एक संन्यासी के सत्य-संकल्प एवं सात्विक अभियान की विजय
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आचार्य बालकृष्ण
जब भ्रष्टाचार करके कालाधन जमा करने वाले कुछ चन्द लोग देश को बर्बाद करके बेच सकते हैं तो चन्द लोग तप, पुरुषार्थ व सेवा करके, संगठित होकर देश को बचा क्यों नहीं सकते? यही हमारी संस्कृति भी कहती है- ‘भद्रमिच्छन्त ऋषय: स्वर्विदस्तपो दीक्षामुपनिषेदुरग्रे। ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं तदस्मै देवा उपसंनमन्तु’, यही हमारे पूर्वजों का आदर्श व वेदों का आदेश है। |
सर्वविदित है कि हमारे संगठन के पवित्र उद्देश्य व मुद्दों के साथ सात्विक शक्तियों, शान्तिधर्मा व क्रान्तिधर्मा महापुरुषों का अप्रत्यक्ष सहयोग व आशीर्वाद सदैव साथ रहा है। आज नोटबन्दी एक संन्यासी के सत्य संकल्प एवं सात्विक संगठन की विजय तथा सरकार की एक सात्विक पहल है।
1. नोटबन्दी की पृष्ठभूमि:
10 वर्ष पहले सार्वजनिक तौर पर श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने इस मुद्दे को पूरी प्रखरता के साथ उठाया। 2009 में भारत स्वाभिमान के माध्यम से एक जन-आन्दोलन चलाया गया जिसमें देश भर में लाखों कार्यकर्ताओं ने तप किया व देश के करोड़ों लोगों ने इसका समर्थन किया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने 2009 में तेजपुर (असम) से सीधे दिल्ली आकर हजारों लोगों के साथ सर्वप्रथम इस मुद्दे को उठाया। 2009 से लेकर 4 जून, 201१ को महाकाल उज्जैन से सीधे रामलीला मैदान, दिल्ली में 01 लाख से अधिक लोगों के साथ तथा 3 जून, 2013 को जन्तर-मन्तर, दिल्ली पर लाखों लोगों के साथ तथा 9 अगस्त, 2013 को रामलीला मैदान, दिल्ली में ऐतिहासिक आन्दोलन करके लगभग 50 हजार से अधिक लोगों ने एक साथ गिरफ्तारी देकर भ्रष्टाचार व कालेधन के विरुद्ध प्रदर्शन किया। 23 मार्च 2014 रामलीला मैदान में माननीय मोदी जी की उपस्थिति में १ लाख से अधिक लोगों ने इन्हीं मुद्दों को केंद्र में रखते हुए एक बड़ा आंदोलन किया, जिसमें भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नक्सलवाद व कालेधन को समाप्त करने के लिए बड़े नोटों को वापस लेना भी उन मुद्दों में से श्रद्धेय स्वामी जी महाराज का एक मुद्दा था। 4 जून, 2011 के आन्दोलन को उस समय की वर्तमान सरकार ने अत्यन्त क्रूरता व बर्बरता से दमन करने का प्रयास किया। राष्ट्रभक्त लोगों की भावनाओं को आहत करके कुछ लोगों ने संगठन का मजाक भी उड़ाया और यहाँ तक की मीडिया वाले भी एक फकीर की दूरदृष्टि को समझ नहीं पाये पर आज एक फकीर के सत्य संकल्प को एक वजीर ने मूर्तरूप दिया तो सारी दुनिया ने एक संन्यासी के सत्य संकल्प को स्वीकार करते हुए यह माना कि योगी के संकल्प सदा, सत्य संकल्प ही होते हैं।
2. नोटबन्दी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
बड़े नोट बन्द करने से देश की अर्थव्यवस्था तत्काल कम से कम दोगुनी होगी और फिर आगे तीव्रता से बढ़ेगी। इसके साथ ही ग्रोथ रेट भी बढ़ेगी और भारत की करेंसी (रुपये) की वैल्यू भी बढ़ेगी, इससे महंगाई घटेगी तथा ब्याज दरों में कमी आयेगी और सस्ते ब्याज दरों में पैसा मिलने से खेती, व्यापार, उद्योग-धन्धे तथा सभी प्रकार से आर्थिक कारोबार मुख्य रूप Manufacturing सेक्टर, रिसर्च तथा सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने में सरकार के पास पर्याप्त धन होगा। इसी धन से सरकार देश भर मे लाखों विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय खोल सकेगी, अच्छे हास्पिटल्स बनाकर वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था को और अधिक बेहतरीन बनाया जा सकेगा, देश का बुनियादी ढांचा मजबूत होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, बिजली, पानी, सडक़, रोटी, कपड़ा, मकान आदि मूलभूत सुविधाओं को जन-सामान्य तक पहुंचाने में सरकार सक्षम होगी। इसका दूरगामी प्रभाव यह होगा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आयेगी और सभी सेक्टर्स में इसके व्यापक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। सबकी समृद्धि, सबका सम्मान। भारत की समृद्धि, भारत का स्वाभिमान। राष्ट्र को विकसित करके भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवीय विकास मानकों की सूची में (United Nation की Human Development Report में) शीर्ष स्थान पर प्रतिष्ठापित करना हमारा मुख्य लक्ष्य है।
