थायराइड प्रकार, कारण, लक्षण व उपाय
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डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय,
असिस्टेंट प्रोफेसर, शालाक्य तंत्र विभाग
पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, हरिद्वार
थाइराइड ग्लैंड (ग्रंथि) तितली के आकार की तथा एक आउंस से भी कम वजन वाली होती है। यह ग्रंथि बहुत महत्वपूर्ण है। इससे होने वाले स्राव का प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह ग्रंथि कम सक्रिय होने पर कम हारमोन स्रावित करती है, जिससे मेटाबालिज्म धीमा हो जाता है। इसकी अतिसक्रियता भी खतरनाक होती है। थाइराइड आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है। यह गले की बीमारी है जिसका शुरुआत में पता नहीं लग पाता लेकिन धीरे-धीरे एक गोलाकार आकृति गले पर साफ दिखने लगता है। यह थायराइड की गंभीर स्थिति होती है। शरीर में हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन कम या ज्यादा होने लगता है इस स्थिति को ही थायराइड कहते हैं।
थॉयरायड कम होने से ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है। ठंड के प्रति सहनशीलता कम हो जाती है तथा वजन बढऩे लगता है। थॉयरायड हृदय की धडक़न को भी नियंत्रित करता है। शरीर का तापमान, मांसपेशियों की गतिविधि तथा कैलोरीज को जलाने में सहायक होता है। लेकिन यदि ये हारमोन ठीक से साबित न हों तो अनेक प्रकार की समस्या हो सकती है। ये समस्याएं हारमोन्स के कम स्राव या हारमोन्स के अति स्राव के कारण उत्पन्न होती हैं।
थाइराइड के प्रकार
आजकल हर 10 में से एक व्यक्ति थायराइड के किसी ना किसी प्रकार से जूझ रहा है। बदलती दिनचर्या थायराइड (Thyroid) का मुख्य कारण है। आमतौर पर थायराइड दो प्रकार के होते हैं-
1) हाइपरथायरोइडिज़्म
हाइपरथायरोइडिज़्म (hyperthyroidism) में रोगी पतला होने लगता है। हाइपरथायरोइडिज़्म से पीडि़त व्यक्ति अचानक ही घबराहट और बेचौनी महसूस करने लगता है।
2) हाइपोथायरोइडिज़्म
हाइपोथायरोइडिज़्म (hyperthyroidism) में मरीज का वजन तेजी से बढऩे लगता है जिसके कारण हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों की तुलना में ये बीमारी महिलाओं में अधिक देखी गई है इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है।
क्यों होता है यह रोग?
थायराइड का मुख्य कारण शरीर में उपस्थित हार्मोन्स के असंतुलित होना है। आयोडीन की कमी भी थायराइड का प्रमुख कारण है। थायराइड के कुछ कारण निम्र प्रकार हैं-
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अनियमित दिनचर्या तथा असंतुलित खानपान, अधिक तेल, मसाले भोज्य पदार्थ थायराइड का कारण हो सकते हैं। जंक फूड और मैदे से बने खाद्य पदार्थ थायराइड की संभावना को प्रबल करते हैं।
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यह एक अनुवांशिक रोग है, यदि रोगी के परिवार में पहले किसी को थायराइड है तो यह रोग आपको भी हो सकता है।
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यदि आपको पहले भी थायराइड हुआ है तो इसके कुछ अंश शरीर में रह जाते हैं जिससे कुछ समय बाद फिर से यह बीमारी पनप सकती है।
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व्यक्ति की उम्र 30 साल से ज्यादा होने के कारण भी थायराइड होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। वजन संतुलित न होने के कारण भी थायराइड हो सकता है।
थायराइड के लक्षण
इससे संबंधित लक्षण बहुत ही सामान्य तथा बढ़ती उम्र से जुड़े होते हैं। इसी से प्रारंभ में इन्हें पकडऩा बहुत कठिन होता है। हर समय थकावट, सुस्ती, आलस, महसूस होता है। हृदय की धडक़न धीमी हो जाती है मांसपेशियों अकडऩ तथा दर्द होने लगता है। त्वचा रूखी तथा बाल झडऩे लगते हैं। कई बार पेट भी साफ नहीं होता तथा कब्ज बनी रहती है। पैरों और मुंह पर सूजन की शिकायत भी हो सकती है। इतना ही नहीं हाईपोथॉयरायडिजम से पीडि़त व्यक्ति को जरा सी भी ठंड बर्दाश्त नहीं हो पाती। थायराइड से शिकार व्यक्ति के बाल दिन प्रतिदिन कमजोर और बेजान होने लगते हैं, और वो हर छोटी बड़ी बात पर चिड़चिड़ा व्यवहार करता है।
बात हायपरथाइरॉयडिज्म की करें तो, थायराइड के इस प्रकार में पीडि़त व्यक्ति का वजन कम होने लगता है, और मरीज को गर्मी बर्दाश्त नहीं होती है। साथ ही पेट में हमेशा दर्द रहने की शिकायत होती है। इसके अलावा थायराइड से पीडि़त व्यक्ति अचानक ही घबराहट और बेचैनी महसूस करने लगता है।
अन्य लक्षण
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महिलाओं में थॉयरायड ग्लैंड की समस्या होने पर मासिक धर्म अनियमित हो जाता है तथा कई बार गर्भ भी नहीं रूकता है।
