पतंजलि में 'उन्नत तकनीकों के साथ-साथ आयुर्वेद के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य’ विषय पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन

पतंजलि में 'उन्नत तकनीकों के साथ-साथ आयुर्वेद के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य’ विषय पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन

01 मई, हरिद्वार। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के अंतर्गत, पतंजलि अनुसंधान संस्थान तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से "Achieving Holistic Health through Ayurveda alongwith Advanced Technologies" विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया।

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इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि आज लोगों का उपचार तो हो रहा है लेकिन उपचार के नाम पर व्यापार भी हो रहा है और कई बार यह उपचार व्यापार के कारण मौत का कारोबार बन जाता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से हमारी ऋषियों की ज्ञान परम्परा को गौरव प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। हम सब संगठित होकर, एक साथ चलकर, संगठित पुरुषार्थ से एक बड़ा लक्ष्य प्राप्त करेंगे और ऋषि संस्कृति व आयुर्वेद का गौरव पुन: देख पाएँगे।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि पहले आयुर्वेद में तथ्य व प्रमाण न होने के कारण इसे वैश्विक स्तर पर ख्याति नहीं मिल पाई।  पतंजलि के प्रयासों से आज योग व आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता मिली है। घर-घर में एलोवेरा, तुलसी, नीम, गिलोय, लेमन ग्रास आदि जड़ी-बूटी के रूप में मिल रहा है।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल कमीशन फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी ने कहा कि हम सभी को हॉलिस्टिक हेल्थ व इंटिग्रेटेड चिकित्सा पद्धति को ठीक से समझना होगा। उन्होंने कहा कि आज आयुर्वेद में टेक्नोलॉजी की बात होती है किन्तु पहले हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि आयुर्वेद में हम कब तथा किस हद तक तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं।
निम्स (एनआईआईएमएस) यूनिवर्सिटी, जयपुर, राजस्थान के डॉयरेक्टर सर्जिकल डिसिप्लिन्स प्रो. (डॉ.) अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि आयुर्वेद हमें सही जीवन पद्धति की ओर ले जाता है। और पतंजलि औषधि एवं आयुर्वेदिक धाराओं का संगम है।  उन्होंने कहा कि अब संगम व समागम का समय है। पतंजलि इस संगम की धुरी है जिस आधार पर पतंजलि पंत प्रयाग बन रहा है।

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सम्मेलन में अथ: आयुर्वेद, गुरुग्राम के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. परमेश्वर अरोड़ा ने 'वैदिक वे ऑफ ड्रिंकिंग वाटरसफदरजंग अस्पताल, दिल्ली के पूर्व मुख्य ब्रेस्ट/एंडोक्राइन यूनिट, हेड सर्जरी प्रो चिंतामणि ने 'समग्र स्वास्थ्य-द कार्पे डायम स्पिरिटअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश, उत्तराखंड के आयुष विभाग की अध्यक्षा प्रो. वर्तिका सक्सेना ने देश में मोटापे के वर्तमान रुझान व इसके प्रबंधन के लिए समग्र दृष्टिकोणआयुष मंत्रालय, उड़ीसा सरकार की एम्पावर्ड कमेटी के अध्यक्ष प्रो. गोपाल सी. नंदा ने 'लॉजिकल इंटरवेंशन ऑफ मॉडर्न टेक्नोलॉजी विद होलिस्टिक सिस्टम ऑफ मेडिसिन-ए सिम्बायोटिक अप्रोचआईएएसटीएएम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र भट्ट ने 'आयुर्वेदिक सिद्धांतों के लिए उन्नत तकनीकों के अनुकूलन हेतु चुनौतियाँ और समाधान: कुछ उदाहरणविषय पर व्याख्यान दिया।
विशेष तकनीकी सत्र में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख नैनो आयुर बायोसाइंसेस डिवीजन डॉ. कुनाल भट्टाचार्य ने 'न्यूरोप्रोटेक्टिव इफैक्ट ऑफ दिव्य मेधावटी अगेंस्ट एल्जाइमर-लाइक सिम्प्टम्स थ्रू डिफेंस अगेंस्ट स्कोपोलामाइन- इन्डयूस्ड ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस एण्ड कांग्नेटिव लॉसतथा पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के दंत चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र प्रमुख डॉ. कुलदीप सिंह ने 'योगा ट्रेडिशनल इण्डिया नॉलेज : एन एडजैक्ट इन मैनेजिंग मॉडर्न डेज़ लाइफ स्टाइल इन्ड्यूस्ड ओरोडेन्टल डिज़ीजविषय पर व्याख्यान दिया।

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पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर जी ने कहा कि पतंजलि के माध्यम से पूरे विश्व में मानवता, वैदिक संस्कृति, महान नैतिक जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा कर योग व आयुर्वेद के माध्यम से पूरे विश्व को रोगमुक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है।
कार्यक्रम का सफल संचालन पतंजलि अनुसंधान संस्थान की हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्या ने किया।
इस अवसर पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डी.जी.एम. ऑपरेशन श्री प्रदीप नैन, पतंजलि विवि की कुलसचिव डॉ. प्रवीण पुनिया, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल यादव, पीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव सहित पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

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