बालों की सही देखभाल पतंजलि वैलनेस इंटरग्रेट थेरेपी

बालों की सही देखभाल पतंजलि वैलनेस इंटरग्रेट थेरेपी

 डॉ. नागेन्द्र 'नीरज

निर्देशक व चिकित्सा प्रभारी - योग-ग्राम, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार

बालों को काला करने का नैसर्गिक नुस्खा

250 ग्राम आँवले के कपड़छन पाउडर में 10 ग्राम चाय, 10 ग्राम कॉफी तथा 10 ग्राम मेहँदी को 40 दिन तक लगातार लोहे के बर्तन में भिगोकर रखें। बालों में भलीभाँति लगाकर एक घंटा सूखने दें। फिर सौम्य पानी से धोकर एक नीबू का रस लगायें। सप्ताह में दो दिन प्रयोग करें। बाल काले रेशम की तरह मुलायम तथा सुन्दर हो जाते हैं।

आहार चिकित्सा

बालों के पोषण के लिए क्लोरीन, सिलिकन, आयोडीन, लोहा, कैल्शियम सिस्टिन (Cysteine), सिस्टीन (Cysteine)  नामक प्रोटीन आवश्यक है। इस दृष्टि से पालक, पत्तागोभी, गाजर, प्याज, ककड़ी, खीरा, लौकी, चुकन्दर की सब्जी रस तथा सलाद काम में लें। दही, सोयाबीन, छाछ, ऑवला, नीबू, संतरा, सेव तथा शहद का प्रयोग अधिक करें। सिस्टिन सेमी एसेंशियल डाइसल्फाइड से जुड़ा हुआ, दो एमिनो एसिड (प्रोटीन) तथा सिस्टीन नव-एसेंशियल एकल एमिनोएसिड है। सिस्टिन प्राय: पाचक रसों, इम्यूनिटी त्वचा बाल अस्थि एवं संयोजी उत्तकों के लिए उपयोगी है। सिस्टीन के प्रयोग से धमनियों की कठोरता, संधिवात, फेफड़े के रोग को स्वस्थ करने तथा बालों को उगाने में सफलता मिली है।