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गर्भस्थ शिशु के विकास पर भी असर पड़ता है। जन्म के समय शिशु अविकसित शरीर व मस्तिष्क वाला हो सकता है।
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बुजुर्गों में डिप्रेशन की शिकायत हो सकती है।
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आवाज भी भारी हो जाती है।
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यौनेच्छा भी कम हो सकती है।
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थॉयरायड ग्लैंड की अधिक शिकायत हो जाने पर हृदय के चारों ओर पानी भर जाता है।
थायराइड का घरेलु उपचार
हमारी रसोई हमारा अस्पताल है। हम अपनी रसोई में मौजूद मसालों व खाद्य पदार्थों को उपचार के लिए औषधि के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। इसके कोई दुष्परिणाम भी नहीं हैं। थायराइड उन बीमारियों में से एक है जो कभी खत्म नहीं होता और इसके लिए आजीवन दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। ऐसे में आप बढ़ते थायराइड को कंट्रोल करने के लिए कुछ असरदार घरेलू नुस्खों का सहारा ले सकते हैं-
1) आयोडीन का प्रयोग करें
आयोडीन युक्त नमक, समुद्र भोज्य पदार्थ, आयोडीनयुक्त मिट्टी और पानी में उत्पन्न होने वाली सब्जियां इनका अच्छा स्रोत हैं। आयोडीनयुक्त नमक भोजन में शामिल करें।
2) अश्वगंधा केऔषधीय गुण करें थायराइड से बचाव
प्रतिदिन सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण मिलाकर सेवन करें। अश्वगंधा के पत्तियों और तनों को भी पानी में उबालकर पी सकते हैं, इससे हार्मोन संतुलित रहते हैं तथा थायराइड का खतरा कम रहता है।
3) थायराइड में मुलेठी है असरदार
मुलेठी थायराइड रोगियों के लिए बहुत असरदार है। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख तत्वों से ट्रीटरपेनोइड ग्लाइसेरीथेनिक एसिड थायराइड को बढऩे से रोकता है।
4) त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण चमत्कारिक आयुर्वेदिक औषधि है, थायराइड के रोगियों को प्रतिदिन एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करना चाहिए। इससे दर्द में भी आराम मिलता है।
5) हल्दी का प्रयोग करें
हल्दी का प्रयोग पुरातन काल से हमारे ऋषि-मुनि बताते आए हैं। एक गिलास दूध में हल्दी का सेवन अनेकों रोगों से लडऩे की शक्ति प्रदान करता है। थायराइड के रोगियों को एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर देर तक पकाना चाहिए और सोने से पहले इसका सेवन करना चाहिए। नियमित रूप से ऐसा करने से थायराइड रोग खत्म होने की संभावना रहती है।
6) काली मिर्च
थायराइड के रोगियों के लिए काली मिर्च एक औषधि का काम करती है। काली मिर्च का सेवन शरीर में बिगडऩे वाले संतुलन को रोकता है और खून को भी साफ करता है।
यौगिक अभ्यास
गले की समस्याओं को दूर करने वाले योगासन और प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से थॉयरायड की शिकायत समूल नष्ट हो सकती है। यौगिक-क्रियाओं एवं व्यायाम में अन्तर होता है। इसलिए योग की साधना की पूर्ण जानकारी होने के बाद अभ्यास नियमित करें।
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सर्वांगासन, हलासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन, अद्र्धचंद्रासन, सिंहासन आदि विशेष आसनों का नियमित अभ्यास थॉयरायड ग्लैंड की समस्या से पीडि़त व्यक्ति कर सकते हैं।
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प्राणायामों में भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास करें। नाड़ी शोधन का अभ्यास करें। उज्जायी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से उचित और स्थायी लाभ प्राप्त होता है।
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कब्जनाशक भोजन का सेवन करें। जैसे खीरा खाएं। चोकर युक्त रोटी का सेवन करें। हरी साग सब्जियों का सेवन करें और दिनभर में आठ-दस गिलास पानी पिएं। इसके साथ ही वज्रासन, गोमुखासन, मकरासन, भुजंगासन, धनुरासन, शलभासन का भी नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए। यथाशक्ति अभ्यास करने से विशेष लाभ होना सम्भव है।
मानसिक स्वास्थ्य
सकारात्मक सोच से पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकेंगे। तनाव को दूर रखें तथा अध्यात्म व ध्यान में मन लगाएँ।
पतंजलि की चिकित्सा व्यवस्था
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान आधारित पर एक चमत्कारी औषधि थायरोग्रिट हाल ही में लोकार्पित की गई है। थायराइड के रोगियों पर इसके चमत्कारी परिणाम सामने आए हैं।
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