हमारे विविध सेवा प्रकल्प
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परम पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज व आयुर्वेद मनीषी परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के दिव्य पावन संकल्पों व अखण्ड पुरुषार्थ के फलस्वरूप 5 जनवरी 1995 को रोपा गया पतंजलि योगपीठ रूपी पौधा आज विशाल शाखा-प्रशाखाओं से युक्त वटवृक्ष का रूप ले चुका है।
पतंजलि के विविध सेवा प्रकल्पों के रूप में यह वृक्ष हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व लाखों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से आश्रय प्रदान कर रहा है। उत्तराखण्ड के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी सर्वाधिक रोजगार उत्पन्न करने वाला 'स्वदेशी से स्वावलम्बी भारत’ के नारे के साथ यह तीव्र गति से वृद्धि को प्राप्त कर रहा है। वह चाहे महाराष्ट्र के मिहान, नागपुर की विशाल सन्तरा प्रसंस्करण इकाई हो या तेजपुर, असम की सबसे बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाई अथवा अलवर, राजस्थान की सरसों तेल उत्पादन इकाई, सभी प्रकल्प आज प्रतिदिन किसानों के द्वारा उत्पादित लाखों टन कृषि उत्पादों की सीधी खरीद करके प्रसंस्करण कर देश को शुद्ध व उच्च गुणवत्तायुक्त प्रामाणिक उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं। किसानों की अधिकांश उपज जहाँ पहले नष्ट हो जाती थी, वहीं आज उन्हें हर समय यह प्रेरणा दी जाती है कि वे गुणवत्तायुक्त कृषि ज्यादा से ज्यादा करें, जिसमें रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता हो या कम से कम किया जाता हो। इस प्रकार देशभर में ये प्रकल्प अपनी नई पहचान व स्वदेशी के प्रति नया विश्वास कायम कर रहे हैं। इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में आचार्यकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम्, वैदिक गुरुकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्विज्ञान महाविद्यालय आदि बड़े प्रकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इनके साथ-साथ योग, आयुर्वेद, विषमुक्त कृषि आदि पर विस्तृत अनुसंधान, ग्रामोद्योग आदि सैकड़ों प्रकल्पों के माध्यम से पतंजलि द्वारा राष्ट्र सेवा का महान् कार्य हो रहा है।
पतंजलि के इन बहुआयामी प्रकल्पों की शृंखला में सर्वप्रथम हम शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श प्रस्तुत करने वाले प्रकल्प 'आचार्यकुलम्’ को प्रस्तुत कर रहे हैं-
आचार्यकुलम् परम पूज्य योगऋषि श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी महाराज व परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के दिव्य आशीर्वाद एवं दिशानिर्देशन में मूल्य आधारित शिक्षा का अभिनव प्रयोग है। भारत वर्ष के प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित वैदिक गुरुकुलों की सनातन आर्ष ज्ञान परम्परा एवं वर्तमान युग के आधुनिक विज्ञान, तकनीकी एवं व्यावसायिक शैक्षणिक पद्धति का दिव्य संगम है 'आचार्यकुलम्’।
सी.बी.एस.ई. पाठ्यक्रम व वैदिक शिक्षा के साथ 'आचार्यकुलम्’ देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में उज्ज्वल कीर्ति के साथ शुमार है।
उद्घाटन
'आचार्यकुलम्’ का उद्घाटन विक्रम संवत् 2070 में, वैशाख मास में कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि, दिनांक 26 अप्रैल 2013 को देश केप्रतिष्ठित सन्तजनों व गुजरात के तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में देश के माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर-कमलों से किया गया।
