आत्मनिर्भरता भारत की स्थापना हेतु पराधीनता की निशानियों से मुक्ति का संकल्प

आत्मनिर्भरता भारत की स्थापना हेतु  पराधीनता की निशानियों से मुक्ति का संकल्प

आचार्य बालकृष्ण

जो शाश्वत वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मूल्य हैं, जो इंटर्नल ग्रुप है, वही सनातन धर्म है। आज उस सनातन धर्म पर तरह-तरह के लांछन लगाकर, कभी हमारे धर्म शास्त्र का आश्रय लेकर हमारे महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगाकर जो कुत्सित प्रयास कर रहे हैं, यह सारे के सारे भारत विरोधी, राष्ट्र विरोधी, अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के इशारे पर या तो षड्यंत्र कर रहे हैं या अपनी कुत्सित मंशा, कुंठा और बौद्धिक दरिद्रता और दिवालियापन के शिकार होकर भारत को कहीं ना कहीं अपमानित करने की चेष्टा कर रहे हैं|

पराधीनता की निशानियों से मुक्ति का संकल्प

देश को आर्थिक गुलामी, लूट व बर्बादी से बचाने तथा शिक्षा और चिकित्सा की लूट, गुलामी और दरिद्रता से भारत को मुक्त बनाने के लिए सभी देशवासी यह संकल्प लें कि अपने सांस्कृतिक गौरव व वैभव को साथ लेकर और गुलामियों की निशानियों को मिटाते हुए हम एक स्वस्थ समृद्ध और संस्कारवान परम वैभवशाली भारत के निर्माण के लिए संकल्पित हों और अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी लेकर कार्य करें।

सेवा संकल्प

उदाहरण के लिए जैसे हमने जिम्मेदारी ली है कि हमने अब तक 5 लाख लोगों को रोजगार दिया है और आगे 5 लाख लोगों को और रोजगार देंगे। आने वाले ५ से ७ वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में 5 लाख करोड़ की अहम भूमिका निभाएंगे। 5 लाख से ज्यादा स्कूलों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़कर मैकाले की शिक्षा पद्धति का मोक्ष करके देश के बच्चों का चरित्र निर्माण करते हुए राष्ट्रीय निर्माण और युग निर्माण का इतिहास रचेंगे। ऐसे अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी लेकर जब आगे बढ़ेंगे तो निश्चित रूप से यह भारत जिसको जगद्गुरु, विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त है, वह परम वैभवशाली  देश के तौर पर स्थापित होगा। हम भारत माता की जय और वंदे मातरम का उद्घोष करते हैं तो वह हमारे कार्य व आचरण से प्रतिध्वनित होना चाहिए। निश्चित रूप से हम सब देशवासी आज संकल्पित होंगे और हमारा भारत पूरी दुनिया की शान बनेगा। हमने बचपन में लिखा था- मेरा भारत महान, अब वह चरितार्थ करने का समय है। हमारे रोम-रोम मेंं योग व आध्यात्म की शक्ति है, साथ में राष्ट्रभक्ति है। राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है, यह भाव चेतना हमारे भीतर निरंतर प्रवाहमान रहनी चाहिए।

सनातन को धुमिल करने का प्रयास

हिंदू सनातन धर्म व सनातन मूल्यों को नीचा दिखाने का देश में एक रिलीजियस टेररिज्म चल रहा है। सनातन मूल्य क्या हैं? जो शाश्वत वैज्ञानिक और सार्वभौमिक मूल्य हैं, जो इंटर्नल ग्रुप है, वही सनातन धर्म है। आज उस सनातन धर्म पर तरह-तरह के लांछन लगाकर, कभी हमारे धर्म शास्त्र का आश्रय लेकर हमारे महापुरुषों के चरित्र पर लांछन लगाकर जो कुत्सित प्रयास कर रहे हैं, यह सारे के सारे भारत विरोधी, राष्ट्र विरोधी, अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के इशारे पर या तो षड्यंत्र कर रहे हैं या अपनी कुत्सित मंशा, कुंठा और बौद्धिक दरिद्रता और दिवालियापन के शिकार होकर भारत को कहीं ना कहीं अब अपमानित करने की चेष्टा कर रहे हैं, सारे देशवासियों को एकजुट होकर उनका पुरजोर विरोध करना चाहिए।

बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर होंगे अभिन्न भारत का हिस्सा

पूज्य स्वामी जी महाराज का मानना है और उन्होंने गत २६ जनवरी को आयोजित गणतन्त्र दिवस पर खुले मंच से कहा कि बलूचिस्तान, पीओके और पाक अधिकृत पंजाब अलग राष्ट्र बनेंगे। पीओके का भी भारत में विलय होगा और तब पाकिस्तान एक अदना सा देश रह जाएगा। उसके बाद बलूचिस्तान भी खुद सामने से आकर कहेगा कि 'भारतम् शरणम गच्छामिक्योंकि पंजाब, सिंध- यह सब हिंद के साथी और सांस्कृतिक एकरूपता के परिचायक हैं। तो बहुत जल्दी पाकिस्तान के 4 टुकड़े होंगे और पाक अधिकृत कश्मीर का भी भारत में विलय होगा। भारत महाशक्ति बनेगा। यह आने वाले समय की पुकार है और ऐसा होने वाला है।

भौतिक विज्ञान है तो आध्यात्मिक विज्ञान भी है

हम भारत की सभी परंपरा व भौतिक सत्यों को सम्मान देते हैं। इसके साथ जो सनातन सत्य हैं वे अदृश्य, अमूर्त हैं, जो आध्यात्मिक शक्ति है, वह भी सत्य है, लेकिन उसमें किसी प्रकार का ढोंग, आडंबर, पाखंड, अंधविश्वास, भूत-प्रेत आदि इधर-उधर का जो पूरा पाखंड का बोलबाला है उसको हमने कभी धर्म और संस्कृति नहीं माना है।
लेकिन यह सच है कि यदि भौतिक विज्ञान है तो आध्यात्मिक विज्ञान भी है और अब एक प्रमाणिकता का विषय है कि इन शक्तियों को कौन इतनी प्रमाणिकता से जी रहा है।

Advertisment

Latest News

परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य........... परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...........
ओ३म 1. भारत का सामर्थ्य - रोगमुक्त इंसान एवं रोगमुक्त जहान् और न केवल रोगमुक्त, नशा, हिंसा, घृणा, विध्वंस, युद्ध...
पतंजलि ने आयुर्वेद को सर्वांगीण, सर्वविध रूप में, सर्वव्यापी व विश्वव्यापी बनाया
नेपाल में भूकंप पीडि़तों के लिए पतंजलि बना सहारा
पतंजलि विश्वविद्यालय में 'समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
शास्त्रों के अनुसार राजधर्म का स्वरूप
जीवन को निरोगी एवं स्वस्थ बनायें उपवास (Fasting)
हिन्दू नृवंश के विश्वव्यापी विस्तार के संदर्भ में आवश्यक विचार
स्वास्थ्य समाचार
हिपेटाइटिस
अनुशासन : योग का प्रथम सोपान