रोगों में आहार-उपचार तालिका

प्रात: 6 बजे (2600 से 2800 कैलोरी) एक नींबू, एक गिलास पानी, 2 चम्मच शहद योगासन के पश्चात् लें।
नाश्ते में मौसमानुसार मिलने वाले सस्ते एवं ताजे फल अमरूद, पपीता, सेव, नाशपाती, मौसमी, संतरा, केला इत्यादि 200 से 300 ग्राम अंकुरित अनाज, मूँग, मोठ, चना, मसूर, मूंगफली 25 से 50 ग्राम एक गिलास दूध। नाश्ता लेने के दो-ढ़ाइ घंटा पश्चात् मौसमानुसार मिलने वाली सब्जियों जैसे लौकी, खीरा, पालक, टमाटर, गाजर, ककड़ी, चुकन्दर, तोरई आदि का रस लें।
दोपहर का भोजन- चोकरदार मोटे आटे की 4-5 रोटी (150 से 200 ग्राम) अथवा 2-3 रोटी, 35 से 40 ग्राम की एक रोटी अथवा चावल, दो कप दही (100 से 150 ग्राम), पालक, टमाटर, गाजर, मूली, प्याज आदि को कच्चा काटकर सलाद 200 से 500 ग्राम, दाल 30-35 ग्राम, अंकुरित अनाज 25 ग्राम, चटनी 10-15 ग्राम (ऑवला, धनिया, नारियल, अदरक, लहसुन), अंकुरित अनाज इत्यादि को पीसकर, सोयाबीन की छाछ 250 मिली।
मध्याह्नकाल- मौसमानुसार सब्जियों का सूप, पालक, टमाटर, लौकी, तोरई इत्यादि को धो-काटकर किंचित हल्दी, धनिया तथा अदरक डालकर उबालें, फिर मसलकर कपड़े से छानकर गर्म-गर्म पिएँ अथवा मौसमानुसार फल 200 से 300 ग्राम। एक समय एक प्रकार का फल पाचन के लिए उपयोगी है। 
सायंकालीन भोजन- दोपहर (6 से 8 के मध्य में) की भाँति रुचि एवं भूख के अनुसार। भोजन के साथ इच्छानुसार गुड़ लिया जा सकता है। गाजर, लौकी, चुकन्दर, ककड़ी, खीरा, टमाटर आदि ठोस सब्जियों को रस निकालने वाली मशीन या कसनी में कसकर कपड़े से निचोड़कर रस निकालें।
पत्ते वाली या ठोस सब्जी को पीसकर निचोड़कर रस निकालें। रस निकालने की मशीन भी बाजार में मिलती है।
कब्ज कारक तथा खून को अम्लीय बनाने वाले आहार चाय, चीनी, कॉफी, मिर्च, गर्म-मसाले, तले-भुने, चटपटे आहार, अण्डा, माँस, मछली, बेसन तथा मैदे के बने आहार, बिस्कुट, ब्रेड, साफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल, एनर्जी ड्रिंक, जेम, जैली, धूम्रपान, पान-मसाला, चॉकलेट, टॉफी, कन्फेक्शनरी एवं संश्लिष्ट आहार नहीं लें।
उपर्युक्त आहार चार्ट के अनुसार सामान्य त्वचा के रोगियों को भोजन देने से उन्हें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, ताँबा, सिलिकॉन, कोबाल्ट, फॉलिक एसिड, थायमिन, रिबोफ्लिबिन, नायसिन, पेंटोथेनिक एसिड, पैराएमीनो बेंजायक एसिड, एसकार्बिक एसिड, अल्फा, बीटा, गामा, टोकोफेरॉल व कैरोटिन, एंजाइम, क्लोरोफिल, लेसिथिन आदि पोषक तत्व मिल जाते हैं। इन आहारों के प्रयोग से त्वचा तथा बालों के समस्त रोगों से मुक्त होने में सहायता मिलती है।