परिसर
आचार्यकुलम् का वर्तमान परिसर अत्यंत विशाल व विश्वस्तरीय है तथापि इसे अत्यंत भव्यता के साथ नवीन परिसर में स्थानांतरित किया जा रहा है। यह परिसर पतंजलि योगपीठ फेस-१ के पाश्र्व में स्थित है। जिसे नालंदा विश्वविद्यालय से प्रेरित होकर मौर्यकालीन स्थापत्य कला के आधार पर स्वरूप प्रदान किया गया है। इस परिसर का उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के कर-कमलों से २७ सितम्बर २०१८ को हो रहा है।
प्रवेश प्रक्रिया
संस्थान में 9-11 वर्ष आयुवर्ग के, कक्षा-4 उत्तीर्ण, बालक-बालिकाओं को कक्षा-5 में प्रवेश प्रदान किया जाता है। इस हेतु प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में चारों महानगरों सहित 25 केन्द्रों पर राष्ट्रीय स्तर पर 'संवाद’ तथा उसमें चयनित विद्यार्थियों के लिए विद्यार्थी संस्कार शिविर आयोजित किए जाते हैं। तत्पश्चात् सुयोग्य प्रवेशार्थियों को आचार्यकुलम् में प्रवेश प्रदान किया जाता है। इस वर्ष से आगामी प्रत्येक सत्र हेतु 80 बालकों व 80 बालिकाओं का चयन किया जाएगा।
उपनयन व अन्य पर्व
आचार्यकुलम् में नव-प्रवेश प्राप्त विद्यार्थियों को श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को प्रतिवर्ष तीन दिन उपवास कराकर वैदिक रीति से यज्ञोपवीत व वेदारम्भ संस्कार सम्पन्न कराया जाता है। आचार्यकुलम् में स्थापना समारोह तथा श्रावणी उपाकर्म के अतिरिक्त रामनवमी, गुरुपूर्णिमा, जड़ी-बूटी दिवस, योग दिवस, स्वाधीनता दिवस, गणतंत्र दिवस तथा शारदीय व फाल्गुनी नवसस्येष्टि पर्वों (दिवाली-होली) का भव्य आयोजन किया जाता है।
दिनचर्या
आचार्यकुलम् में ऋतु अनुकूल ऋषिवत् दिनचर्या का नियमपूर्वक पालन किया जाता है। यहाँ ब्रह्ममुहूर्त से ही प्रात:जागरण मंत्र व शंखध्वनि सुनाई देने लगती है और यह निर्विघ्न धारा दैनिक हवन, प्रातराश, मध्याह्न भोजन, गायत्री संध्या, रात्रि भोजन व रात्रि के प्रथम प्रहर की समाप्ति पर शयन मंत्र से सम्पन्न होती है।
योगाभ्यास
योगर्षि की इस विशिष्ट शिक्षण संस्था का वैभव योग है। जिसका वर्ष भर विद्यार्थियों द्वारा सुप्रशिक्षित योगाचार्यों के मार्गदर्शन में नियमपूर्वक अभ्यास किया जाता है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज समय-समय पर योग कक्षाओं का स्वयं अवलोकन करते हैं।
दैनिक यज्ञ व प्रार्थना सभा
प्रात:काल धवल कटिवस्त्रों में आचमन पात्र लिए आचार्यकुलम् के अन्तेवासी ऋषिकुमार व ऋषिकाएं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूर्ण विधि-विधान से यज्ञ सम्पन्न करते हैं। तत्पश्चात् दैनिक विचार, ऐतिहासिक तथ्य व प्रेरक प्रसंग, सामान्य ज्ञान के प्रश्न, छात्र-प्रतिज्ञा, आचार्य-उद्बोधन सहित राष्ट्रगीत आदि नियमित रूप से सम्पन्न होते हैं।
अध्ययन-अध्यापन
आचार्यकुलम् में सुप्रशिक्षित, विद्वान व अनुभवी आचार्यों द्वारा विविध विषयों का अध्यापन किया जाता है, जो पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान को अपने आचरण से चरितार्थ करते हैं तथा विद्यार्थियों को सीधे लक्ष्यार्थ का बोध कराते हैं।
कक्षा-8 तक यहाँ त्रिभाषा सूत्र का पूर्णत: अनुपालन होता है। तदुपरान्त संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का गहन अध्ययन-अध्यापन होता है। देववाणी संस्कृत यहाँ अपने विराट् रूप में प्रतिष्ठित है।
