आँखों के तनाव को दूर करने में सहायक योगाभ्यास

आँखों के तनाव को दूर करने में सहायक योगाभ्यास

डॉ. शरली टेल्लस एवं अंकुर कुमार, पतंजलि रिसर्च फाऊंडेशन

   गर्मियों की छुट्टियां पड़ने पर हमें लेपटॉप, आईपेड, आईफोन्स और किताबी दुनिया से बाहर निकलकर अपनी आँखों को आराम देना चाहिए। हमारी आँखों की मांसपेशियाँ बहुत मजबूत हैं, इसके पश्चात् भी वे बहुत अधिक समय तक कम्प्यूटर या टी.वी. के सामने बैठने पर थक जाती हैं। इस प्रकार की थकान या आँखों का तनाव भी एक प्रकार का नेत्र सम्बंधी समस्या ही है। इसके लक्षण आँखों में जलन या सूखापन, आँखे खोलते समय थकान का अनुभव, आँखों में दर्द, धुंधलापन, सिर दर्द और दोहरी दृष्टि आदि के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका उपचार अत्यावश्यक है।
व र्तमान समय में जीवनशैली में आये परिवर्तन की वजह से हमें कम्प्यूटर, ई-बुक्स आदि के सामने बहुत अधिक समय व्यतीत करना पड़ता है। इस प्रकार के कार्य करने की वजह से हमारी आँखें असहज हो जाती हैं और दर्द का अनुभव करती हैं। इस प्रकार के कुछ मामलों में दृष्टिगोचर थकान हमारी उत्पादकता और एकाग्रता को भी कम कर सकती है तथा हमारी देखने की क्षमता पर नकारात्क प्रभाव डाल सकती हैं। इस प्रकार के सिन्ड्रोम को कम्प्यूटर वीज़न सिन्ड्रोम कहते हैं।
दृष्टिगोचर थकान के लक्षण:
  • सूखी और जलन वाली आँखें
  • पीड़ादायक और लाल आँखें
  • सिर दर्द
  • कमर और गर्दन दर्द
  • चक्कर आना
  • हल्कापन
  • ·कार में चक्कर तथा उल्टी आना
  • उबकाई
  • धुंधली दृष्टि
  • दोहर दृष्टि
  • आँखों में खुजली
  • आँखों में पानी आना
  • आँखों में खुजली
  • आँखों में जलन (बन्द आँखों में भी)
  • पलकों में भारीपन/ माथे में भारीपन
  • थकान
  • पढ़ने में कठिनाई
  • एकाग्रता की कमी
यदि आप इनमें से किसी प्रकार के दृष्टिगोचर थकान से पीड़ित हैं, तो एक नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। वे कुछ नेत्र परीक्षण तथा आपकी जीवन शैली व कार्य करने की आदत के विषय में चर्चा करने के पश्चात् यह बता सकते हैं कि आप दृष्टिगोचर थकान से पीड़ित हैं या नहीं।
दृष्टिगोचर थकान के मुख्य कारण:
  • टी.वी. देखना
  • कम्प्यूटर स्क्रीन, आई-पेड्स
  • स्मार्ट फोन्स
  • विडियो गेम्स
  • कोई भी वह कार्य जिसमें आँखों पर अत्यधिक ज़ोर या दबाव पड़ता है, जैसे- बहुत अधिक समय तक पढ़ना-लिखना या गाड़ी चलाना।
अधिकांश लोग स्मार्टफोन और डिजिटल डिवाइसेज प्रयोग करते समय उन्हें अपनी आँखों के बहुत करीब रखते हैं। कुछ अध्ययन तो इस बात की पुष्टि करते हैं कि डिजिटल डिवाइस का उपयोग करते समय लोग उन्हें किताबों से भी अधिक समीप ले आते हैं, जो कि आँखों को सामान्य की तुलना में अधिक तनावग्रस्त करता है।
सामान्य रूप से मनुष्य एक मिनट में 18 बार अपनी आँखें झपकाता है जिससे हमारी आँखें तरोताज़ा अनुभव करती हैं, परन्तु अध्ययन बताते हैं कि कम्प्यूटर या अन्य किसी डिजिटल डिवाइस का प्रयोग करते समय मनुष्य केवल इससे आधी बार ही आँखें झपकाता है। परिणाम स्वरूप आँखों में सूखापन, थकान, खुजली और जलन इत्यादि की समस्याएं पैदा होती हैं।