बालों के आसन तथा व्यायाम

बालों को भरपूर पोषण तथा रक्तस्रोत की शुद्धि के लिए तन तथा मन की अन्दर तथा बाहर से सफाई होना अत्यन्त अनिवार्य है। सिर्फ बालों का स्थानीय उपचार तथा विभिन्न प्रकार के तेल के प्रयोग से बालों के रोगों से मुक्ति असंभव है। आहार-विहार तथा चिन्तन सब में परिवर्तन आवश्यक है। बालों के व्यायाम में अंगुलियों को जोर से दबाकर खोपड़ी की खाल की मालिश करें। सूखी या तेल से मालिश करने से सिर की त्वचा का अच्छा व्यायाम होता है। केश कोष की निष्क्रियता, शुष्कता एवं विकृति दूर होती है। रक्तसंचार की वृद्धि होने से बालों को पोषण मिलता है। बालों को मुठियो से पकड़कर अथवा अंगुलियों को कंघी की तरह बालों में घुसाकर ऊँचा करके हल्के से खींचे। इससे रक्तसंचार बढ़ता है।
जिन बालों की आयु खत्म हो गई है। वे निकल जाते हैं और उनकी जगह स्वस्थ व नये बाल आते हैं। सिर की तरफ रक्तसंचार बढ़ता है। सर्वांगासन, हलासन, मत्स्यासन तथा शीर्षासन से सिर की तरफ रक्तसंचार स्वाभाविक ढंग से तेज होता है। बालों को भरपूर पोषण मिलता है। बाल झड़ने रूक जाते हैं। कुंजल, जलनेति, रबरनेति, सूत्रनेति, घृतनेति भी बालों को पोषण एवं शक्ति प्रदान कर झड़ने एवं सफेद होने से बचाते हैं। इनके अतिरिक्त जानुशीर्षासन, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, पश्चिमोत्तानासन, धनुरासन, उष्ट्रासन, चक्की-चालन आसन, पक्षी आसन, उत्तानपादासन, धनुरासन, चक्रासन, शलभासन तथा भुजंगासन, कपालभाँति, अनुलोम-विलोम तथा दीर्घ श्वसन प्राणायाम और ध्यान का प्रयोग करें। इन भौतिक क्रियाओं से तन तथा मन की शुद्धि होती है तथा तनावजन्य बालों की बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है।
शुष्क, सूखे बालों के लिए प्राकृतिक कंडीशनर का उपयोग करें। बालों की रूक्षता को दूर करने के लिए प्राकृतिक कंडीशनर का उपयोग करें। बालों की रूक्षता को दूर करने के लिए तेल से बालों की जड़ों तक मालिश करें। 20 मिली. सरसो तेल तथा 20 मिली. गर्म जल मिलाकर भलीभाँति फेंटकर बालों में रचा-रचाकर जड़ों तक मालिश करें। तत्पश्चात् गर्म जल में एक तौलिये के दोनों किनारों को पकड़कर, भिगो-निचोड़ कर बालों के चारों तरफ लपेटें। ऊपर से सूखे तौलिये से ढक दें। 2-3 मिनट के बाद ठंडे तौलिये से ढकें। इस प्रकार क्रम से 2-3 मिनट गरम, डेढ़ मिनट ठण्डा क्रमिक गरम ठंडा सेक 30 मिनट तक दें। 30 मिनट के पश्चात् अच्छी गुणवत्ता के शैम्पू से बालों को धो लें। प्रोटीन युक्त पैक भी बालों के लिए उपयोगी होता है। तेल तथा गर्म जल से मालिश करने के पश्चात् बालों का स्थानीय वाष्प भी लिया जाता है। इन प्रयोगों से सिर की तेल वाली ग्रंथियों की निष्क्रियता दूर होती है। गर्म कम्प्रेश या स्थानीय वाष्प से ग्रंथियाँ फैलती हैं। फलत: तेलों द्वारा पोषण बालों की जड़ों तक पहुँचता है। बालों की तरफ रक्तसंचार तीव्र एवं व्यवस्थित होने से बालों को भरपूर पोषण मिलता है। बालों को धूप से बचायें। बालों को गिरने से बचाने के लिए गर्म रोलर तथा गीले बालों को सुखाने के लिए ड्रायर का प्रयोग भूलकर भी नहीं करें।
तैलीय बालों के लिए नींबू का रस अत्यन्त उपयोगी होता है। 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी में 25 ग्राम आँवला मिलाकर 10 घंटे के लिए भिगो दें। सिर को धोते समय एक नींबू का रस मिला दें। इससे बालों को धोने से अतिरिक्त तेल बाहर निकल जाता है। नींबू युक्त शैम्पू का प्रयोग भी करना चाहिए। तैलीय बालों में 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को भिगोकर मक्खन की तरह गूँधकर एक नींबू का रस तथा 2 ग्राम कपूर मिलाकर लगायें। इससे तैलीय बाल तथा डेण्ड्रफ (रूसी) की समस्या दूर होती है। सममात्रा में आँवला तथा आम की गुठली अथवा नीम तथा बेर की पत्तियों अथवा आँवला तथा तुलसी के पत्ते को पीसकर सिर पर लेप करने से तैलीय बालों की समस्या दूर होती है। तेलीय बालों में तेल युक्त कंडीशनर का प्रयोग नहीं करें। तेल रहित कंडीशनर प्रयोग कर सकते हैं। दोनों प्रकार के बालों की भली-भाँति मालिश करने तथा बार-बार कंघी करने से बालों की तरफ रक्तसंचार तीव्र होता है तथा उन्हें भरपूर पोषण तथा ऑक्सीजन मिलती है।
बालों का नैसर्गिक पोषण युक्त तैलीय कंडीशनर घर पर ही तैयार करें।
  • गुड़हल (हिबिस्कस) के ताजे फूल का रस तथा जैतून का तेल।
  • आँवले का रस तथा तिल का तेल।
  • प्याज का रस, नींबू रस तथा सरसों का तेल।
हरी मेहँदी के पत्ते का रस तथा सरसों के तेल को सम मात्रा में मिलाकर मंद आँच पर पकायें। रस जल जाये तथा तेल शेष रह जाये तो उसे बोतल में सुरक्षित रखें। इस तेल को बालों में रचा-रचा कर जड़ों तक पहुँचाकर मृदु मालिश करें। इससे बाल चमकीले, घने, काले, मुलायम तथा सशक्त होते हैं।
 