3. कालाधन:
देश की अर्थव्यवस्था में 10% कालाधन देश से बाहर एवं 90% देश की आन्तरिक अर्थव्यवस्था में ही है और उसका माध्यम बनते हैं ये बड़े नोट, अत: बड़े नोट बन्द करने से इस पर अंकुश लगेगा। नोटबन्दी से नकली करेंसी बन्द होगी। दाउद आदि आतंकवादी और पाकिस्तान ने बड़े नोटों के रूप में ही यह नकली करेंसी देश में घुसा रखी थी उसके खत्म होने से आतंकवाद और आतंकवादियों की कमर टूटेगी तथा आतंकवाद व नक्सलवाद जैसी समस्याओं का स्वत: ही अन्त हो जायेगा। देश के लगभग 250 जिले जो आज नक्सलवाद की आग में जल रहे हैं, वे भी खुशहाल होकर अमन-चौन की नींद सो सकेंगे क्योंकि नक्सलवादियों को चौक या ड्राफ्ट से पैसा नहीं जाता, अपितु उनके वेतन आदि तथा अन्य सुविधायें बड़ो नोटों के माध्यम से ही उपलब्ध करायी जाती हैं।
4. कालेधन्धों पर लगाम:
युवाओं की जिन्दगी में जहर घोलते ड्रग माफियाओं का काला कारोबार, राजनीति का अपराधिकरण एवं अन्य आर्थिक अपराध व कालेधन्धों का मुख्य माध्यम या आधार ये बड़े नोट ही हैं अत: नोटबन्दी से कालाधन व कालेधन्धों पर लगाम लगेगी।
5. परमवैभवशाली महाशक्ति के रूप में भारत का उदय:
अर्थव्यवस्था किसी भी देश की रीड़ की हड्डी होती है। इस एक बड़े राजनैतिक फैसले से देश की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पारदर्शी एवं मजबूत होगी तथा ब्लैकमनी और ब्लोकमनी देश के उत्पादक एवं सृजनात्मक कामों में लगने से राष्ट्र का चहुमुखी विकास होगा और पूरी दुनिया के मुकाबले भारत ताकतवर बनेगा और शीघ्र ही एक दिन भारत का विश्व की आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरना सुनिश्चित है।
6. शान्तिपूर्ण क्रियान्वयन हेतु सुझाव:
सरकार को नये नोटों की उपलब्धता पर तीव्रता से कार्य करना चाहिये। ATM मशीनों को नये नोटों के अनुसार अपग्रेड करना चाहिये। सरकारी, सहकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्र में जो बैंक काम कर रहे हैं उन पर सख्त निगरानी रखनी चाहिये ताकि कालेधन की अर्थव्यवस्था दोबारा खड़ी न हो। अर्थव्यवस्था में 2000 के बड़े नोट भी कम लाने चाहिये, और एक बार अर्थव्यवस्था पटरी पर आने पर इनको भी वापस लेना चाहिये, Banking Transaction एवं Electronic Transaction व बुनियादी ढाँचे को और अधिक मजबूत करना चाहिये। लोगों का धन क्योंकि अब बैंकों के भरोसे होगा, अत: बैंक दिवालिया न हों अर्थात् NPA को रोकना तथा बैंकों को जवाबदेह बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
होनी चाहिये।
7. राजनैतिक शोर-शराबा:
सभी राजनैतिक दलों को एक प्रधानमन्त्री की ईमानदार पहल का समर्थन और सहयोग करना चाहिये। हम सबको राष्ट्रहित के सभी मुद्दों पर एक होना चाहिये और लोगों में गलत फहमियाँ और नकारात्मक वातावरण नहीं पैदा करना चाहिये क्योंकि यह देश हम सबका है और नोटबन्दी का यह कार्य सबके और देश के हित का है। इस समय देश में यह एक नया इतिहास लिखा जा रहा है, इसमें हमारा नाम देश के बनानेवालों में आना चाहिये, बिगाडऩे वालों में नहीं।
8. आह्वान:
समस्त राष्ट्रवासियों एवं समस्त संगठनों व राजनैतिक पार्टियों से हमारा यही आह्नान है कि सभी लोग इसमें अपना सहयोग व समर्थन करें। पतंजलि योगपीठ के कार्यकर्ता, जिन्होंने पिछले 8 वर्षों से डण्डे-लाठी खाकर, भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी, धूप सहनकर व इतना कठोर तप किया है और अब, जब यह तपस्या का फल सामने आया है, तो मेरा उनसे आह्नान है कि वे 10-20 दिन और घर से बाहर निकलें तथा बैंकों के बाहर खड़े बड़े-बुजुर्ग, छोटे बच्चों के साथ महिलायें तथा रोगियों की हर सम्भव सहायता करके उन्हें बिस्किट, जूस आदि अपने पतंजलि केन्द्रों से खरीदकर उपलब्ध करायें तथा अपना बिल संस्था में जमा करवा दें। इस सेवा अभियान में संस्था करोड़ों रुपये की सेवा करने के लिए तैयार है, लेकिन आपकी सेवा में कोई कमी नहीं आनी चाहिये।
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