उपयोगी यौगिक क्रियाएं:
  • पामिंग: अपने दोनों हाथों की हथेलियों को स्थिरता पूर्वक इस प्रकार रगड़िए कि वे गरम हो जाएं। उसके बाद गरम हथेलियों को कप बनाकर उनसे उन्हें दोनों आँखों के ऊपर इस प्रकार रखिए कि दोनों आँखें ढक जाएं।
  • संकुचन या शिथिलीकरण: यदि आपको ग्लूकोमा नहीं है, तो आप यह अभ्यास कर सकते हैं। इसके लिए अपनी आँखों को इतनी दृढतापूर्वक बंद कीजिए जितना आप कर सकते हैं। इस संकुचन को तीन सेकेन्ड तक करें। फिर आँखें तेजी से खोल लें।
  • आइरोलिंग: अपनी आँखों को जितना ले जा सकते हैं, उतना ऊपर तथा नीचे की तरफ ले जाएं। तत्पश्चात आँखों को दायें तथा बायें घूमायें। यह प्रक्रिया चार बार दोहरायें। इसके पश्चात् आँखों की मांसपेशियों को आराम देने के लिए इन्हें तेजी के साथ झपकायें। पूरी प्रक्रिया के दौरान श्वास की गति सामान्य रखें।
  • योगनिद्रा: शिथिल होकर शवासन में लेट जायें तथा कुछ गहरी और लम्बी श्वास लें और छोडें। इसके पश्चात अपने ध्यान को दाहिने पैर पर ले जायें तथा इस प्रकार की अनुभूति करें कि आपका पैर शिथिल हो रहा है। इस प्रकार धीरे-धीरे अपने ध्यान को दाहिने घुटने, जाँघ और नितम्बों पर बारी-बारी से लेकर जायें और इन मांसपेशियों में शिथिलीकरण का अनुभव करें। अब अपने दाहिने पैर के विषय में सजकता का अनुभव करें। यह प्रक्रिया बायें पैर के लिए भी दोहराए। इसी प्रकार अपने ध्यान को शरीर के अन्य भागों जैसे- पेट, नाभि, वक्ष, दाया व बाया कन्धा, दायीं व बायीं भुजा, गला और मस्तिष्क पर लेकर जायें तथा उन्हें शिथिल करें। एक लम्बा व गहरा श्वास लें और शरीर में होने वाली संवेदनाओं का अनुभव करें तथा इसी अवस्था में शरीर को कुछ समय के लिए शिथिलीकृत करें। अब धीरे-धीरे अपने शरीर व उसके आसपास के वातावरण के विषय में सजक होने के पश्चात् दायीं करवट लेट जायें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे उठकर बैठें और अपनी सुविधा के अनुसार धीरे-धीरे अपने नेत्रों को खोलें।
  • ·सुलभ दृष्टि: एक मुस्कान के साथ अपनी आँखों को हल्का करें (अपनी आँखों से मुस्कुराएं, न कि मुख व होठों के द्वारा)। पूरी तरह से आँखों को शिथिल करें; आँखें क्या और कैसे देखती हैं? इसे प्रभावित करने का प्रयास न करें। जैसे-जैसे आँखें शिथिल होती हैं, वैसे ही मन भी शांत होता जाता है। आँखों के द्वारा मुस्कुराइए तथा उस मुस्कान से अपने चेहरे को शिथिल कीजिए तथा महसूस कीजिए कि यह मुस्कान आपके संपूर्ण शरीर में फैल गयी है। कहीं भी ध्यान केन्द्रित न करें, आप हर चीज के बारे में जागरूक रहें। इसी क्रम में त्रिविगीय चित्रों पर एकटक देखना एक अच्छा व्यायाम है, यह दृष्टि को विकेन्द्रित करने तथा आँखों को शिथिल करने में मदद करता है।
  • योगाभ्यास करने के पश्चात् और अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर हम नेत्रों की थकान को दूर करके अपने नेत्रों को स्वस्थ बना सकते हैं तथा हर आवश्यक कार्य को सुचारु रूप से करने में सफल हो सकते हैं।
 
 

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