परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य...

परम पूज्य योग-ऋषि श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य...

लक्ष्य बड़ा चुनें

जीवन में सदा बड़ा ध्येय, उद्देश्य, लक्ष्य, गन्तव्य, प्रयोजन या कत्र्तव्य बड़ा या महान् ही रखना चाहिए। छोटे उद्देश्यों के लिए जीना जीवन का अनादर या तिरस्कार है। मैंने धार्मिक, आर्थिक, राजनैतिक , सामाजिक, सैद्धान्तिक व वैश्विक रूप से एक बहुत बड़ा गोल, टार्गेट या परपज़ सैट किया हुआ है। मेरा लक्ष्य सभी दिशाओं से अपने देश को समर्थ बनाते हुए भारत को विश्व की महाशक्ति बनाना है। इस लक्ष्य प्राप्ति हेतु मुझे १८ घंटा प्रचंड पुरुषार्थ करके उससे अर्जित अर्थ को परमार्थ में लगाते हुए एक समर्थ, स्वस्थ, समृद्ध व संस्कारवान् भारत का निर्माण करना है यद्यपि यह लक्ष्य कठिन है लेकिन असंभव नहीं। मेरी तरह सोचने वाले करोड़ों देशवासी इस ध्येय में मेरे साथ खड़े होंगे, मैं और हम सब मिलकर इस गन्तव्य तक अवश्य पहुँचेंगे।

योग क्रान्ति का दूसरा चरण

फरवरी के अन्त से कम से कम १/२ वर्ष निरन्तरता के साथ योगायुर्वेद, स्वदेशी के साथ-साथ देश में स्वदेशी चिकित्सा की प्रतिष्ठा हेतु पतंजलि वैलनेस तथा भारतीय शिक्षा व्यवस्था की प्रतिष्ठापना हेतु भारतीय शिक्षा बोर्ड की राष्ट्रव्यापी मुहिम चलायेंगे और लक्ष्य होगा एक लाख से प्रारम्भ करके ५ लाख विद्यालयों को क्च.स्.क्च के साथ एफिलियेट सम्बद्ध करके देश में दिव्य व्यक्तित्व, दिव्य चरित्र व दिव्य नेतृत्व देने वाले युवाओं व नौजवानों की अजेय शक्ति खड़ी करना। इस उद्देश्य हेतु मुझे एक-एक राज्य में बहुत बड़े लाखों की संख्या वाले बड़े आयोजन करना है। प्रात: योग होगा तथा सायंकाल बहुत बड़े स्तर के कार्यक्रम होंगे। एक दिन शिक्षा, एक दिन संगीत व एक दिन सामूहिक दर्शन, स्वास्थ्य एवं आध्यात्म पर आधारित पर आधारित सनातन संस्कृति और गौरवानुभूति के लिए समर्पित रहेगा। इसकी पूरी रूप रेखा अगले शाश्वत प्रज्ञा में बतायेंगे।

सनातन धर्म हेतु आवाहन

मैं सभी देशवासियों से जो स्वयं को रामकृष्ण व ऋषि, ऋषिकाओं या महान् पूर्वजों की संतान मानते हैं उन सबसे करबद्ध विनम्र प्रार्थना करता हँू कि आप एक से दो घंटा प्रतिदिन योग कक्षा चलाने हेतु समय अवश्य दें। मात्र इस एक कार्य से राष्ट्र ही नहीं, पूरे विश्व में योग एवं सनातन धर्म को बहुत बड़ी प्रतिष्ठा मिलेगी व आपको अनन्त पुण्य मिलेगा व विश्व का कल्याण होगा।

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