परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य......
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जीवन विद्या भाग -1
जीवन को पूर्ण विवेक, पूर्ण निष्ठा, पूर्ण पुरुषार्थ, पूर्ण स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि-शान्ति व सफलतापूर्वक जीने के लिए हमारे पूर्वज ऋषियों से साररूप में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण सूत्र संदेश या निर्दश मार्गदर्शन हमें दिये हैं। आपको भी हम संक्षेप से आज संप्रेषित कर रहे हैं। विस्तार खुदकर लेना।
1. ब्रह्मचर्यम् - आयुष्याणाम आयु बल, बुद्धि, शौर्य, वीरता, पराक्रम एवं पूर्ण सुख ब्रह्मचर्य, संयम या मर्यादित जीवन जीने में है। असंयम व मर्यादा विहीन जीवन आहार-विचार, वाणी, व्यवहार स्वभाव व सम्बंधादि में असंयम ही हमारे जीवन के रोग शोक, दुःख, दरिद्रतादि का मूल कारण है।
2. कालभोजनम् - आरोग्यकराणाम्, एकभुक्तं सदारोग्यम् द्विभुंक्त, बलवर्धनम्, त्रिभुक्त सदा रोगम्, चतुर्भुक्तम् त मारकम्- समय से भोजन करना आरोग्य का बड़ा सूत्र है। एक बार भोजन सदारोग्य देने वाला, दो बार बल बढ़ाने वाला, तीन बार रोग बढ़ाने वाला, चार बार व बार-बार भोजना मारने वाला है। रोग व मृत्यु शीघ्र ही आयेगी। इन सभी संदर्भों में गंभीर अनुसंधानों का भी यही निष्कर्ष है।
3. आमलम् वयः स्थापनानाम्, क्षीरघृताभ्यासो.. रसायनानाम्, आयुर्वेदो-अमृतानाम्।
महर्षि चरक के ये सूत्र जीवनीय तत्व हैं। आंवला आयुवर्धक है, क्षीर दूध तथा घृत रसायन सबसे बड़े वयः स्थापक रसायन इन्युनिटी बुस्टर हैं। आयुर्वेदोक्त जीवन पद्धति अमृत संजीवनी है। सिंथेटिक दवा तथा विलासितापूर्वक जीवनशैली से मनुष्य का जीवन ही पूरा जरजरीत हो रहा है। इसलिए आईयें पुनः हम जड़ों से जुड़े, बड़ों पूर्वजों से जुड़ें। प्रकृति व संस्कृति में ही समाधान है।
भारतीय शिक्षा बोर्ड
भारतीय शिक्षा बोर्ड के सन्दर्भ में आप वर्षों से अधीर थे कि कब इसका गठन होगा। कब हम इस बोर्ड से अपने शिक्षा संस्थानों को सम्बद्धकर पायेंगे तथा कब अपने बच्चों को इस बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ा पायेंगे। अब B.S.B. मेन स्ट्रीम एजुकेशन सिस्टम वाले पाठ्यक्रम तथा गुरुकुलीय पाठ्यक्रम में अपनी सन्तानों को दीक्षित करके उनको विश्व का श्रेष्ठतम नागरिक बना पायेंगे। इस सन्दर्भ में मैंने यू.एस. अमेरिका की यात्रा के दौरान जो कुछ निष्कर्ष के रूप में लिखा उसको टाइप कराकर आप तक पहुंचाने का विनम्र प्रयास है तथा प्रार्थना है कि आप इस नये विश्व की कालजयी युगान्तकारी नई शिक्षा व्यवस्था से स्वयं जुड़े तथा सबको जोड़ें।
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