सर्दियों में करें स्वास्थ्य की विशेष देखभाल
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डॉ. नृपेन्द्र पाण्डेय
स्वास्थ्यवृत्त स्वयंयोग विभाग
पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज
यदि हम स्वस्थ जीवनशैली व उत्तम दिनचर्या का पालन करें, तो हर मौसम स्वास्थ्य के लए अच्छा है। अभी सर्दी का मौसम है, सर्दी के मौसम का लुफ्त हर कोई लेना चाहता है, लेकिन ये भी सच है कि गिरते तापमान का असर हमारे शरीर पर पड़ता है, जिसकेप्रभाव से कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ लोगों को लगता है कि ये इतना कमाल का मौसम है, जिसमें खूब घी, तेल, मक्खन और इस तरह की चीजें खाई जाएँ, लेकिन कुछ लोग जिन्हें स्वास्थ्य की परेशानी होती है, उनको यह हमेशा लगता है कि काश यह मौसम जल्दी-जल्दी गुजर जाए, तो उसके बाद हमारी सेहत सुधर जाएगी।
सर्दी का मौसम सबके लिए एक मिला-जुला संदेश लाता है क्योंकि अगर बात करें हमारी आदतों की तो तकरीबन सभी की आदतों में बदलाव होता है। खाने-पीने में कहीं न कहीं वसा तत्वों की मात्रा अधिक हो जाती है, वहीं शारीरिक श्रम में भी कमी आती है, कुल मिलाकर ये सारे तत्व कहीं न कहीं हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। वे लोग जो मधुमेह से ग्रसित हैं, जिनमें मोटापा है या फिर हृदय की कोई बीमारी है, उनमें भी ऐसा देखा जाता है कि इस मौसम में काफी सारे पैरामीटर्स बिगडऩे लगते हैं। किसी का शुगर लेवल बढ़ जाता है तो किसी के कालेस्ट्रॉल के स्तर में गड़बड़ी हो जाती है। अत: महत्वपूर्ण है कि इस मौसम में संतुलन को बनाए रखें जिससे स्वास्थ्य पर जो प्रभाव होता है, उसको कहीं न कहीं नियंत्रित किया जा सके और काफी सारी स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके। वैसे तो सर्दी का प्रभाव सभी पर होता है लेकिन कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर इसका असर अधिक होता है। सर्दी में श्वसन रोगियों की समस्या अधिक बढ़ जाती है। वायरल संक्रमण, सर्दी-जुकाम, बुखार, निमोनिया व त्वचा की समस्या हो सकती हैं। सर्दी, कोहरा और हवा के कारण त्वचा में रुखापन, बेजान त्वचा, खुजली, त्वचा में खिंचाव और एलर्जी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। ठण्ड के मौसम में हाथ-पैरों की ऊँगलियों में सूजन होना, लाल होना, खुजली होना और धीरे-धीरे उनका नीला पडऩा- ये समस्याएँ भी कई लोगों में देखने को मिलती हैं। इसके बचाव के लिए ठण्ड शुरू होते ही कॉटन के दस्ताने पहनना शुरू कर देना चाहिए और ठण्ड बढऩे पर उन्हीं के ऊपर ऊनी दस्ताने पहनने चाहिए। महिलाएँ प्रयास करें कि हल्के गुनगुने पानी में ही काम करें। ठण्डी हवा जब नाक या आँख में लगती है तो इस कारण कुछ लोगों में नाक बहनी शुरू हो जाती है। कई लोगों की नाक की म्यूकोसा में ठण्डी हवा का सीधा प्रभाव होता है, इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि मफलर या कुछ ऐसा बाँध लें जिससे नाक में जाने वाली हवा थोड़ा गर्म हो जाए और तकलीफ न करे।
सर्दियों में जोड़ों का दर्द परेशान करने लगता है, जो लोग जोड़ों की समस्याओं से ग्रस्त हैं, उन्हें भी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। बच्चे, वृद्ध या ऐसे लोग जो हृदय रोगी हों, मधुमेह रोग से ग्रस्त हों या जिन्हें उच्च रक्तचाप हो, उनके लिए भी खतरा बढ़ जाता है। सर्दी का प्रभाव शरीर पर तो पड़ता ही है, साथ ही मानसिक अवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में मौसमी अवसाद हो सकता है और व्यक्ति में उदासी, निराशा और नकारात्मक सोच की समस्या उत्पन्न्न हो सकती है। सर्दियों के मौसम में सावधानी रखकर इन समस्याओं से बचा जा सकता है और सर्दियों का पूरा आनंद भी लिया जा सकता है।
