पतंजलि में आयोजित ग्रीन रिवोल्यूशन-2022 ‘एन एग्री विजन’कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर का ओजपूर्ण उद्बोधन
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परम श्रद्धेय आचार्य जी, मंच पर विराजमान हमारे उत्तराखण्ड के कृषि मंत्री श्री सुबोध उन्नियाल जी, पंचायत मंत्री श्री अरविन्द पाण्डेय जी, सहकारिता मंत्री श्री धनसिंह रावत जी, कृषि सहकारिता एवं समाज कल्याण मंत्रालय के सचिव आदरणीय श्री संजय अग्रवाल जी, संयुक्त सचिव बहन अल्का जी और इस अवसर के साक्षी बन रहे सभी भाई-बहनों व उपस्थित सज्जनों, आज इस कार्यक्रम में मैं आप सबके मध्य उपस्थित होकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। वैसे तो पतंजलि योगपीठ के विषय में सारा देश ही नहीं अपितु सारी दुनिया जानती है। योग के क्षेत्र में परम श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी महाराज ने जो जागरण देश में किया, उसकी तुलना नहीं की जा सकती। एक समय था जब स्वदेशी वस्तुओं के लिए आग्रह हुआ करता था कि भारत में रहने वाले व्यक्ति को स्वदेशी अपनाना चाहिए। उसके लिए जागरूकता अभियान भी चलते थे। हम जैसे छोटे-छोटे कार्यकर्ता भी उसमें संलग्र रहते थे। स्वदेशी के लिए जनसम्पर्क भी होता था। लेकिन जब कोई व्यक्ति पूछता था कि स्वदेशी उत्पाद कौन सा है और इस उत्पाद को हम कहाँ से खरीद सकें, उसका पता बताइए? हम ढूंढते थे तो भारत में न तो साबुन, न दाँत मांजने का मंजन उस कालखण्ड में मिलता था। इससे अभियान और भाव जहाँ रहता था, वहीं बना रहता था, आगे नहीं बढ़ पाता था। लेकिन योग के साथ-साथ स्वदेशी के आंदोलन में बाबा रामदेव जी ने जो अद्भुत क्रांति की है, उसका जितना अभिनंदन किया जाए कम है। आप अगर स्वदेशी के बारे में पूछेंगे तो एक चीज के १० प्रोडक्ट मिल जाएँगे और इसमें बाबा रामदेव जी का बहुत बड़ा योगदान है। बाबा रामदेव जी के पीछे बैक-बोन की तरह आचार्य बालकृष्ण जी हैं, उनकी तपस्या, साधना, ज्ञान, परिश्रम व मिशन के प्रति उनका समर्पण, यह भी अद्भुत है, अतुलनीय है। यूँ तो पतंजलि योगपीठ योग के क्षेत्र में काम करे समझ में आता है, स्वदेशी के क्षेत्र में काम करे यह भी समझ में आता है लेकिन खेती भी अच्छी हो, इसमें भी पतंजलि आए और यहाँ तक पतंजलि की दृष्टि जाए, यह भी तारीफ के काबिल है। आचार्य जी ने जब इस परियोजना के बारे में बताया तो मैंने, सैके्रट्री साहब तथा अन्य अधिकारियों ने आचार्य जी के साथ मीटिंग की और कुल मिलाकर यह बात सामने आई कि जब मनुष्य को ठीक रखने के लिए डॉक्टर की जरुरत है तो धरती को ठीक रखने के लिए भी डॉक्टर की जरुरत है। इसलिए जब उन्होंने ‘धरती का डॉक्टर’का कॉनसेप्ट रखा तो सभी को निश्चित रूप से पसंद आया। आज उसे आगे बढ़ाने का अवसर मिल रहा है। अब यह पॉयलेट के रूप में होगा। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में यह वट वृक्ष भी बनेगा और हर खेत की उत्पादकता व हर किसान की आय को बढ़ाने में यह निश्चित रूप से सहायक होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी की लगातार यह कोशिश है कि किसान, कृषि, गाँव व गरीब- इनका उन्नयन होना चाहिए। हम जानते हैं कि हमारा देश कृषि प्रधान व गाँव प्रधान है। अगर कृषि समृद्ध नहीं होगी और गाँव विकसित नहीं होंगे तो भारत विकसित राष्ट्र बनेगा यह सोचना भी मुमकिन नहीं है। आजादी के बाद एक लम्बे कालखण्ड में सरकारों ने प्रयास तो बहुत किया लेकिन प्रयत्न की जो दिशा थी, उसके कारण बड़ा असंतुलन खड़ा हो गया। उस असंतुलन को संतुलन में बदलना, उसकी विकृतियों को आकृति में बदलना, उसमें होने वाली अमानत में खयानत को बंद करना, यह कठिन चुनौति थी। लेकिन आप सब लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री जी दृढ़ संकल्प के धनी हैं और उनका सपना था कि जब तक गरीब आदमी की जिन्दगी में बदलाव नहीं आएगा