN M)
अर्थात् सामान्य स्वस्थ व्यक्ति का BMI 18.5 kg/m2 - 22.9 kg/m2 होना चाहिये। आधुनिक समय में BMI मोटापे के निर्धारण का मुख्य सूचकांक माना जाता है। नियमित योगाभ्यास करने वाले मोटापा पीडि़त साधकों में योगाभ्यास के पश्चात BMI में 3 kg/m2 तक सार्थक कमी देखने को मिली। लेकिन मोटापे का निर्धारण मात्र वजन से नहीं किया जा सकता। इसके लिये anthropometric Variables (मोटापे की शारीरिक मापें) का भी प्रयोग किया जाता है। प्रस्तुत हैं मोटापा संबंधी विविध मापें और उसके परिणाम-
कमर की माप: (Waist Circumference):
इसके द्वारा कमर एवं पेट की चर्बी (Fat) का निर्धारण किया जाता है। भारत में कमर की मानक माप (Standard waist Circumference) पुरुषों के लिये 90 से कम तथा महिलाओं के लिये 80 से कम निर्धारित है। यह इससे अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अधिक होने पर यह हृदय रोग, मधुमेह आदि रोगों का कारण बनती है। पतंजलि अनुसंधान अभियान में तीन माह के योग अभ्यास के बाद waist Circumference में 26cm तक की कमी देखने को मिली है। अर्थात् जो लोग नियमित योगाभ्यास करते हैं, उनके कमर पर चर्बी बढऩे की संभावना नही होती तथा जिन लोगों के कमर पर अधिक चर्बी जमा हो भी जाती है, नियमित योगाभ्यास से इसे सार्थक रूप से कम किया जा सकता है।
नितम्बों की माप: (Hip Circumference):
यह कमर एवं नितम्बों की चर्बी का निर्धारक है। यह अधिक होने से Constipation, Piles आदि रोगों के होने का खतरा बढ़ता है। तीन माह के योगाभ्यास के बाद Hip Circumference में 12.6cm तक कमी देखने को मिली।
एस ए डी की माप: (Sagittal abdominal Diameterh):
यह abdominal obesity की माप है। वैज्ञानिक अनुसंधानों में देखा गया है कि SaD की माप 25cm से अधिक होने पर Coronary Disease, High b.P., Diabetes की संभावना बढ़ जाती है। पतंजलि के तीन माह के योगाभ्यास अभियान के पश्चात SAD में 3.3cm तक कमी देखने को मिली।
बाडी कम्पोजीशन एनालसिस: (Body Compositio)
इससे हम शरीर के वजन में उपस्थित वसा (Fat) की सही मात्रा का पता लगा सकते हैं। इसके लिये हमने body Composition analyzer उपकरण का प्रयोग किया, जिससे शरीर में कुल वसा की मात्रा (Fat mass), माँसपेशियों की मात्रा (muscle mass) तथा जल की मात्रा (water mass) का पता लगाया गया। तीन माह के नियमित योगाभ्यासियों में हमने पाया कि वसा की मात्रा में 3.5Kg तक कमी आयी है।
माँसपेशियों की शक्ति: (Hand Grip & leg and back Strength):
हमने लोगों की शारीरिक शक्ति को मापने के लिये Hand Grip Dynamometer तथा leg & back Dynamometer का प्रयोग किया। अधिकतर व्यक्ति जो मोटापा कम करने के लिये केवल आहार को नियन्त्रित या अत्यन्त न्यून मात्रा में प्रयोग करते हैं, उनकी मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है, परन्तु योग द्वारा वजन कम करने पर ऐसा नहीं होता। हमने पाया कि योगाभ्यास से जहाँ शरीर में वसा की मात्रा में कमी आई, वहीं लोगों की शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी हुई। नियमित योगाभ्यासियों में हाथों से पकडऩे की शक्ति में 10.3Kg/Areaतक की वृद्धि पाई गई, वहीं पैरों व कमर की मांसपेशियों की शक्ति में 54.2kg/area तक की वृद्धि पायी गयी, अर्थात् योगाभ्यास से न केवल वजन ही कम होता है, बल्कि हाथों, पैरों व कमर की मांसपेशियों की क्षमता में भी वृद्धि होती है।