उपचार से बचाव बेहतर
  • रंगीन तथा सुगन्धित तेल से बचें।
  • विज्ञापित तेल तथा शैम्पू धोखे में रखते हैं। इनसे कोई विशेष लाभ नहीं होता है।
  • बालों की स्वच्छता पर ध्यान रखें।
  • आहार में ताजी साग, सब्जियाँ तथा फलों का उपयोग ज्यादा करें।
  • अंकुरित अनाज अवश्य लें।
  • प्रतिदिन योगासन तथा व्यायाम करें।
  • कब्ज से बचें।
अलसी एक चम्मच, कढ़ी पत्ता 12, प्याज रस 2 चम्मच, सरसों तेल एक चम्मच, एक नींबू का रस लें। सर्वप्रथम अलसी के बीज दो कप पानी में धीमी आँच पर पकायें, कढ़ी का पत्ता, प्याज का रस तथा विटामिन ई- कैप्सुल 2 पीसकर तथा सरसों का तेल डालें। ठण्डा होने पर बालों मे लगायें। ऊपर से प्लास्टिक कैप बांध लें। रात भर बांधने के बाद धो लें। सप्ताह में 3 से 5 बार अथवा एक सप्ताह तक लगायें।
इस हेयर शिरम में मीठा नीम में बीटा कैरोटिन, एमिनो एसिड तथा एण्टीऑक्सीडेन्ट हेयर फॉलिक्ल्स के जीवन एवं शक्ति प्रदान करता है तथा बाल झरने को रोकता है। बालों की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक है। नये-नये डॉरमेन्ट हेयर फॉलिकल्स रिजेनरेट कर नये बालों का पुनर्जीवन एवं वृद्धि करते है। समय के पूर्व बालों को सफेद होने से रोकते है। अलसी के बीज में ओमेगा 3 फैटी एसिड तथा एस्ट्रोजेनहार्मोन लिग्निन्स होते है, जो सुदृढ़ एवं चमकीला बनाते हैं। प्याज के रस में आर्गेनिक सल्फर कम्पाउण्ड सल्फाइडस, थियोसल्फेट, विनाइलडिथियन्बस, एज्वोएनेस तथा सरसों के तेल में शक्तिशाली एण्टीमाइक्रोबियल, एण्टी वायरल तथा एण्टीफंगल एलाइल आइसो थायोसाइनेट गुण होते है। नींबू के रस में साइट्रिक एसिड होता है, जो खोपड़ी तथा हेयर फॉलिक्ल्स की साफ सफाई गहराई तक करता है। नींबू कॉलेजेन प्रोडक्शन को बढ़ाकर बालों को चमकीला बनाता है एवं नींबू में एण्टीऑक्सीडेन्ट नेचुरल एण्टी फंगल गुण के कारण डेण्ड्रफ को नियंत्रित करके डार्मेन्ट हेयर फॉलिकल्स का निर्माण नये-नये बालों का उगाने का कार्य करता है।
उपर्युक्त सभी नेचुरल चीजें बालों को झरने का मुख्य कारण फॉलिकल्स के चारों फेज- 1. एनागेन या बाल वृद्धि का फेज। 2. केटागेन बालों के विकास एवं वृद्धि के मध्य के काल का विश्राम या रेस्टिंग फेज। 3. टेलोगेन वालों का विश्राम रेस्टिंग फेज तथा 4. एक्सोगेन यानि शेडिंग फेज में बालों की वृद्धि, शक्ति, स्वास्थ्य विकास के लिए अति आवश्यक है। चारों फेज खत्म होने के बाद बाल पुन: इन्हीं चारों प्रावस्थाओं से गुजरकर बालों का पुन: उगना एवं सृजन होता है। इसे ग्रोथ साईकल प्रोसेस कहते हैं। इन सारे प्रोसेस से गुजरते-गुजरते बाल पतले छोटे, कमजोर, दो मुखी होने लगते हैं।