तब तक हमारा मकसद पूरा नहीं होगा और जब तक कृषि व कृषक की आय दोगुनी नहीं होगी, तब तक हम भारत को श्रेष्ठ भारत नहीं बना सकते। इसलिए उन्होंने समग्र विकास व संतुलित विकास की कल्पना पर काम किया, एक और इण्डस्ट्री के लिए काम कर रहे हैं, मेक-इन इण्डिया के लिए काम कर रहे हैं, देश को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, साथ ही इन दो बिन्दुओं पर जितनी गम्भीरता है, वह आप सबको दृष्टिगोचर होती होगी। इस बार कृषि और ग्रामीण विकास का जो बजट आया है, आप सोचिए वह ३ लाख करोड़ से अधिक है। २ लाख ८३ करोड़ का तो बजट प्रावधान है, बाकि बजट के अतिरिक्त जो राशि है वह ३ लाख करोड़ से भी ऊपर है। यह बजट इसलिए रखा है कि कुल मिलाकर किसान की दशा सुधरे और वह देश की प्रगति में अपना योगदान दे सके। किसान की दशा सुधारने के लिए कई आयामों पर एक साथ काम करना है। कृषि को आगे बढ़ाना है तो अच्छा बीज चाहिए, अच्छा खाद चाहिए, सिंचाई की जरुरत है, पानी नहीं है तो ड्रिप इरिगेशन चाहिए, जहाँ वर्षा है वहाँ वर्षा आधारित खेती चाहिए, जहाँ वर्षा नहीं है तथा पानी की उपलब्धता नहीं है वहाँ क्या करें, यह सोचने की आवश्यकता है। खेती को आगे बढ़ाने के लिए सब दिशा में विचार करने की आवश्यकता है। खेती को आगे बढ़ाने के लिए सब चीजें भी उपलब्ध हो जाएँ लेकिन अगर हमारे खेत की मिट्टी का परीक्षण नहीं है और उस मिट्टी में क्या ठीक हो सकता है, उसका परामर्श हमारे पास नहीं है तो किसान परीश्रम भी करेगा, पूँजी भी लगाएगा लेकिन इसके बाद भी जितना फायदा मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाएगा। इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने Soil Testing अभियान चलाया। १० करोड़ से अधिक किसानों को Soil
Testing Card दिए गए। बड़ा अभियान था, पूरा भी हुआ लेकिन उसके बावजूद भी अगर खेत में उत्पादकता बढ़ाना है तो इसकी निरंतरता बनाना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार यदि किसी इंसान को बुखार आ रहा है, मलेरिया है लेकिन मलेरिया का पता तब तक नहीं चलेगा जब तक Blood
Test न हो। अगर Blood Test हो जाता है तो दो कुनैन की खुराक से मलेरिया ठीक हो जाता है। ठीक इसी प्रकार से यदि Soil Health Testing ठीक है और मुझे मालूम है कि मेरे खेत में क्या हो सकता है, कितने खाद की जरुरत है, इस दिशा में सोचना और काम करना बहुत जरूरी है। इस दिशा में आचार्य जी ने सोचा, उन्होंने पॉयलेट भी बनाया, निश्चित रूप से इसका फायदा हम सबको और हमारे देश को आने वाले कल में मिलेगा। खेती और समृद्ध हो इसके लिए अनेक काम और अनेक योजनाएँ सफल तरीके से चल रही हैं लेकिन इन सबसे काम चलने वाला नहीं है। खेती के सामने चुनौतियाँ भी हैं। एक समय था जब कहा जाता था खेती वहीं होगी जहाँ पानी होगा। मैं समझता हूँ अब कॉनसेप्ट बदल गया है, खेती वही कर सकता है जिसकेपास ज्ञान है। अगर ज्ञान है, तकनीक है तो कम पानी में भी बहुत अच्छी खेती की जा सकती है। इसके लिए टेक्नोलॉजी व सहायता की जरुरत है। इस दिशा में भारत सरकार बहुत तेजी से काम कर रही है। P.M. किसान जैसी योजनाएँ जिनमें ८ करोड़ किसानों को अभी तक ६ हजार रुपया वार्षिक उनके बैंक अकाउण्ट में पहुँचाने का काम किया जा रह है। फसल बीमा योजना का लाभ आमतौर पर किसानों को नहीं मिलता था लेकिन मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि पिछले दिनों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों का प्रिमियम १३ हजार करोड़ था और किसानों को फसल के नुकसान का मुआवजा मिला वो ५७ हजार करोड़ था। आप सोचिए कि कितना बड़ा सुरक्षा कवच भारत सरकार ने किसान को दिया हुआ है। अगर यह योजना नहीं होती तो किसानों को यह ५७ हजार करोड़ रुपया नहीं मिलता और सोचिए कि यदि यह राशि किसान को नहीं मिलती तो उसकी हालत क्या होती। लेकिन साथ ही लोगों को यह सोचने की