कोलेस्ट्राल की माप: (Cholesterol)
आम मान्यता है कि कोलेस्ट्राल हानिकारक है, पर ऐसा नहीं है। यह शरीर की महत्त्वपूर्ण क्रियाओं यथा कोशिकाओं के निर्माण तथा चयापचय में मुख्य भूमिका निभाने वाला घटक है, परन्तु आवश्यकता से अधिक होने पर यह Heart Disease, Stroke तथा चयापचय के रोगों का कारक बनता है। चिकित्सकीय अनुसार इसकी मात्रा 200mg/dl से अधिक नहीं होनी चाहिये। हमारे आंकलन में तीन माह के योगाभ्यास के पश्चात कोलेस्ट्राल के बढ़े हुये स्तर में 73mg/dl तक की कमी देखने को मिली।
निगेटिव कोलेस्ट्राल:
(Low Density Lipoprotein)
इस बुरे कोलेस्ट्राल के बढऩे से Heart blockage, High blood Pressure आदि रोगों का जन्म होता है। अत: इसकी मात्रा 100mg/dl से अधिक नहीं होनी चाहिये। तीन माह के योगाभ्यास के पश्चात low Density lipopratein (lDl) के बढ़े हुये स्तर में 54mg/dl तक की कमी देखने को मिली।
ट्रिग्लीसेराइड की माप: (Triglycerides)
यह एक तरह का वसा (lipid)है। इनके बढ़े हुये स्तर से Heart Diseases और Diabetes आदि के खतरे बढ़ते हैं। इनकी मात्रा 150mg/dl तक होनी चाहिए। तीन माह के योगाभ्यास के बाद Triglycerides के बढ़े हुये स्तर में 65mg/dl तक की कमी देखने को मिली।
रक्त में शर्करा: (Fasting blood Glucose):
इससे मोटापे के साथ-साथ अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिनमें से एक मधुमेह भी है। हमने मधुमेह पर भी योग के प्रभाव को देखना चाहा और पाया कि ३ माह तक नियमित रुप से योग करने वाले प्रतिभागियों की रक्तशर्करा (Fasting blood Sugar) में 64mg/dl तक की कमी हुई।
जीवन की गुणवत्ता (Quality of life):
यह जीवन स्तर अर्थात् स्वास्थ्य, प्रसन्नता, संतुष्टि तथा जीवन के सकारात्मक स्तर का मापक है। तीन माह के योगाभ्यास के पश्चात हमने पाया कि लोगों के जीवन के प्रति दृष्टिकोण एवं गुणत्ता में सार्थक बढ़ोत्तरी हुई हैं और वे प्रत्येक पक्ष को सकारात्मक दृष्टि से देखने में सक्षम होने लगे। अंतत: कह सकते हैं कि परम पूज्य स्वामी जी द्वारा निर्देशित 'मोटापा नियंत्रण योग-पैकेज’ का अभ्यास नियमित रूप से करने वाले मोटापा ग्रसित साधकों के वजन में तो सार्थक कमी आती ही है, वरन् मोटापे का परीक्षण करने के लिये बने वैज्ञानिक मानकों ((Scientific Parameters) जैसे waist Circumference, Sagittal abdominal Diameter, bmI, body Fat, Total Cholestrol, low Density lipoproatein, Triglycerides, Fasting blood Glucose आदि में भी सार्थक सकारात्मक बदलाव देखने में आता है। साथ ही योगाभ्यास से व्यक्ति का जीवन प्रसन्नता से भर उठता है और तनाव मुक्त होने में सहायता मिलती है। स्पष्ट है कि देश की आम जनता द्वारा इस योगाभ्यास को नित्य अपनाने से उसे अपना व्यक्तिगत जीवन स्वस्थ-समुन्नत बनाने में मदद मिलेगी ही, साथ ही राष्ट्र निर्माण हेतु पुरुषार्थी तैयार करने का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
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