इन चारों फेज के अनेक चक्रों के बाद इन फेज की शक्ति खत्म होने लगती है। न तो एक्सोगेन और न एनागेन फेज सक्रिय हो पाता है तथा बाल छोटे होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में उपर्युक्त फार्मूला के कारण फॉलिक्ल्स को जगाया जा सकता है। पुन: बालों को नित्य नूतन उगाया जा सकता है। पतले दो मुँहें कमजोर, मुरझाये बालों को नवजीवन नवप्राण दिए जा सकते हैं। एक्सोगेन तथा एनागेन फेज को पुन: जाग्रत एवं सक्रिय किया जा सकता है। एक्सोगेन तथा एनागेन फेज को सक्रिय करने के लिए बालों की वैज्ञानिक मालिश और बालों को अच्छी तरह ब्रश या कंघी करें। बालों को गीला नही रखें। बाल वास्तव में केराटिन (Ceratin) नामक प्रोटीन से बना होता है। बाल को अच्छी तरह उगने के लिए खोपड़ी में सक्रिय कोशिकाएं होती है। पैपिला के चारों तरफ बाल उगते हैं। पैपिला बालों को रक्त आपूर्ति द्वारा हेयर फॉलिक्ल्स को पोषण एवं ऊर्जा एवं ऑक्सीजन प्रदान करता है। भीगे बाल में कंघी कभी न करें। बालों को गरम पानी से कदापि न धोयें, इससे बाल टूटते तथा मुड़कर घुंघराले (Frizzy) हो जाते हैं। ठण्डे पानी के प्रयोग से क्यूटिकल एवं फॉलिक्ल्स सील हो जाते हैं। जिससे बालों को शक्ति मिलती है। सिल्की तकिया (पिलो) के उपयोग से बाल कम से कम टूटते हैं। बालों का कट्टर दुश्मन चीनी, स्टार्ची, प्रोसेस्ड फूड, अल्कोहल बालों के लिए आवश्यक जिंक का लेवल कम कर देते हैं। बालों का सुपर नायक बेरीज, लाल, पीले तथा नारंगी रंग के गाजर, बीन्स, नट्स एवं सीड्स पालक हैं।
आयुर्वेद एवं जड़ी-बूटी चिकित्सा
  • बालों को मजबूत, कोमल, काला एवं चमकीला बनाने वाला दिव्य केश तेल है।
  • एण्टी-डेण्ड्रफ हेयर क्लींजर पतंजलि केश कांति कई प्रकार के हेयर क्लींजर जिनका उपयोग कर लाखों लोग लाभ उठा रहे हैं।
  • दिव्य फाइटर वटी 2-2 खाने के बाद गुन-गुने जल से सेवन करें।
  • दिव्य केश कान्ति एडवान्स तेल बालों में लगाकर हल्की मालिश करें। बालों को झड़ने से रोकने तथा बालों को स्वस्थ विकास के लिए चमत्कारिक औषध तेल है।
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