भाषा सौष्ठव
संस्थान में गीर्वाणभारती (संस्कृत) के अभ्युत्थान हेतु इसे सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य बनाया गया है। वैदिक क्रियाकलापों व संस्कृत कक्षाओं में यहाँ आचार्य और शिष्य के मध्य वार्तालाप संस्कृत में होता है। अपनी भाषिक योग्यता से विद्यार्थियों ने जनपदीय व प्रांतीय प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर ख्याति अर्जित की है तथा विश्वविद्यालय स्तर के विद्यार्थियों के मध्य भी अपना लोहा मनवाया है। यहाँ ऋषिकुमारों व ऋषिकाओं का मन्त्रोच्चारण इतना पाण्डित्यपूर्ण व विशुद्ध है कि प्रत्येक श्रोता मुक्तकण्ठ से प्रशंसा हेतु बाध्य हो जाता है।
पाठ्य सहगामी क्रियाएं
आचार्यकुलम् में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को लक्ष्य करके वर्ष भर अन्तर्सदनीय प्रतियोगिताओं की योजना बनाई जाती है, जिसमें पृथ्वी, आपस, तेजस व वायु चारों सदन तीव्र प्रतिस्पर्धा द्वारा अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करते हैं।
यहाँ गायन-वादन और नर्तन की सभी विधाओं के साथ 'आचार्यकुलम् का बैण्डÓ भी गठित है तथा वर्षभर 'स्पीक मैकेÓ सरीखी अनेक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की प्रस्तुतियाँ होती रहती हैं। विद्यार्थियों को विशेषज्ञों का सान्निध्य मिलता ही रहता है।
खेलकूद
संस्थान में सभी अन्त: बाह्य खेलों के लिए क्षेत्र व प्रशिक्षक उपलब्ध हैं। यहाँ के विद्यार्थी ह्यद्दद्घद्ब और ष्ड्ढह्यद्ग की राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में चयनित हुए हैं और प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर पर इनकी अलग पहचान है।
प्रथम बोर्ड परीक्षाफल
संस्थान के विद्यार्थियों का प्रथम बैच इस बार बोर्ड परीक्षा की कसौटी पर था और सी.बी.एस.ई. ने यहाँ की शिक्षण व्यवस्था को उच्चकोटि की सिद्ध करते हुए ८४.८त्न का कक्षा औसत प्रदान किया है। संस्थान के विद्यार्थी आयुष शर्मा ने ९९.२त्न अंक प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। यहाँ का उत्तीर्ण प्रतिशत १०० है तथा ८६ में से ३४ विद्यार्थियों के अंक ९०त्न प्रतिशत से अधिक हैं।
विशेष उपलब्धियाँ
संस्थान की पृष्ठभूमि आध्यात्मिक है अत: यहाँ सभी संत-महात्माओं का शुभाशीर्वाद समय-समय पर मिलता रहता है। राजनीति व उद्योग तथा फिल्म जगत् की राष्ट्रीय-अन्तर्राष्टीय हस्तियाँ भी यहाँ पधार चुकी हैं। प्रशासनिक सेवा की विलक्षण मेधा 'इरा सिंघल’ ने भी विद्यार्थियों से सीधा संवाद किया है। योगपीठ के प्रत्येक विशिष्ट अतिथि की पहली पसन्द आचार्यकुलम् का भ्रमण होता है।
आयोजन व भ्रमण
संस्थान द्वारा राष्ट्रीय खेल दिवस सहित 'एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अन्तर्गत हैण्डबॉल तथा सी.बी.एस.ई. द्वारा योग की नेशनल चैम्पियनशिप का आयोजन किा गया है साथ ही स्थापना काल से ही शिक्षकों के लिए ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों की उपस्थिति में कार्यशालाएँ व प्रशिक्षण शिविर सी.बी.एस.ई. व अन्य आयोजित हुए हैं, साथ ही प्रतिवर्ष ऐतिहासिक व सुरम्य प्राकृतिक पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराया गया है ताकि विद्यार्थियों को अपनी प्राकृतिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरों से निकट से परिचित कराया जा सके।
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