परम पूज्य योग-ऋषि स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से नि:सृत शाश्वत सत्य...........
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ओ३म
1. भारत का सामर्थ्य - रोगमुक्त इंसान एवं रोगमुक्त जहान् और न केवल रोगमुक्त, नशा, हिंसा, घृणा, विध्वंस, युद्ध एवं बरबरता तथा बर्बादी विनाश से बचाकर विश्व को विकास का सही पथ भारत ही दिखा सकता है।
दवा माफिया - हॉस्पिटल, मेडिसिन, जॉच परीक्षण एवं गैर जरुरी घुटनों, कमर, लीवर किडनी, हार्ट एवं डिलीवरी के नाम पर 80 से 90% सर्जरी करके देश का लगभग 10 लाख करोड़ तथा दुनियां का लगभग उपचार व आहार न्यूट्रिश्यन विटामिन्स है, हेल्थ ड्रिक्स के नाम पर दुनियांभर में लगभग 200 लाख करोड़ रुपये लूटे जाते हैं। नशा माफिया - दुनियांभर में तम्बाकू, शराब अन्य नशीले द्रव्यों का भी 200 लाख करोड़ के लगभग कारोबार है इसी तरह से, फूड माफिया भी 200 लाख करोड़ का तथा विलासिता, अश्लीलता, ग्लैमर के नाम पर सीरियल फिल्म, कपड़े, जूते, चप्पल, पर्स, घड़ी, गाड़ी आदि शोपिंग माफिया गैर जरुरी चीजों में समय, शक्ति, जीवन व धनादि की हानि करके हमारे लगभग 200 लाख करोड़ लूटकर धनवान हो रहे हैं।
चंद लोग आर्थिक साम्राज्य खड़ाकर रहे हैं। करोड़ों लोगों को दरिद्र बनाकर इस पूरे षडयंत्र को हम भारत के सनातन, योग एवं अध्यात्म के नैतिक बल से ही खत्म कर रहे हैं, कर सकते हैं दूसरे कोई विकल्प मार्ग या रास्ता नहीं है। कुछ लोग षड्यंत्रपूर्वक शिकार बनायें जा रहे हैं तो कुछ अज्ञान, भ्रम, दुष्प्रचार व भीड़ तंत्र का हिस्सा बनकर लुट रहे हैं। इस षड्यंत्र व भीड़ तंत्र से हमें पहले भारत देश को और फिर दुनियां को बचाना है क्योंकि ये सब हमारा परिवार हैं।
2. सनातन बोध के साथ शत्रु बोध भी जरुरी - जिस तरह विश्व की आसुरी शक्तियां इसमें राजनैतिक, आर्थिक मजहबी ताकतें सब एकजुट होकर भारत व भारतीयता, सनातन को दबाना चाहती हैं और सनातन या हिन्दुत्व पर जाति ऊंच-नीच व भेदभाव, अन्याय, शोषण व अत्याचार का झूठा षड्यंत्रपूर्वक आरोप लगाकर हमें नीचा दिखाने में लगे हैं हमें दबाने, कुचलने व मिटाने पर तुले हैं। इस भी हमें समझना होगा और अपने सांस्कृतिक वैज्ञानिक, सार्वभौमिक गौरव व परम वैभव को भी समझना होगा। तभी हम कालजयी दीर्घजीवी शाश्वत संस्कृति के सच्चे अनुयायी कहलायेंगे।
3. सामूहिकता व एकता के सूत्र में हम बंधें रहे - तुच्छ स्वार्थों, अहंकार, अज्ञान, ईष्र्या, द्वेषादि से मुक्त रहकर वैयक्तिक प्रतिष्ठा से बड़ी सनातन की प्रतिष्ठा व राष्ट्रहित, राष्ट्र धर्म की प्रतिष्ठा को महिमा देकर हमें वेद के संदेश संगच्छदवं को स्वीकार करके पूर्ण एकता, साहस, शौर्य, वीरता व पराक्रम के साथ सामूहिक रूप से बड़े लक्ष्यों को पाना होगा। नहीं तो हमारा शत्रु हमें तबाहकर देगा, इसलिए साधु सावधान।
4. आत्मबोध सदा जाग्रत रहे - मैं मात्र एक व्यक्ति नहीं हूँ- मैं भगवान राम-कृष्ण, हनुमान, शिव, ऋषियों, बुद्ध महावीर, गुरु नानकदेवादि पूर्वजों का भगवान व भगवती शक्ति का यंत्र मूर्तरूप साक्षात् विग्रह हूँ। प्रकृति व परमेश्वर के विधान के अनुरुप मैं दिव्य जीवन ही जीऊंगा, यही मेरा मूलधर्म व मूलकर्म है। मूल प्रकृति व संस्कृति है।
स्वामी रामदेव
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