सर्दियों में हृदय की लगभग सभी समस्याएँ, चाहे वो Angina Pain हो या Heart Attack या Sudden Death हो, हृदय की गति का असामान्य होना, ये सभी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। ऐसा होता है, क्योंकि इस समय शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। सर्दियों में Peripheral Vasoconstriction यानि कि शरीर यह प्रयत्न करता है कि शरीर की जो गर्मी है, वह बाहर के ठण्डे वातावरण में न जाए इसलिए हमारे Skin की जो Blood Vessels हैं वो सिकुड़ जाती हैं। इस कारण से एक तो Blood Pressure बढ़ता है, दूसरे Heart Rate भी बढ़ जाता है।
नवजात शिशुओं या छोटे बच्चों का भी सर्दियों में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकताहै। नवजात शिशु या कमजोर बच्चे अपने शरीर की गर्मी ठीक से नहीं बना पाते, तो यदि हम उनको ठंड में छोड़ दें, उनको Adequately Cover न करें तो ऐसे बच्चों में Hypothermia (शरीर का तापमान काफी कम हो जाना) की समस्या हो जाती है। तापमान कम होने से नुकसान बहुत ज्यादा हो सकते हैं। तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि अगर बच्चा कमजोर है या छोटा है, नवजात शिशु है तो उसको Covered रखें और उसको Frequently Feed कराते रहें। अगर ऐसा लगता है कि बाहर अधिक ठंड है तो बच्चों को घर में रखकर अधिक से अधिक खेलने को कहें।
बच्चों को कोशिश करें कि हर दिन नहलाएँ और नहलाने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें। बहुत गर्म पानी का प्रयोग नहाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चों को नहलाने के तुरन्त बाद नारियल तेल या किसी भी तरह का मॉयश्चराइज़र जरूर लगाएँ ताकि Skin का Moisture बना रहे। कुछ बच्चों को सर्दियों में ऊनी कपड़ों से त्वचा में Rashes या एलर्जी की समस्याएँ देखी जाती हैं। इससे बचाव के लिए बच्चों में अन्दर की Layer सूती कपड़ों की रखें। अगर आप ऊनी कपड़ा पहनाना चाहते हैं तो सूती के ऊपर पहनाएँ, कपड़े की कई परतें होनी चाहिए। अगर सर्दी ज्यादा है तो 3-4 Layer को Adequate माना जाता है। जब तक कई परतें नहीं होंगी तब तक सर्दी से बचाव नहीं होगा क्योंकि जितनी ज्यादा पर्तें होंगी, Heat (ताप) को अंदर से बाहर नहीं जाने देंगी। मोजे और टोपी भी जब हम पहनाएँ तो हम अन्दर एक सूती पहनाएँ और फिर ऊनी पहनाएँ, इससे Skin से Direct Reaction भी नहीं होगा, कोई Allergy भी नहीं होगी और बच्चा गरम भी ज्यादा रहेगा। सर्दियों के मौसम में आमतौर पर हमें प्यास भी कम लगती है इसलिए हम लोग पानी कम पीते हैं। इससे कब्ज आदि पेट की समस्याएँ होने लगती हैं। पानी कम पीने से हमारा खून अधिक गाढ़ा होने लगता है, उसमें थक्का जमने की ज्यादा संभावना होती है। हमें सर्दी के मौसम में प्रत्येक कुछ घण्टों में कुछ न कुछ तरल पदार्थों का सेवन करते रहना चाहिए।
सर्दियों के मौसम में वजन बढऩे की समस्या भी बहुत देखने को मिलती है। सर्दियों के मौसम को हम अक्सर Healthy Season मानकर काफी सारे पकवान खाते रहते हैं और अधिक मात्रा में खाने से हम अक्सर अधिक Calories intake कर जाते हैं जिसकी वजह से वजन बढऩे की बहुत ज्यादा संभावना रहती है। इसके साथ में सर्दी होने की वजह से Mobility भी कम हो जाती है। हर कोई कंबल या रजाई में रहना चाहता है, तो उसका जो Calories खर्च करने का माध्यम है, वह भी कम हो जाता है। बाहर कोहरा होने की वजह से लोग टहलना भी बंद कर देते हैं, तो ये कई कारण मिलकर उसका Calories Reserve ज्यादा कर देते हैं और मोटापा ज्यादा बढ़ जाता है। वजन बढऩे से मधुमेह, उच्च रक्तचाप और जोड़ों में दर्द बढऩे का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए सभी को ध्यान रखना चाहिए कि सर्दियों में वजन को अधिक बढऩे न दे। इसके लिए नियमित व्यायाम करें व अधिक तला भुना खाने से बचें।
