जीयेंगे स्वदेशी, स्वाभिमान के लिये

जीयेंगे स्वदेशी, स्वाभिमान के लिये

प्रफुल्ल चन्द्र कुंवर ''बागी'

जान के लिये भी और जहान के लिये।
जीयेंगे स्वदेशी, स्वाभिमान के लिये।।1।।
गर स्वच्छ हम रहेंगे तो देश स्वस्थ होगा।
स्वस्थ रहे तो देश समर्थ कैसे होगा ?
जिन्दगी की नाव को दांव पर लगायेंगे।
विदेशी लुटेरों को देश से भगायेंगे।।
 
स्वस्थ और समर्थ हिन्दुस्तान के लिये।
जीयेंगे स्वदेशी, स्वाभिमान के लिये।।२।।
मजदूर के लिये भी और किसान के लिये।
खेत-खलिहान, बगान, नए निर्माण के लिये।।
संविधान की रक्षा, एक विधान के लिये।
राष्ट्रभाषा हिन्दी, शोध-विज्ञान के लिये।।
     
शहीदों के बलिदान के सम्मान के लिये।
जीयेंगे स्वदेशी, स्वाभिमान के लिये।।३।।
जान जब बचेगी तो जहान भी बचेगा।
भारत आसमान में कीर्तिमान रचेगा।।
अपनी शान और देश की पहचान के लिये।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिये।
     
जीयें स्वावलंबी हिन्दुस्तान के लिये।
जीयेंगे स्वदेशी, स्वाभिमान के लिये।।४।।