आवश्यकता है कि एक समय था जब हमारे सामने उत्पादन का संकट था लेकिन आज अगर हम गेहूँ व धान का उत्पादन देखें तो हमारे पास सर्पलस उत्पादन है। उस समय उत्पादन हो जाए यह समस्या थी, आज उत्पादन को कहाँ रखें यह बड़ी समस्या है। सरकार भी खरीद करे तो कितनी करे, उसकी भी एक सीमा है। जल ही जीवन है, लेकिन हम सब जानते हैं कि बेमौसम बरसात प्याज को २५० रुपए किलो बिकवा देती है। ये सारी चुनौतियाँ भी हैं। फसलों का Diversification हो, इस दिशा में भी समझदार किसानों को, वैज्ञानिकों को, इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को किसानों के बीच जाकर बातचीत करने की आवश्यकता है। जिस प्रकार से कैमिकल्स युक्त फर्टिलाइजर्स के नुकसान ध्यान में आते हैं, इसको दृष्टिगत रखते हुए जैविक खेती पर बल दिया गया है। जैविक रकबे को तेजी के साथ बढ़ाया जाए। भारत सरकार का कृषि मंत्रालय इस पर बहुत गम्भीरता से काम कर रहा है। जैविक कृषि को बढ़ावा मिले इसके लिए केन्द्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर सहायता कर रही है, उनको तकनीकि सपोर्ट भी दे रही है और वो मार्केट से जुड़ सके इसके लिए भी प्रयत्न कर रही है। इस बार ० बजट खेती, प्राकृतिक पद्धति से जो कभी हमारे यहाँ खेती होती थी, उस पर भी हम लौटें इसके लिए प्रावधान किया गया है। इस दिशा में भी हम सब लोगों को सोचन व काम कराने की आवश्यकता है। अभी तक किसान उत्पादन तो करते थे, मण्डी में बेचते भी थे लेकिन एक राज्य से दूसरे राज्य में किसान सीधा अपना उत्पादन बेच सके, इसकी सुविधा नहीं थी। पूरा देश किसान के लिए एक बाजार के रूप में दिखाई दे, उसके लिए ईनाम प्रोजेक्ट शुरु किया गया। ५८५ मण्डियों को इससे जोड़ा गया है और विगत दिनों में इस प्रोजेक्ट के माध्यम से ई-मार्केट के माध्यम से किसानों को ९१,००० करोड़ रुपए का व्यापार किया है। ४००-४५० मण्डी और निकट भविष्य में इस प्रोजेक्ट से जुड़ जाएँ, उस दिशा में हमारा मंत्रालय तेजी के साथ काम कर रहा है। यदि किसानों को अपना उत्पादन तमिलनाडू भेजने के लिए रेल की जरूरत पड़े, तो ऐसा कोई विशेष प्रबंध था। फर्टिलाइजर्स के लिए भी यदि रैक्स की जरुरत होती थी तो उन्हें सबसे पीछे रैक मिलती थी, जिस कारण किसानों को फर्टिलाइजर्स भी समय से नहीं मिल पाता था। लेकिन प्रधानमंत्री जी ने इस बजट में तय किया कि ‘किसान रेल’चलाएँगे। उसमें किसान का उत्पाद प्राथमिकता के आधार पर इधर-से उधर परिवहन किया जाएगा। फल व फूलों की खेती की दृष्टि से भी यदि आवश्यकता रहेगी तो हम वातानुकूलित (A.C.) बोगियाँ बनाएँगे जिसमें किसान अपना कच्चा उत्पादन एक स्थान से दूसरे स्थान पर २४ से ४८ घण्टे में भेज सके। मोदी जी का बजट यहीं तक नहीं रुका, जो हमारे आर्गेनिक उत्पाद हैं, फल जिनकी क्वालिटी बहुत अच्छी है, दुनिया के बाजार में निर्यात हो सकें उसके लिए बजट में ‘किसान उड़ान’योजना भी प्रारंभ की गई। अब यह सम्भव हो सकेगा कि उत्तराखण्ड का कोई उत्पाद है और उसको दूसरे देश जाना है तो देहरादून में फ्लाइट खड़ी होगी, आप अपना माल लादिए और २४ घंटे में हजारों किलोमीटर दूसरे देश में जाकर बेच दीजिए। पूरे नार्थ-ईस्ट में आर्गेनिक रकबा है। बड़ी मात्रा में अच्छे उत्पाद वहाँ होते हैं लेकिन किसान को उचित मूल्य नहीं मिल पाता क्योंकि मार्केट नहीं है। इस बजट में लोजिस्टिक पर विशेष ध्यान दिया गया है। बाकि सब ठीक है पर अपनी माटी का स्वास्थ्य सबसे ज्यादा जरुरी है। इस दिशा में सरकार प्रयत्न कर रही है, आचार्य जी भी पॉयलेट कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि पॉयलेट सफल होगा और आने वाले कल में कृषि के सामने जो चुनौतियाँ हैं, उन सब चुनौतियों का सामना करते हुए हम सब मिलकर विजय प्राप्त कर सकेंगे।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
लेखक
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