सर्दी का मौसम व स्वास्थ्य समस्याएँ
सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, फ्लू, श्वसन संबंधी समस्याएँ, हृदय संबंधी समस्याएँ, जोड़ों में दर्द, निमोनिया, दस्त, त्वचा की समस्याएँ व मोटापा।
सर्दी (ठंड) के लक्षण
गला खराब होना, खांसी, आँखों से पानी आना, नाक से पानी आना, छींके आना, साँस लेने में परेशानी, छाती में भारीपन, शरीर में दर्द या सिरदर्द, बुखार हो सकता है।
सर्दी से बचाव
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सर्दी में वृद्ध और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।
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व्यायाम जरूर करें। नियमित प्राणायाम, आसन व ध्यान करें।
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अधिक मिर्च-मसाले वाला खाना न खाएँ। पौष्टिक आहार लें।
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खाँसते या छींकते समय रुमाल का प्रयोग करें।
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संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
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संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएँ।
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साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोएँ।
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हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल और सलाद पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
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धूम्रपान व शराब का सेवन न करें।
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आहार में फाइबर की मात्रा अधिक हो।
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तुलसी, आँवला, हरड़ व हल्दी का सेवन करें।
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पतंजलि च्यवनप्राश, शिलाजीत, अश्वशिला, बादाम पाक, कश्मिरी केसर एवं पतंजलि गजक, आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें।
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पूरी, समोसे इत्यादि न खाएँ तथा घी व मक्खन का प्रयोग सीमित मात्रा में करें। जंक फूड का परहेज करें।
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पानी पर्याप्त मात्रा में पीएँ।
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कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति अधिक सावधानी रखें।
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पुरानी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति में गंभीरता बढ़ सकती है।
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अधिक समस्या होने पर चिकित्सक को दिखाएँ।
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स्वयं दवा न लें।
सर्दी में पतंजलि की औषधियाँ एवं विशिष्ट उत्पाद
इस मौसम में होने वाली समस्याओं से बचाव के हेतु पतंजलि की आयुर्वेदिक औषधियाँ यथा- गिलोय घन वटी, हरिद्राखण्ड, बादाम रोगन, अश्वगंधा चूर्ण, शिलाजीत, अमृतारिष्ट, तुलसी घन वटी, आरोग्य वटी, लवंगादि वटी, खदिरादि वटी तथा त्वचा की देखभाल हेतु एलोवेरा जैल, क्रेक हील क्रीम, लिप-बॉम, सौंदर्य क्रीम इत्यादि विशिष्ट उत्पाद हैं।
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