हमारा आचार्यकुलम्
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सरल सिंह
कक्षा - नवीं 'डी’
आचार्यकुलम्, हरिद्वार
दस साल पहले
एक नया सूर्योदय हुआ था
26 अप्रैल के दिन,
उसका जन्म हुआ था
शिक्षा-नीति और अनुशासन की कमी नहीं
शिक्षक जैसे माता-पिता छात्रावास जैसे घर
किसी चीज की कमी, यहाँ महसूस ही नहीं होती।
वो ज्ञानी है, वो ध्यानी है
वो हमारे परम पूज्य स्वामी जी है
जो कोई नहीं कर सका, वो उन्होंने कर दिखाया
पंतजलि योगपीठ को उन्होंने पूरी दुनिया से मिलाया
एक तरफ आचार्य श्री
जिनकी औषधियों से,
हुआ आरोग्य का पुनर्जन्म
वेदों से लेकर विज्ञान तक,
शास्त्रों से लेकर रॉकेट सांइस तक
कला से लेकर खेल तक
हमने सब कुछ है सीखा
ये केवल विद्यालय नहीं
कला-कृति का है मेला
कक्षा में खेल के मैदानों में
और रंगो से,
हम एक, नयी दुनिया बुनते हैं
अंत में बस इतना ही कहूंगी
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ।।
इसका ही पालन करते है
इसको ही धारण करते है
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