अनुभूति आपकी

अनुभूति आपकी

पित्ताशय के  कैंसर (सीएजीबी) से निजात

15 जनवरी 2015 को हम अपनी पत्नी जानकी देवी, उम्र 54 वर्ष की रिपोर्ट लेकर पतंजलि आये और रिपोर्ट के आधार पर उपचार प्रारम्भ हुआ। कुछ ही दिनों के अंदर मरीज में विश्वास वापस लौटा। टाटा ने तीन माह बाद जिस रोगी के लिए डेथ सर्टिफिकेट दे दिया था, उसी टाटा के डाक्टर ने पतंजलि के उपचार के बाद 100 प्रतिशत ठीक होने का सर्टिफिकेट भी दिया। पतंजलि चिकित्सालय के प्रयास से मेरी पत्नी आज भी जीवित है।
हम अपनी पत्नी जानकी देवी उम्र 54 वर्ष को पित्ताशय में गांठ की शिकायत पर स्थानीय चिकित्सक के परामर्श से टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई में ईलाज हेतु ले गये। वहां जाकर जांच शुरू हो गयी एवं रिपोर्ट के आधार पर मुझे कीमोथरैपी शुरू करने की सलाह दी गयी। चिकित्सक के कठिन संकेत से घबराकर कीमोथैरेपी प्रारम्भ कराया व इसी के साथ-साथ मैंने पत्नी को लेकर पतंजलि में डॉ. एस.सी. मिश्रा जी से भी विचार-विमर्श किया, उन्होंने टाटा की कीमोथरैपी के साथ-साथ कुछ आयुर्वेदिक दवाईयां लेने की सलाह दी। इसके उपरान्त मैंने कीमोथैरपी के दौरान पतंजलि द्वारा बतायी गई दवा का भी सेवन कराया एवं अप्रैल माह में जब मैं टाटा मेमोरियल जांच के लिए पुन: गया, तो जांच में काफी लाभ देखने को मिला।
विशेष: बाम्बे टाटा मेमेारियल सेंटर की पूर्व रिपोर्ट में सीरम सीए टेस्ट के अनुसार 40.6 था जबकि 26-04-2016 को यह टेस्ट रिपोर्ट में 2.37 हो गया, जो नार्मल के निकट है। यह पतंजलि की औषधि से हुआ, जिसने अब मेरी धर्मपत्नी को पतंजलि द्वारा दी गई औषधियों व कीमों से सामान्य जीवन जीने योग्य बना दिया। डॉ. साहब ने पतंजलि की औषधियों में सर्वकल्प क्वाथ, कायाकल्प क्वाथ, संजीवनी वटी, शिलासिंदूर, ताम्रभस्म, अमृतासत, अभ्रक भस्म, हीरक भस्म, स्वर्णवसंत मालती रस, मोती पिष्टी, प्रवाल पंचामृत, गिलोयघन वटी, कैशोर गुग्गुल, वृद्धिवाधिका वटी, कांचनार गुग्गुल, आरोग्यवर्धिनी वटी इत्यादि लेने की निर्धारित अनुपान के साथ सलाह दी। जिनका पूर्ण चिकित्सकीय अनुशासन के साथ पित्ताशय के कैंसर निवारण हेतु उपयोग कर अपनी पत्नी के जीवन को स्वस्थ व सुखमय बनाया। इसके लिए हम पतंजलि के चिकित्सक, पूज्यवर व आचार्यश्री एवं आयुर्वेदिक चिकित्सालय का आभार प्रकट करते हैं।
भवदीय,
धर्मात्मा सिंह
४०३, शिवांस रेजिडेन्सी, दानापुर, पटना, बिहार।
 
 

योग प्राणायाम ने बदली मेरी जीने की दिशा

रम पूज्य स्वामी जी, मैं उषा सापरा तलवंडी से हूँ। मेरा वर्ष 2002 में एक्सीडेंट हो गया था, जिससे मेरी रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी। मैं छ: माह तक बेड रेस्ट पर थी। सभी नित्यकर्म भी पलंग पर ही होते थे। डॉ. के द्वारा बताये व्यायाम कर रही थी। फिर मुझे बी.पी. भी हो गया तथा सिरदर्द भी बहुत रहता था। मुझे किसी मिलने वाले ने योग-प्राणायाम के बारे में बताया तथा इसे आस्था चैनल पर देखकर नित्य करने को कहा। मैंने करना प्रारम्भ किया, पर मैं बहुत जल्दी ही थक जाती थी। इतना जरूर था कि इस अभ्यास से मैं स्वस्थ होने लगी। तभी वर्ष 2008 में योग शिविर ज्वाइन किया तथा वहाँ पर नियमित कक्षा करने लगी, उन्होंने न सिर्फ मुझे अच्छी तरह से योगाभ्यास सिखाया, बल्कि मुझे अपने साथ सहयोगी शिक्षक के रूप में भी प्रशिक्षित किया। आज मैं पूर्ण रूप से न सिर्फ स्वयं स्वस्थ हूँ, बल्कि नित्य-प्रात: शांतिपूर्ण हनुमान मंदिर में तथा सायंकाल बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में महिलाओं की योग कक्षा लेती हूँ। स्वामी जी आपको कोटि-कोटि धन्यवाद जो आप पूरे विश्व में योग के माध्यम से आरोग्य लाभ पहुँचा कर हम जैसे लोगों की शक्ति व प्रेरणा बन रहे हो।
भवदीय,
उषा सापरा
३.ई१. तलवंडी, कोटा, राजस्थान
 

रोग- वृक्क निष्क्रियता (रीनल फेल्योर)

धुनिक समय में वृक्क निष्क्रियता के रोगी अत्यधिक देखने को मिलते है। यह बीमारी हर आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष, बच्चों में भी देखने को मिलती है। इसकी चिकित्सा बहुत कठिन एवं खर्चीली है अर्थात जीवन्त पर्यन्त के लिए डायलाइसिस अथवा गुर्दा प्रत्यारोपण है, गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद भी जीवन पर्यन्त आधुनिक औषधियों का सहारा लेना पड़ता है, परन्तु आयुर्वेद चिकित्सा से उपरोक्त दोनों से छुटकारा मिलने की संभावना सुनिश्चित रहती है, ऐसा पतंजलि आयुर्वेद में हुए अनेक प्रयोग बताते हैं, वृक्क निष्क्रियता के मुख्य कारण हैं- उच्चरक्तचाप, मधुमेह, वृक्क संबंधी बीमारियां, पानी की कमी (दस्त, उल्टी), एण्टी बायोटिक का अधिक मात्रा में सेवन, विषाक्त रसायन आदि। इसी प्रकार एक रोगिणी का उदाहरण हम प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसका नाम श्रीमति अनिता देवी, आयु ४० वर्ष, व्यवसाय-ग्रहणी, पता- अलीगढ़ (उ.प्र.) है, जो आतुरालय में उत्क्लेश, कमजोरी, उच्च रक्तचाप सहित अनेक रोगों वाली अपनी रिपोर्ट लेकर पतंजलि योगपीठ आई थी। सभी प्रकार की रिपोर्ट देखने के बाद दिनांक ८.७.२०१७ को उनको एडमिट कर लिया गया। लगभग १० दिन तक निम्न चिकित्सकीय आयुर्वेदिक औषधियों से रोगिणी का उपचार चला जिसमें-
01.       गिलोयघन वटी- (2-2 गोली दिन में ३ बार)
02.       वृक्क दोषहर क्वाथ एवं तृणपंच मूल क्वाथ  (30-30 मिली दिन में दो बार)
03.       स्व रक्तचिकित्सा
04.       मुक्तावटी 2-2 गोली एक दिन छोड़कर दिन में दो बार आदि औषधियां देने के उपरान्त 10 दिन बाद पुन: रक्त परीक्षण किया गया, जिसमें महत्वपूर्ण तथ्य सामने आयें, जो निम्न प्रकार हैं, जैसे-
चिकित्सा पूर्व             10 दिन बाद
BP 150/100              130-90
utra  106% mg            88% mg
crt 3.9 % mg                2.3%mg
इस प्रकार रोगिणी का स्वास्थ्य ठीक होने के उपरांत पतंजलि से छुटटी दी गयी तथा उन्हें परामर्श दिया गया कि वह पुन: एक माह बाद औषधि अनुशासन का पालन करके आने पर अपना चैकअप कराये। श्रद्धेय स्वामी जी व श्रद्धेय आचार्यश्री के आशीर्वाद व संरक्षण में संचालित इस आयुर्वेदिक स्वास्थ्य अभियान में देश-विदेश के प्रत्येक नागरिक के उत्तम स्वास्थ्य के प्रति पतंजलि का यह अथक प्रयास सराहनीय है। मैं भी ऐसी आरोग्यवर्धक रिपोर्ट को लेकर सुखद अनुभव करता रहता हूँ।
भवदीय,
प्रो. सी.एम. कन्सल, एम.डी. (आयुर्वेद)
पतंजलि आयुर्वेद चिकित्सालय, हरिद्वार

कन्धे के कैंसर (साइटो लिम्फोमा) से मिली मुक्ति

मै देवेश कुमार, गाँव व पोस्ट-अलहदादपुर, जिला-अलीगढ़, उ.प्र. का मूल निवासी हूँ। मुझे 14 जनवरी 2017 को कन्धे में कैंसर का पता चला और मैंने तुरन्त निकटवर्ती प्रसिद्ध चिकित्सालय में उपचार प्रारम्भ कराया। चिकित्सक ने हमें औषधियों का सेवन करते रहने के साथ-साथ कीमोथेरेपी कराने का निर्देश दिया। इसी के साथ अपने किसी निकटस्थ के परामर्श पर मैं हरिद्वार के पतंजलि चिकित्सालय पहुँचा। पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार के चिकित्सालय में डॉ. एस.सी. मिश्रा जी से मिला और मैंने उनके मार्गदर्शन में ३ महीने की दवा लेना शुरू किया तथा साथ ही ्ढ्ढढ्ढरूस् में कीमोथैरेपी भी करायी। पतंजलि में उपचार के दौरान मुझे सर्वकल्प क्वाथ, कायाकल्प क्वाथ, संजीवनी वटी, शिला सिंदूर, ताम्र भस्म सहित अनेक औषधियां दी गईं। भोजन में मुझे अंकुरित अन्न तथा सहिजन की सब्जी आदि लेने की सलाह दी गई, जिसका मैंने पूरी तरह से पालन किया। लम्बे समय बाद दुबारा चेक कराने पर मुझे १०० प्रतिशत स्वास्थ्य लाभ मिल चुका था। मैं और मेरा पूरा परिवार आपका व पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी का आभारी है, जिनके नेतृत्व में संचालित चिकित्सकीय सेवाओं से आज पूरा विश्व स्वास्थ्य लाभ ले रहा है।
भवदीय,
देवेश कुमार,
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश।

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